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TDS क्या है? जानें
हमारी सैलरी को कई सारे भाग में विभाजित किया जाता है। कुछ हिस्सा हमें हर महीने सैलरी के रूप में मिलता है। तो कुछ हिस्सा कट जाता है। टीडीएस भी इन्ही हिस्सों में से एक है। अगर आपकी सैलरी में से भी टीडीएस कटता है तो आपको कुछ बातों पर गौर करना चाहिए। आइए समझते हैं टीडीएस और इससे जुड़े सभी अहम पहलू।
TDS क्या है (What is TDS)
टीडीएस यानि Tax Deducted at Source। यह एक ऐसा टैक्स है जिसे आय में से काटा जाता है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि किसी व्यक्ति की आय के जो भी स्रोत हैं, उसमें से जो टैक्स कटता है उसे टीडीएस कहा जाता है। यह एक अप्रत्यक्ष टैक्स है।
टीडीएस को समझने के साथ-साथ इसके नियमों को जानना भी जरूरी है। टीडीएस लेनदेन और हर व्यक्ति पर लागू नहीं होता है। उदाहरण के लिए, किसी निवासी व्यक्ति का म्युचुअल फंड का भुगतान टीडीएस के अधीन नहीं है, लेकिन एक अनिवासी भारतीय के लिए यह भुगतान टीडीएस के अधीन आता है।
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कब नहीं कटता है TDS
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि ईपीएफ को अगर आप 5 साल से पहले निकालते हैं तो टीडीएस काटा जाता है। अगर आपकी राशि 50,000 रुपये से कम है तो टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
TDS सभी को देना अनिवार्य है?
फॉर्म 15जी या 15एच जमा कर टीडीएस से बचा जा सकता है। फॉर्म 15 एच वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। यदि कुल आय पर कोई टैक्स नहीं है तो भी इसे जमा किया जा सकता है। फॉर्म 15जी एनआरआई को छोड़कर बाकी हर कोई भर सकता है। इसे तब दायर किया जा सकता है जब कुल आय पर शून्य कर हो।
टीडीएस रिटर्न फाइल
आयकर विभाग की वेबसाइट के मुताबिक टीडीएस रिटर्न फाइल करने से पहले आपके पास डिडक्शन अकाउंट नंबर होना चाहिए। इसके अलावा आपके पास टीडीएस से जुड़े डाक्यूमेंट और डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट भी होना चाहिए।
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