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आजकल दिन प्रतिदिन डिप्रेशन की खबर आती रहती
आजकल दिन प्रतिदिन डिप्रेशन की खबर आती रहती है की डेप्रेशन के चलते किसी ने आत्महत्या कर ली ,या किसी स्टूडेंट ने अपनी जान दे दी। आजकल डेप्रेशन बड़ा ही आम शब्द बन गया है लेकिन जितना ही ये आम होता चला जा रहा है उतना ही घातक भी ,मनोविज्ञानक कहते है की अगर डिप्रेशन का सही से इलाज न किया जाये तो ये बेहद ही गंभीर रूप ले सकता है। दरअसल हम भारतीयों में खासकर मानसिक स्थितियों को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां हैं। किसी भी दिमागी स्थिति को हम सीधे पागलपन का खिताब दे देते हैं, अंधविश्वास के चलते झाड़-फूंक करवा लेते हैं लेकिन सायकायट्रिस्ट या काउंसलर के पास जाने से डरते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि दिमागी समस्याओं को हम बीमारी मानते ही नहीं। इन्हें वहम मानकर चलते हैं। डिप्रेशन जैसी स्थितियां जो सही इलाज से बिल्कुल सामान्य हो सकती हैं, वे बिगड़ कर गम्भीर स्तर तक पहुंच जाती हैं। देश के बड़े भाग में आज भी सायकायट्रिस्ट या काउंसलर के पास जाना क्या उनका नाम लेना भी अच्छा नहीं माना जाता। डिप्रेशन की स्थिति में भी ऐसा ही होता है।
Depression Treatment:डिप्रेशन का इलाज चाहिए: डिप्रेशन की समस्या नई नहीं है। लेकिन इस समस्या को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लोगों को लगता है इसे तूल देने की क्या जरूरत, बस इसकी तरफ से ध्यान हटा दो, ये ठीक हो जायेगा। क्योंकि डिप्रेशन विप्रेशन कुछ नहीं होता। रिसर्च यह साबित कर चुकी हैं कि यदि डिप्रेशन की स्थिति को समझते ही मरीज को इलाज मिल जाये तो आत्महत्या जैसी घटनाओं को बड़े पैमाने पर रोका जा सकता है। लेकिन होता अक्सर इसका उल्टा है। वर्तमान में कुछ प्रतिशत लोग इस समस्या को लेकर जागरूक तो हुए हैं लेकिन वे भी कई सारी भ्रांतियों में जकड़े हुए हैं। इसलिए जरूरी है कि सही जानकारी रखें और असमंजस में न पड़ें। इन कुछ बातों का ध्यान रखें।
डिप्रेशन कल्पना नहीं है:असल में यह सच्चाई से बचने का बहाना भर है। जबकि सच यह है कि डॉक्टर जब ब्रेन की स्कैनिंग करते हैं तो डिप्रेशन के मरीजों में नर्व्स तक सिग्नल्स जाने वाले ब्रेन के कैमिकल्स असंतुलित दिखाई देते हैं। इसलिए डिप्रेशन को कल्पना मानकर खारिज न करें।
डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है:लोग आमतौर पर एक धारणा बनाकर चलते हैं कि डिप्रेशन तो उसी को होगा जो किसी दुख से गुजरा हो लेकिन ऐसा नहीं है। कई बार सारे साधन और खुशियां होते हुए भी व्यक्ति किसी भावनात्मक उथल-पुथल से गुजर सकता है। हम आये दिन अखबारों में किसी सेलिब्रिटी या अमीर व्यक्ति के बारे में पढ़ते हैं कि उन्होंने डिप्रेशन की वजह से जान दे दी। डिप्रेशन ऐसी स्थिति है जो किसी भी उम्र या वर्ग के महिला-पुरुष किसी में भी हो सकती है। यहां तक कि बच्चों में भी। यही नहीं यह कई बार अनुवांशिक भी हो सकता है।
Depression Treatment:अलग हो सकते हैं डिप्रेशन के लक्षण: डिप्रेशन के लक्षण भी सब में समान हों जरूरी नहीं। केवल दुखी दिखना, रोना, हताश दिखना ही लक्षण नहीं हैं। चिड़चिड़ाहट, गुस्सा, खीज, एकाग्रता का न होना, बहुत ज्यादा खाने लगना या खाना बंद कर देना, अकेले रहना पसंद करना या बेवजह उत्साह दिखाना या एकदम चुप्पी साध लेना भी डिप्रेशन का लक्षण हो सकता है। हो सकता है कि जो व्यक्ति आपको ऊपर से बिल्कुल सामान्य लग रहा हो वह अंदर से बहुत उथल-पुथल से गुजर रहा हो।
Depression Treatment:सहयोग करें, साथ दें: डिप्रेशन से बाहर आने के लिए मरीज का इलाज तो जरूरी है ही। यह भी जरूरी है कि उसे अपने आस पास स्वस्थ और सकारात्मक माहौल मिले। मरीज की स्थिति को समझने वाले दोस्तों, परिचितों या परिवार के साथ समय गुजारना, बातचीत करना, नियमित एक्सरसाइज और पोषक खान-पान जारी रखना, काउंसिलिंग सेशंस को नियमित रखना और पूरा इलाज लेना, साथ ही खुद पर विश्वास जगाना, इस समस्या से बाहर आने में चमत्कारी साबित हो सकते हैं। इसलिए जब भी किसी व्यक्ति में कोई लक्षण दिखे तो उसकी ओर मदद का हाथ बढ़ाएं, क्या पता आप एक अनमोल जीवन बचाने में योगदान दे सकें।
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Apurva Srivastav
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