- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- क्या है हीमोफीलिया और...
लाइफ स्टाइल
क्या है हीमोफीलिया और कैसे पता लगाएं इस बीमारी का, जानें
Apurva Srivastav
17 April 2024 2:59 AM GMT
x
लाइफस्टाइल : हर साल 17 अप्रैल का दिन दुनियाभर में वर्ल्ड हीमोफीलिया डे के रूप में मनाया जाता है। जो एक जेनेटिक डिसऑर्डर है। यह रोग, बहुत कम लोगों में पाया जाता है। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है, उनके शरीर से बह रहा खून जल्दी रूकता नहीं है। इस वजह से व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति में रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया सही से काम नहीं करती है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को हीमोफीलिया होने का खतरा ज्यादा होता है।
हीमोफीलिया के मरीजों की संख्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। जहां इसके लगभग 1.3 लाख मरीज हैं। डॉ. मीत कुमार, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम के हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के क्लिनिकल डायरेक्टर से हमने इस बारे में बातचीत की। उन्होंने हीमोफीलिया के प्रकार और इस बीमारी का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी जांचों के बारे में बताया।
हीमोफीलिया के प्रकार
हीमोफीलिया A: क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कमी के कारण होता है।
हीमोफीलिया B: क्लॉटिंग फैक्टर IX की कमी के कारण होता है।
हीमोफीलिया C: क्लॉटिंग फैक्टर XI की कमी के कारण होता है (कम सामान्य और आमतौर पर ए और बी की तुलना में हल्का)। हीमोफीलिया के लक्षण स्थिति की गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
कैसे पता लगाएं इस बीमारी का?
हीमोफीलिया का इलाज करने के लिए पहले जांच जरूरी है। डॉक्टर पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं। हीमोफीलिया का इलाज करने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। यह एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। ब्लड टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि खून के थक्के जमने का प्रॉसेस सामान्य रूप से काम कर पा रहा है या नहीं।
कंप्लीट ब्लड टेस्ट (CBC)
कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट की मदद से हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। हीमोग्लोबिन में रेड ब्लड सेल्स होते हैं। इन सेल्स में ऑक्सीजन, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स पाए जाते हैं। जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है उनका हीमोग्लोबिन भी नॉर्मल ही रहता है। जिन लोगों में हीमोफीलिया के कारण हैवी ब्लीडिंग होती है, उनमें रेड ब्लड सेल्स का काउंट कम हो सकता है।
क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट
ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसी हीमोफीलिया की जांच करने के लिए, क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट किया जाता है। ब्लड टेस्ट के जरिए, हीमोफीलिया और उसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है।
फाइब्रिनोजन टेस्ट
फाइब्रिनोजन टेस्ट की मदद से, ब्लड क्लॉट का पता लगाया जाता है। इसके अलावा प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट भी किया जाता है। इसके अलावा एक्टिवेटेड पार्शियल थ्रोम्बोप्लास्टिन टेस्ट भी किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाते हैं कि ब्लड क्लॉट बनने में कितना समय लगता है।
Tagsहीमोफीलियाबीमारीhemophiliadiseaseजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Apurva Srivastav
Next Story