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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हाल-फिलहाल कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले केरल में देखने को मिल रहे हैं। जहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग इस संक्रमण से प्रभावित हैं। कोरोना के साथ ही साथ अब यहां निपाह वायरस ने भी दस्तक दे दी है। कोझीकोड जिले में निपाह वायरस का पहला मामला मिला है। जिससे यहां 12 साल के एक बच्चे की मौत हो गई है।
क्या है निपाह वायरस
निपाह जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैलती है।
ये वायरस सिर्फ उन्हीं जानवरों के जरिए इंसानों में आती है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और कंकाल होते हैं। इंसान से इंसान में फैलने के भी कुछ केस मिले हैं।
पहली बार मलेशिया में सुअर पालने वाले किसानों में इसके लक्षण मिले थे। बंगाल के सिलीगुड़ी में 2001 और फिर 2007 में यह बीमारी सामने आई थी।
ये वायरस काफी हद तक एक खास इलाके में ही रहता है और रोगियों के संपर्क में आने से फैलता है।
निपाह वायरस के लक्षण
WHO के मुताबिक संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण विकसित होते हैं।
इसके बाद चक्कर आना और एन्सेफलाइटिस भी हो सकता है। कुछ लोग असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्याओं का भी अनुभव कर सकते हैं।
गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं। इसके बाद मरीज 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं। ये वायरस 4 से 14 दिनों तक एक्टिव रहता है।
कैसे फैलता है निपाह?
निपाह वायरस संक्रमित सुअरों या फल खाने वाले चमगादड़ों द्वारा फैलता है। लार, पेशाब या मल के जरिए ये फैलता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बांग्लादेश और भारत में यह वायरस आमतौर पर फलों या फलों के उत्पादों (जैसे कच्चे खजूर का रस) का सेवन करने से फैलता है। ये वो फल होते हैं, जो चमगादड़ों के यूरिन या लार से दूषित होते हैं। संक्रमण का सबसे बड़ा कारण यही है।
कैसे रोका जा सकता है वायरस का संक्रमण?
- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अगर निपाह का संदेह है, तो जानवर के परिसर को तुरंत छोड़ दिया जाना चाहिए। इस जगह को क्वारंटीन कर दें।
- लोगों में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए संक्रमित जानवरों को मार दें। जानवर के शवों को किसी एक्सपर्ट की देखरेख में दफना दें।
- संक्रमित खेतों से जानवरों की आवाजाही को अन्य क्षेत्रों में प्रतिबंधित करने से बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है।
- कच्चे खजूर के रस या ताड़ी का सेवन करने से बचें। केवल धुले हुए फलों का सेवन करें, जमीन से आधे-अधूरे फल खाने से बचें।