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पैरासोमनिया (Parasomnias) को नींद चक्र के उस भाग के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है जिसके दौरान वे होते हैं।
नींद में चलने की बीमारी बहुत से लोगों को होती है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि कई बार नींद में चलने वाले लोग अपने आप को नुकसान पहुंचा लेते हैं। पर क्या आपने कभी है कि ये क्यों होता है और इसके पीछे क्या कारण है। दरअसल, ये नींद में चलने की बीमारी सोनामबुलिज्म (Somnambulism) है। दरअसल, ये स्लीप डिसऑर्डर है जिसे पैरासोमनिया (parasomnia) के नाम से जाना जाता है। पैरासोमनिया नींद के दौरान असामान्य व्यवहार है। वास्तव में, पैरासोमनिया नींद और जागने के बीच की सीमा को पार कर जाता है, यही वजह है कि पैरासोमनिया एपिसोड के दौरान होने वाली क्रियाएं असामान्य होती हैं।
नींद में चलने की बीमारी का कारण-Sleepwalking Causes
पैरासोमनिया (Parasomnias) को नींद चक्र के उस भाग के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है जिसके दौरान वे होते हैं। स्लीपवॉकिंग गैर-आरईएम (non-REM ) यानी कि गहरी नींद के दौरान होता है। इस दौरान व्यक्ति गहरी नींद में ही अलग-अलग प्रकार की एक्टिविटी करने लगती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि
-वंशानुगत यानी कि परिवारों में चली आ रही बीमारी के कारण
-नींद की कमी या अत्यधिक थकान के कारण
-स्लीप एपनिया जैसे विकारों के कारण
-कुछ दवाएं, जैसे नींद की गोलियां लेने से
-तनाव और घबराहट से
-सोने के माहौल में बदलाव या सोने की अलग सेटिंग के कारण, जैसे कि जब अचानक से आप नई जगह पर आ कर सोएं।
-माइग्रेन में
-सर की चोट लगने पर
नींद में चलने की बीमारी के लक्षण-Sleepwalking Symptoms
नींद में चलने की बीमारी के दौरान शरीर में कई लक्षण नजर आते हैं। जैसे कि पहले तो शुरुआत में ऐसे व्यक्ति बिस्तर से उठ कर घुमने लगते हैं। इसके अलावा आप इन्हें कई चीजों को और करते हुए पा सकते हैं। जैसे कि
-बिस्तर पर आंख बंद करके बैठ रहना
-आंख खोले कर सोना
-नींद से मुश्किल से जागना और जागने के बाद थोड़े समय के लिए विचलित या भ्रमित महसूस करना
-रात की घटानाओं को सुबह याद ना रखना
-रात में नींद में खलल के कारण दिन में काम करने में समस्या महसूस करना
-नियमित गतिविधियों को करना जैसे कि कपड़े पहनना, बात करना या खाना खाना
-कार चलाना
-सीढ़ियों से नीचे गिरकर या खिड़की से कूदकर घायल हो जाना
नींद में चलने की बीमारी से कैसे बचें?
नींद में चलने वाले लोग अगर ये काम रेगुलर करने लगे तो उन्हें अपने डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। डॉक्टर उनके नींद के पैटर्न को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। इसके अलावा घर वालों को कुछ बातों का ध्यान रखना है जैसे कि
-सोते समय बड़े स्थिर मन से सोएं। काम करते-करते ना साएं। नहीं तो आप नींद में भी वो काम कर सकते हैं।
-नींद की कमी से बचने की कोशिश करें।
-सोने से पहले ज्यादा पानी पी कर ना सोएं। इससे आपको बार-बार पेशाब लगेगी और आपकी नींद प्रभावित होगी।
-सोते समय कैफीन से बचें।
इसके अलावा ध्यान रखे कि अगर आप नींद में चलते हैं तो ऐसे दरवाजे और खिड़की बंद करके साएं। अकेले कभी भी ना सोएं। साथ ही बिस्तर के आसपास कोई भी चोट लगने वाली चीज ना रखें। नहीं तो आप किसी अप्रिय घटाना के शिकार हो सकते हैं।
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Apurva Srivastav
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