लाइफ स्टाइल

अस्थमा होने का क्या है कारण

Apurva Srivastav
4 May 2023 4:48 PM GMT
अस्थमा होने का क्या है कारण
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आज दुनियाभर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जो अस्थमा रोग होने के कारण सांस पूरी तरह नहीं ले पाते। अस्‍थमा (Asthma) एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी की सांस की नली में सूजन आ जाती है तथा सांस लेने में परेशानी होती है। उसकी सांस की नलियों में अतिरिक्‍त म्‍यूकस बनने लगता है तथा सांस लेने में तकलीफ होने के कारण बार-बार खांसी आती है और सांस नली सिकुड़ जाने से दम फूलने लगता है।
आइए यहां जानते हैं अस्थमा के मरीजों को किन लक्षणों से पहचानें, अस्थमा होने का कारण तथा कैसे करें इस रोग से बचाव और क्या रखें सावधानियां-
लक्षण :
- बेचैनी, घबराहटहोना
- सांस लेते समय सीटी की आवाज
- सांस लेने की समस्या
- सीने में जकड़न
- दम फूलना
- बार-बार होने वाली खांसी
- छाती में भारीपन लगना
- चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने से खांसी के साथ कफ न निकल पाना
- सांस नली का सिकुड़ना या सूखना
कारण :
- एलर्जी
- वंशानुगत रोग
- अस्थमा की शुरुआत नवजात शिशु या बचपन से ही
- धुआं और धूला और प्रदूषण
- पेट्रोल पंप पर काम करने से
- हानिकारक खिलौने
- जंक फूड
- घर के भीतर फैलता प्रदूषण
- धूम्रपान करने से
- घटती हरियाली
- औद्योगिक इकाइयों व वाहनों से फैलने वाला वायु प्रदूषण
बचाव :
- तनावरहित रहें।
- धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह तथा नाक पर कपड़ा ढंकें।
- सिगरेट के धुएं से बचें। स्मोक के धुएं से आपको परेशानी हो सकती है इसलिए इस बात का ख्याल रखें।
- एलर्जी का खतरा बदलते मौसम में ज्यादा बढ़ जाता है इसलिए अपनी सेहत को नजरअंदाज न करें।
- जिन्हें सर्दी-खांसी जैसी समस्या हो, वे उनसे दूरियां बनाकर रखें।
- ताजा पेंट, स्प्रे, खुशबूदार अगरबत्ती, मच्छर कॉइल धुआं, इत्र तथा कीटनाशक के उपयोग से बचें।
- अपने घर में नमी यानी ह्यूमिडिटी कम से कम रखें, जिससे कि सांस संबधित परेशानी आपको न हो।
- मेडिटेशन का नियमित अभ्यास करें जिससे कि आप मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से सेहतमंद रह सकें।
- इस दौरान संतुलित आहार लें व पौष्टिक आहार को अपनी डाइट में शामिल करें। फल व हरी सब्जियों का सेवन करें।
- जिन चीजों को आप ज्यादा छूते हैं उनकी साफ-सफाई का विशेषतौर पर ध्यान रखें- जैसे मोबाइल, लैपटॉप टीवी, रिमोट व दरवाजे के हैंडल आदि।
- अस्थमा रोगी को सप्ताह में 1 बार उपवास अवश्य रखना चाहिए।
- अस्थमा रोग से ग्रसित व्यक्ति को सुबह कांच या चांदी के गिलास में 1/2 गिलास पानी लेकर, 1 चम्मच अलसी पाउडर भिगो कर रख दें और शाम को इसे छानकर पिला दें। तथा शाम को भिगोकर सुबह इसका सेवन करने से लाभ होगा।
सावधानियां :
- अस्थमा या दमा रोगियों के लिए हल्दी भी एक अच्छी दवाई मानी जाती है। यदि इसका इस्तेमाल खाली पेट किया जाए तो जल्दी लाभ मिलेगा। इसके लिए आपको दमा रोगी को दिन में 2-3 बार 1 गिलास दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर देने से फायदा होगा।
- दमा रोगियों को दिन में 8-10 गिलास पानी भी जरूर पिएं।
- अस्थमा रोगियों को भारी या गरिष्ठ भोजन करने से श्वास में कमी व सांस लेने में अधिक परेशानी होती है। अत: हल्का भोजन करना चाहिए।
- यदि आप अस्थमा के मरीज हैं, तो आपको खुली और ताजी हवा में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहिए और भरपूर रोशनी भी लेनी चाहिए।
- ताजे और स्वच्छ पानी का भी भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए।
- अस्थमा पेशंट को नाश्ते में मुनक्का और शहद एकसाथ खिलाना भी बेहतर होता है।
- अस्थमा के उपचार में शहद बहुत फायदेमंद माना जाता है। यदि अस्थमा रोगी 1 जग में शहद भर लें और फिर उसके नजदीक जाकर सांस लें तो उसकी सांस की तकलीफ दूर होकर वह हल्का महसूस करेगा। यदि शहद एक साल पुराना हो उपचार अधिक लाभकारी साबित होगा।
- अस्थमा रोगियों को एसेंसयुक्त तथा प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
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