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ग्लूटेन इनटोलेरेंस की सबसे खतरनाक स्टेज ये बीमारी हैं,
अंडर वेट होने का क्या मतलब हैं?? (What is under-weight meaning?)
अंडर वेट होने का मतलब हैं कि आपका बीएमआई 18.5 से कम हैं, ऐसा होने के मतलब हैं कि यह आपके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक बीएमाई से कम हैं. जैसे कि 25 से ज्यादा बीएमआई होने को ओवरवेट जबकि 30 से ज्यादा होने की स्थिति को मोटापा कहा जाता हैं. हालांकि कुछ लोग दिखने में तो बहुत पतले और अंडरवेट होते है, लेकिन वो स्वस्थ जीवन जीते हैं,ऐसा उनके नियंत्रित बीएमआई के कारण ही होता हैं
अंडर वेट होने के कई कारण हो सकते हैं (Reasons of being under-weight)
ईटिंग डिसऑर्डर-
इसमें एनोरेक्सिया नर्वोसा भी आता हैं, जो कि एक सीरियस मेंटल डिसऑर्डर हैं.
थाइरोइड सम्बन्धित समस्या-
थाइरोइड ग्रन्थि शरीर के बीएमार पर नियन्त्रण रखती हैं. ओवरएक्टिव थाइरोइड होने पर मेटाबोलिज्म बढ़ जाता हैं और वजन कम होना शुरू हो जाता हैं.
सिलिअक डिजीज-
ग्लूटेन इनटोलेरेंस की सबसे खतरनाक स्टेज ये बीमारी हैं, जिसके बारे रोगी को ज्यादातर पता ही नहीं होता हैं
डायबिटिज–
टाइप1 की अनकंट्रोल डायबिटिज भी वजन को कम करती हैं
कैंसर या ट्यूमर हो जाने पर भी शरीर की बहुत सी कैलोरी बर्न हो जाती हैं और वजन घट जाता हैं यदि आप अंडरवेट हैं, तो आपको एक बार जरुर डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
हालांकि ये कोई आवश्यक नहीं है कि उक्त बीमारियों के कारण ही किसी का वजन कम हो. सम्भव हैं कम वजन का कोई जेनेटिक कारण भी रहा हो या फिर व्यक्ति की लाइफ स्टाइल ही ऐसी हो कि वजन नहीं बढ़ता हो. ऐसे व्यक्तियों के लिए वजन बढ़ाने के निम्न तरीके हैं.
कम वजन के दुष्परिणाम (Side-effects of being under weight)
एक शोध के अनुसार पुरुषों में अंडरवेट होने पर जल्दी मरने की सम्भावना 140% बढ़ जाती हैं, जबकि महिलाओं में ये 100 % तक बढ़ जाती हैं, इस शोध में ओबेसिटी के कारण होने वाली जल्दी मृत्यु को सिर्फ 50 % तक नापा गया हैं.
इसका मतलब हैं कि अंडर वेट होना हेल्थ के लिए ओवरवेट होने से भी बहुत ज्यादा ख़राब हैं. एक अन्य शोध में देखा गया हैं कि पुरुषों में अंडरवेट होने के कारण महिलाओं के मुकाबले जल्दी मृत्यु होती हैं.
अंडर वेट होने पर इम्यून सिस्टम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हैं, इसके कारण इन्फेक्शन की सम्भावना बढ़ जाती हैं, ओस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर भी हो सकता हैं. जिन लोगों में वजन बहुत ज्यादा कम होता हैं उनमें सर्कोपेनिया (उम्र सम्बन्धित मसल वास्टिंग) और डिमेंशिया जैसे रोग होने की सम्भावना भी बढ़ जाती हैं.
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Apurva Srivastav
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