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हर किसी का कठिन परिस्थितियों से सामना करने का तरीका अलग-अलग तरीका होता है। कुछ लोग अधिक भावुक होते हैं, तो कुछ लोग किसी से अपनी बात साझा करके भी रिलैक्स हो जाते हैं। मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो गहनतम पीड़ा में भी स्थिर हो जाते हैं। यह स्थिति किसी बड़े मानसिक आघात या हादसे के बाद आ सकती है। सुख और दुख दोनों ही स्थिति में वे भाव शून्य हो जाते हैं। जिसे जीरो इमोशंस (Zero emotions) या भावनात्मक शून्यता कहते हैं। यह ज्यादा समय तक रहे तो आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
क्या है ज़ीरो इमोशन या भावनात्मक शून्यता?
इस स्थिति में कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को किसी के भी सामने व्यक्त करने में सहज नहीं हो पाता। कई मामलों में तो महिलाओं को कोई इमोशन महसूस ही नहीं होता। इसलिए इसे जीरो इमोशन भी कहा जाता है।
इमोशनल ब्लंटिंग (Emotional Blunting) यानी जीरो इमोशन को एक मानसिक रूप से सुन्न होने वाली स्थिति भी कही जा सकती है। क्योंकि इससे घिरा व्यक्ति अपने जज्बात बाहर निकाल पाने में असमर्थ हो जाता है। अगर आप डिप्रेशन या किसी बड़े ट्रॉमा से जूझ रही हैं, तो यह आपके लिए ज्यादा जटिल स्थिति हो सकती है।
इस पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
तुलसी हेल्थकेयर के निदेशक एवं मनोचिकित्सक,डॉ. गौरव गुप्ता बताते हैं कि मस्तिष्क या आपके हार्मोन में रसायनों के असंतुलन से ऐसी स्थिति बन सकती है। इसकी मुख्य वजह है डिप्रेशन या डिप्रेशन का परिवारिक इतिहास। मूलत: यह सेरोटोनिन या न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन होने के कारण होता है। किसी बहुत करीबी या प्रिय व्यक्ति के निधन के कारण भी आपको इस भावनात्मक शून्यता का सामना करना पड़ सकता है।
क्या हो सकते हैं भावनात्मक शून्यता के कारण
1 दवाइयां ज्यादा लेना :
अगर आप अधिक एंटी डिप्रेसेंट का सेवन करती हैं, तो इससे भी आपको जीरो इमोशन का सामना करना पड़ सकता है। इनके कुछ तत्त्वों से आपके नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है जिस कारण आप कुछ महसूस नहीं कर पाती हैं।
2 डिप्रेशन जूझ रही हों:
जब किसी महिला के मन के अंदर खुद का ही घमासान चल रहा हो। वह बहुत अधिक डिप्रेशन से जूझ रही हो। तो एक ऐसी स्थिति आती है। जब उन्हें बाहर क्या चल रहा है या क्या हो रहा है इन सब बातों से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। न ही वह अपनी बातें शेयर कर पाती हैं।
3 अल्कोहल और ड्रग्स का अधिक सेवन करना :
अगर आप ड्रग्स या अल्कोहल आदि का अधिक सेवन करती हैं तो इससे भी आपके नर्वस सिस्टम पर उल्टा प्रभाव पड़ता है और इससे आपको बाहर क्या हो रहा है इसका फर्क नहीं पड़ता है और एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें आपको सुन्नपन का सामना भी करना पड़ सकता है।
4 पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर :
पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर भी इमोशनल ब्लंटिंग का एक कारण होता है। अगर आपके साथ कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ है तो आपका बाहर की सभी चीजों से मन हट जाता है और आप किसी से बात करना पसंद नहीं करती हैं।
आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है इमोशनल ब्लंटिंग या भावनात्मक शून्यता
इमोशनल ब्लंटिंग के कारण एक महिला खुशी या गम को महसूस करना ही बंद कर देती है। इससे आप के शरीर पर भी काफी ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। जैसे आपको भूख न लगना या एकदम से काफी ज्यादा भूख लगना।
बेचैनी महसूस होना और बाहर की चीजों से एकदम चिड़ महसूस होना, अकेले रहने की चाह रखना आदि। ये सभी चीजें आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती हैं। साथ ही इससे आपका वजन बढ़ सकता है या बहुत कम हो सकता है। भावनात्मक शून्यता का प्रभाव आपकी स्किन पर भी नजर आ सकता है।
सुख-दुख जिंदगी के आवश्यक हिस्से होते हैं और इन दोनों को ही महसूस करना काफी आवश्यक होता है। अगर आप इन्हें महसूस ही नहीं कर पा रही हैं, तो जरूरी है कि आप किसी प्रोफेशनल से हेल्प लें। आपको अपने लाइफस्टाइल में भी बदलाव की जरूरत हो सकती है।