- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- क्या है ग्लूटेन-फ्री...
लाइफ स्टाइल
क्या है ग्लूटेन-फ्री डायट? क्या हैं इसके नफ़ा-नुक़सान?
Kajal Dubey
12 May 2023 11:54 AM GMT

x
पिछले कुछ सालों से खानपान से जुड़े जिस टेक्निकल टर्म के बारे में हम सबसे ज़्यादा सुनते आ रहे हैं वह है ‘ग्लूटेन-फ्री डायट’. यानी ऐसा खानपान जिसमें ग्लूटेन न हो. आख़िर यह ग्लूटेन क्या है, क्या होता है जब आप ग्लूटेन-फ्री डायट पर शिफ़्ट हो जाते हैं, बता रहे हैं फ़िटनेस और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट रोहित शेलाटकर.
अचानक से हमने ग्लूटेन-फ्री डायट के बारे में सुनना और पढ़ना शुरू कर दिया है. दुनिया के सबसे लोकप्रिय डायट ट्रेंड में ग्लूटेन-फ्री डायट का नाम शामिल हो चुका है. अकेले अमेरिका में लगभग 31 लाख लोग ग्लूटेन-फ्री डायट अपना चुके हैं. भारत में भी यह उतनी ही तेज़ी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है. यही कारण है कि अख़बारों और मैगज़ीन्स में इसके फ़ायदे पढ़ने मिल जाते हैं और सुपर मार्केट्स में इसके ढेरों विकल्प उपलब्ध होते हैं. क्या है ग्लूटेन?
ग्लूटेन गेहूं का प्रोटीन वाला हिस्सा है, जो आटे के गुंधाने में मदद करता है. लैटिन में गोंद के लिए ग्लूटेन इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. पानी के साथ मिलाए जाने पर यह प्रोटीन भी गोंद जैसा ही काम करता है. आटे को चिपचिपा, मुलायम और लचीला बनाने में ग्लूटेन की अहम भूमिका होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है, जो गेहूं और जौ जैसे अनाजों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. वह इन अनाजों के आटे को चिपचिपा बनाता है. इस तरह हम कह सकते हैं कि पास्ता, रोटी और सीरियल्स जैसी खाने की चीज़ों का ग्लूटेन एक महत्वपूर्ण घटक है. ग्लूटेन-फ्री डायट को अपनाने के मुख्य फ़ायदे
पाचन संबंधी तक़लीफ़ों से जूझ रहे और वज़न कम करने के इच्छुक लोगों की इस पसंदीदा डायट के रोहित तीन प्रमुख फ़ायदे बता रहे हैं.
पचाने में आसान: ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा काफ़ी अधिक होती है, जिसके चलते उन्हें पचाने के लिए शरीर को काफ़ी मेहनत करनी पड़ती है. जब आप ग्लूटेन-फ्री डायट अपनाते हैं तो कार्ब्स की मात्रा को काफ़ी कम देते हैं, जिससे कारण आपका भोजन आसानी से पच जाता है. कार्ब्स कम होने के कारण वज़न कम करने में भी आसानी होती है.
बेहतर पोषण देते हैं: ग्लूटेन-फ्री डायट में मोटे अनाज शामिल होते हैं, जैसे-कूटू, अमरांथ या चौलाई के बीज. इनमें पोषक तत्वों की मात्रा काफ़ी अधिक होती है. इसके अलावा प्रोटीन से भरपूर ग्लूटेन-फ्री चीज़ें लंबे समय तक पेट को भरा हुआ रखती हैं, जिसके कारण आप बहुत ज़्यादा नहीं खाते. इस तरह इनडायरेक्टली वज़न कम करने में मदद मिलती है.
सूजन कम करने में कारगर: ग्लूटेन-फ्री चीज़ें खाने से शरीर में सूजन कम से कम होती है. आमतौर पर डेयरी प्रॉडक्ट्स प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-फ्री होते हैं. हालांकि बाज़ार में उपलब्ध फ़्लेवर्ड डेयरी-प्रॉडक्ट्स में एडेटिव्स होते हैं, जिसके कारण इनमें ग्लूटेन आ जाता है. यदि आप ग्लूटेन-फ्री डायट अपनाना चाहते हैं तो आपको पैकेट को डबल चेक करना चाहिए. आमतौर पर डेयरी प्रॉडक्ट्स में थिकनर्स, माल्ट और मॉडिफ़ाइड फ़ूड स्टार्च डाले जाते हैं. यदि आप ग्लूटेन-फ्री डायट पर हैं तो आप दही, पनीर, सॉर क्रीम, मक्खन और घी जैसी ग्लूटेन-फ्री चीज़ें अपने खानपान में शामिल कर सकते हैं.
क्या हैं ग्लूटेन-फ्री डायट अपनाने के नुक़सान?
जैसा कि हम सभी जानते हैं सही डायट वह है, जिसमें सभी ज़रूरी चीज़ों का संतुलन हो. पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री डायट कर शिफ़्ट होकर कहीं न कहीं हम उस संतुलन को डिस्टर्ब कर रहे होते हैं. तो इस डायट के दो संभावित नुक़सान यह रहे.
हम अधिक वसा और शक्कर वाली चीज़ें खाने लगते हैं: बेशक सैद्धांतिक रूप से देखें तो ग्लूटेन-फ्री खानपान काफ़ी लाभदायक होता है, पर एक सच्चाई यह भी है कि ग्लूटेन-फ्री खानपान के ज़्यादातर विकल्पों में फ़ैट (वसा) और शक्कर की काफ़ी अधिक मात्रा होती है. ग्लूटेन-फ्री डायट के नाम पर हम पिज़्ज़ा, चॉकलेट्स और बीयर जैसी चीज़ों का सेवन कर लेते हैं, जिसमें बेशक ज़रा भी ग्लूटेन नहीं होता, पर इसमें कैलोरीज़ की मात्रा काफ़ी ज़्यादा होती है. इतना ही नहीं सैचुरेटेड फ़ैट और शुगर से भी ये चीज़ें भरी होती हैं.
पोषण से जुड़ी गड़बड़ियां भी पैदा होने लगती हैं: इंसानी शरीर को सुचारू रूप से चलते रहने के लिए कार्बोहाइड्रेट्स की आवश्यकता होती है. जब हम ग्लूटेन-फ्री डायट अपना लेते हैं, तब शरीर में कार्ब्स की कमी हो जाती है.
तो आप क्या करें?
ग्लूटेन-फ्री डायट उन लोगों के लिए फ़ायदेमंद साबित होती है, जो सिलिएक नामक बीमारी से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी से पीड़ित लोगों को ग्लूटेन के प्रति एलर्जी होती है. ग्लूटेन से छोटी आंतों को नुक़सान पहुंचता है. ऐसे लोगों को पेट दर्द और दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं. दुनिया में बहुत से लोग हैं, जो सिलिएक से पीड़ित हैं, पर उन्हें इस बारे में पता नहीं होता. अगर आपके बच्चे को पेट दर्द या पाचन संबंधी समस्या रहती है. उसका वज़न, उसकी ऊंचाई उसकी उम्र के बच्चों की तुलना में काफ़ी कम है तो उसकी जांच करवाएं, कहीं ऐसा ग्लूटेन के प्रति एलर्जी के चलते तो नहीं है. अगर ऐसा है तो ग्लूटेन-फ्री डायट अपनाना होगा. अन्यथा ग्लूटेन-फ्री डायट को देखादेखी अपनाने का कोई फ़ायदा नहीं है.
रही बात वज़न कम करने के लिए ग्लूटेन-फ्री डायट पर शिफ़्ट होने की तो इस बारे में अभी और प्रामाणिक शोध किए जाने बाक़ी हैं कि ग्लूटेन से वज़न बढ़ता है. मार्केट या विज्ञापन के प्रभाव में आकर ग्लूटेन-फ्री डायट अपनाना ग्लूटेन खाने से कहीं ज़्यादा नुक़सानदेह हो सकता है, क्योंकि ग्लूटेन-फ्री डायट के नाम पर जंक फ़ूड की एक जमात तैयार हो गई है, जो रेग्युलर डायट की तुलना में कहीं ज़्यादा नुक़सानदेह साबित हो सकती है.
यदि आपको या आपके बच्चे को सच में ग्लूटेन से एलर्जी हो और आपको ग्लूटेन-फ्री डायट अ
Tagsजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़छत्तीसगढ़ न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिसिलाआज का ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsChhattisgarh NewsHindi NewsIndia NewsKhabaron Ka SisilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaper

Kajal Dubey
Next Story