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लाइफस्टाइल : लिवर हमारे शरीर का एक जरूरी अंग है, जिसके बिना जीवित रहना संभव नहीं है। लिवर शरीर के कई से जरूरी काम करता है। जिसमें खून से हानिकारक तत्वों को बाहर निकलना और ब्लड कोलेस्ट्रॉल को रेगुलेट करना आदि शामिल है। हेपेटोमेगाली एंलार्ज लिवर को कहा जाता है, जिसका अर्थ है लिवर का सामान्य साइज से अधिक सूज जाना। लिवर में सूजन किसी अंडरलायिंग प्रॉब्लम का लक्षण हो सकती है जैसे हेपेटाइटिस। अधिकतर, यह लीवर की बीमारी का एक प्रकार है, जिसकी वजह से लिवर इंफ्लेमेशन के साथ सूज जाता है। इसके उपचार के भी कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन पहले इस समस्या के कारण का पता होना चाहिए। सबसे पहले जान लें कि हेपेटोमेगाली के लक्षण क्या हो सकते हैं।
हेपेटोमेगाली के लक्षण
अधिकतर अगर किसी को यह रोग है, तो उनमें लक्षणों को नोटिस करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
पेट का भरा हुआ महसूस होना
पेट में परेशानी
एंलार्जड लिवर के कारण पर भी इसका लक्षणों को नोटिस किया जा सकता है, जैसे:
स्किन या आंखों का पीला होना
थकावट और कमजोरी
जी मिचलाना
वजन का कम होना
हेपेटोमेगाली के कारण
हेपेटोमेगाली के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस लिवर की इंफ्लेमेशन के लिए इस्तेमाल होने वाली मेडिकल टर्म है। यह समस्या एक्यूट या क्रोनिक हो सकती है।
एल्कोहॉल-रिलेटेड लिवर डिजीज: अधिक एल्कोहॉल पीने से लिवर में फैट सेल्स जमा हो सकता है, जिसे डॉक्टर स्टीटोसिस (Steatosis) कहते हैं।
नॉन-एल्कोहॉल-रिलेटेड फैटी लिवर डिजीज: यह कंडिशन भी स्टीटोसिस (Steatosis) का कारण बनती है। लेकिन, यह अधिक एल्कोहॉल का सेवन करने से नहीं होता है। यह आमतौर पर अन्य कंडिशंस जैसे डायबिटीज आदि के कारण होता है।
लिवर कैंसर: कैंसर जिसकी शुरुआत लिवर से होती है, उसे लिवर कैंसर कहा जाता है। यह भी हेपेटोमेगाली का एक कारण हो सकता है।
हेपेटोमेगाली का उपचार कैसे संभव हैं?
हेपेटोमेगाली के उपचार से पहले डॉक्टर इसके कारणों के बारे में जानने पर फोकस करेंगे। इसके लिए वो ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेक्स्ट करा सकते हैं ताकि रोगी को क्या समस्या है, यह पता चल सके। अगर यह कंडिशन गंभीर है, तो डॉक्टर लिवर टिश्यू का सैंपल ले कर लिवर बायोप्सी भी करा सकते हैं। इन टेस्ट्स के परिणामों के अनुसार ही इसका इलाज किया जा सकता है।
हेपेटोमेगाली से बचाव के तरीके
हेपेटोमेगाली से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है, अपने लिवर की देखभाल करना। इसके लिए इन चीजों का ख्याल रखना चाहिए:
दवाईयों का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें और हमेशा डॉक्टर के अप्रूवल के बिना मेडिकेशन के कॉम्बिनेशन को नजरअंदाज करें।
एल्कोहॉल का सेवन सीमित मात्रा में करें।
हानिकारक तत्वों जैसे केमिकल्स के संपर्क में आने से बचें।
अपने निजी ग्रूमिंग टूल्स जैसे रेंजर्स को अन्य लोगों के साथ शेयर न करें। नीडल्स को भी अन्य लोगों के साथ शेयर करने से बचें।
अपने खानपान का ध्यान रखें। अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल करें जिसमें सेचुरेटेड फैट कम हों।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
अपने वजन को सही बनाए रखें।
नियमित फिजिकल जांच कराएं।
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Apurva Srivastav
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