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कोविड-19 ने न सिर्फ हमारे शरीर की सेहत पर असर डाला है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बड़ा झटका लगा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोविड-19 ने न सिर्फ हमारे शरीर की सेहत पर असर डाला है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बड़ा झटका लगा है। एक तरफ डॉक्टर्स और मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कोरोना वायरस को समझने के लिए कई तरह की रिसर्च का सहारा लिया। हालांकि, इसके मानसिक स्वास्थ्य पर हो रहे असर पर ज़्यादा शोध नहीं हुए। कोरोना महामारी ने लोगों में बेचैनी और तनाव के स्तर को बढ़ाया है।डर से घिरे इस समय में जब आप आम ज़ुकाम, खांसी या बुखार होने पर ये नहीं समझ सकते कि ये कोविड है या आम वायरल, वैज्ञानिकों ने इस पूरी उलझन को 'कोरोनाफोबिया' का नाम दिया है, जो यह विशेष रूप से कोविड की वजह से हो रही चिंता से संबंधित है।
कोरोनाफोबिया क्या है?
जैसा कि आप जानते हैं कि जीवन और स्थितियों के विभिन्न पहलुओं से जुड़े भय की स्थिति को फोबिया कहा जाता है। इसी तरह, कोरोनाफोबिया एक नए प्रकार का फोबिया है जो विशेष रूप से कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ है।
कई अध्ययनों में देखा गया है कि वैज्ञानिकों ने कोरोनाफोबिया में देखा है कि एक व्यक्ति में कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने के डर की वजह से मानसिक लक्षणों की ज़रूरत से ज़्यादा चिंता, व्यक्तिगत और काम में हुए नकुसान को लेकर तनाव, वक्त-वक्त पर आश्वासन और सुरक्षा की मांग, सार्वजनिक स्थानों और स्थितियों से बचना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अड़चने
पैदा होने जैसी चीज़ों का अनुभव करता है।
क्या हैं इससे जुड़े लक्षण
दिसंबर 2020 में एशियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, विशेषज्ञों ने कोविड-19 के आतंक से उभरने वाली चिंता के तीन लक्षण पाए हैं। इससे जुड़े कुछ लक्षण ऐसे हैं:
Ritisha Jaiswal
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