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क्या है मंकीपॉक्स की बीमारी, जानें इसके बारे में
Ritisha Jaiswal
25 July 2022 11:51 AM GMT
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मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। यह एक तरह का वायरस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातस्थिति यानी की ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है
मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। यह एक तरह का वायरस है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातस्थिति यानी की ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है। पिछले दो सालों से देश इस बीमारी से जूझ रहा है। 75 देशों में फैले इस संक्रमण ने सभी की चिंता और भी ज्यादा बढ़ा दी है। मंकीपॉक्स के मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में इसके 16 हजार से भी ज्यादा मामले पाए गए हैं। इन आकंड़ों में चार मामले भारत के हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि मंकीपॉ्कस क्या है और इसके लक्षणों के बारे में...
कैसे शुरु हुई यह खतरनाक बीमारी?
इंसानों में इस खतरनाक बीमारी की शुरुआत सबसे पहले 1970 में कई गई थी। ऑफ कांगों में एक 9 साल के लड़के को यह बीमारी हुई थी। तब से इसके ज्यादा मामले ग्रामीण और अधिख बारिश वाले क्षेत्रों में ही पाए गए हैं। कांगो बेसिन, विशेष रुप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में, पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका में इसके ज्यादा मामले सामने आए हैं।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक ऐसी फैलने वाली बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत ही आसानी से फैल जाती है। यदि कोई व्यक्ति किसी जानवर के पास जाता है तो वायरस दूषित सामग्री के जरिए मनुष्यों में भी फैल जाता है। चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों में यह रोग बहुत जल्दी फैलता है। शरीर के घाव, तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से भी यह फैल सकता है। इसके अलावा खांसने, छींकने, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा या फिर फफोले छूने पर, संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, कपड़े या फिर बैड इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है।
इसके लक्षण
. बुखार, सर्दी होना ।
. सिरदर्द होना ।
. मांसपेशियों में दर्द रहना।
. पीठ दर्द ।
. लाल चकत्ते।
.गले में सूजन ।
. थकावट होना।
बुखार आने के 1-3 दिन या अधिक रोगी पर एक दाने का विकास होता है। यह दाना चेहरे पर होना शुरु होता है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है।
बीमारी का इलाज
इस बीमारी को कोई उपयुर्क्त इलाज नहीं है। लेकिन इस बीमारी की शंका होने पर नमूना इकट्ठा करके इसे उचित क्षमता के साथ प्रयोगशाला में सुरक्षित रुप से पहुंचाना चाहिए। कारकों के बारे में लोगों में जागरुकखा बढ़ाना और उन्हें उपायों के बारे में शिक्षित करके मंकीपॉक्स जैसी खतरनाक बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है
Tagsमंकीपॉक्स
Ritisha Jaiswal
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