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![जगन्नाथ मंदिर का रहस्यमय क्या है जगन्नाथ मंदिर का रहस्यमय क्या है](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/02/24/3558609-12.webp)
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ख्याती प्राप्त जगन्नाथ मंदिर के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्य भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों को अचंभित करते हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी से बनी हुई हैं। देश में लकड़ी की मूर्तियों वाला ये पहला और अनोखा मंदिर है। इस मंदिर से जुड़े कई किस्से और कहानियां आज भी लोगों के लिए रहस्यमयी बने हुए हैं। इस पवित्र स्थल के दर्शनमात्र के लिए यहां हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। जो इस मंदिर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है। इस मंदिर से जुड़े ऐसे कौन से राज हैं जो इस मंदिर को रहस्यमय बनाते हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में।
विपरीत दिशा में उड़ता है ध्वज वैसे तो जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं लेकिन सबसे बड़ा रहस्य है मंदिर की शीर्ष चोटी पर उड़ने वाला ध्वजा यानी झंडा। आपको बता दें कि मंदिर के शीर्ष पर लगा ध्वज हमेशा ही हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ये बात सदियों से लोगों और वैज्ञानिकों को चकित करती आई है कि ध्वजा विपरीत दिशा में कैसे उड़ सकता है। लोगों का मानना है कि ये भगवान जगन्नाथ की दिव्य शक्तियों का चमतकार है।
नो फ्लाई जोन क्या आपने कभी देखा है कि किसी मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज का उड़ना प्रतिबंधित हो। जी हां, इस मंदिर का दिलचस्प पहलु ये है कि इस मंदिर को नो-फ्लाई जोन बनाया गया है। सदियों से मंदिर परिसर का क्षेत्र नो-फ्लाई जोन रहा है। कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर से उड़ान भरने वाला कोई भी विमान रहस्यमय तरीके से खराब हो जाएगा या उसे तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि ये केवल अंधविश्वास मात्र ही है लेकिन विमान अधिकारी इस प्रतिबंध का पूरी तरह से पालन करते हैं। इसके ऊपर से ड्रोन उड़ाने से भी डरते हैं।
नहीं बैठते पक्षी आपने हर मंदिर के ऊपर कबूतर, चिडि़या या कौओं को बैठे देखा होगा। ये एक सामान्य बात है लेकिन जगन्नाथ मंदिर और उसके आसपास आजतक किसी भी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा गया। इसके अलावा मंदिर परिसर में भी कोई पक्षी नहीं देखा गया है। इसके पीछे क्या कारण है ये अभी भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है।
नहीं होती खाने की बर्बादी मंदिर में चाहे 200 लोग हों या 2 लाख लेकिन कभी भी भक्तों को बिना प्रसाद के खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता। मंदिर में हमेशा पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री होती है जो न तो कभी बचती है और न ही कभी कम पड़ती है। इसका रहस्यमय पहलु तब आता है जब लोग दावा करते हैं कि यहां हर दिन एक समान मात्रा में ही भोजन तैयार किया जाता है। फिर इसकी पूर्ति किस प्रकार अपने आप ही हो जाती है। मंदिर का गेट बंद होने का वक्त आते ही प्रसाद अपने आप खत्म हो जाता है।
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Sanjna Verma
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