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- गाय और भैंस के दूध में...
दूध की पहचान : अक्सर लोग कंफ्यूज रहते है कि कौन सा दूध अधिक फायदेमन्द होता है। गाय का या भैंस का। कई डॉक्टर बच्चों को भैंस की जगह गाय का दूध पीने की सलाह देते हैं। इस मामले पर लोगों की अलग-अलग राय है। इसमें कोई शक नहीं है कि दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है, जो मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक है। डॉक्टर स्वस्थ और फिट रहने के लिए रोजाना दूध पीने की सलाह देते हैं, लेकिन कि अगर आपको गाय के दूध और भैंस के दूध में से किसी एक को चुनना हो तो हमे नहीं समझ आता तो जानिए कैसे पहचान करे :
दूध कितना गाढ़ा होगा यह उसमें मौजूद वसा की मात्रा पर निर्भर करता है। गाय के दूध में भैंस के दूध की तुलना में कम वसा होती है। यही कारण है कि भैंस का दूध गाढ़ा होता है। गाय के दूध में 3-4 प्रतिशत वसा होती है, जबकि भैंस के दूध में 7-8 प्रतिशत वसा होती है। भैंस का दूध काफी भारी होता है इसलिए इसे पचने में भी समय लगता है और आपका पेट काफी देर तक भरा रहता है।पानी हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है। इसलिए अगर आप पानी का सेवन बढ़ाना चाहते हैं तो गाय का दूध आपके लिए बेहतर है। गाय के दूध में 90 प्रतिशत पानी होता है और यह आपको हाइड्रेटेड रखता है।भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 10-11 प्रतिशत अधिक प्रोटीन होता है। भैंस के दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसे बच्चों और बुजुर्गों को पीने की सलाह नहीं दी जाती है।दोनों प्रकार के दूध के बीच कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी भिन्न होता है। भैंस के दूध में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, जो इसे पीसीओडी, उच्च रक्तचाप, किडनी की समस्याओं और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए सर्वोत्तम बनाता है।
जबकि भैंस के दूध में प्रोटीन और वसा अधिक होती है, इसमें कैलोरी भी अधिक होती है। भैंस के दूध में 237 कैलोरी होती है, जबकि गाय के दूध में 148 कैलोरी होती है.अगर पोषक तत्वों पर नजर डालें तो दोनों प्रकार के दूध के अपने-अपने स्वास्थ्य लाभ हैं। तो आपको क्या पीना चाहिए यह आपकी ज़रूरत पर निर्भर करता है। इसे अपने आहार का हिस्सा बनायें।हालाँकि, भैंस के दूध में कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा अधिक होती है। साथ ही गाय का दूध हल्का और कम वसा वाला होता है, जिसके कारण यह आसानी से पच जाता है। इसलिए, गाय का दूध बच्चों, बुजुर्गों और पाचन समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए बेहतर है।