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क्लिनिकल डिप्रेशन मानसिक बीमारी का एक गंभीर रूप है, जो सिर्फ एक व्यक्ति को खराब मूड से अधिक गंभीरता से प्रभावित करता है। क्लिनिकल डिप्रेशन एक व्यक्ति को कई तरीके से प्रभावित करता है। जैसे,
सोच
व्यवहार
अनुभव या महसूस करने
जीवन को मैनेज करने के तरीके
आदि।
लेकिन क्लिनिकल डिप्रेशन के डायग्नोसिस का मतलब ये है कि किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण होते हैं जो उनके दफ्तर और घर पर कार्य करने की क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं, जो किसी व्यक्ति को शौक, छुट्टियों या वीकेंड की गतिविधियों, समाजीकरण, रिश्तों समेत आनंद लेने के सभी तरीकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
क्लिनिकल डिप्रेशन की समस्या में भावनाओं से अधिक चीजें शामिल होती हैं। इस समस्या में शारीरिक असामान्यताओं को भी शामिल किया जाता है। इन असामान्यताओं में नींद लेने की कमी, भूख न लगना आदि भी शामिल है।
यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि क्लिनिकल डिप्रेशन में संकेत और लक्षणों का पूरा समूह होता है। इसका रिश्ता दिमाग में होने वाले केमिकल इंबैलेंस या रासायनिक असंतुलन से भी जोड़ा जा सकता है। इस केमिकल इंबैलेंस को भी क्लिनिकल डिप्रेशन की वजह माना जा सकता है।
क्लिनिकल डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms Of Clinical Depression)
क्लिनिकल डिप्रेशन की समस्या को कुछ सबसे सामान्य माने जाने वाले लक्षणों से पहचाना जाता है। इन लक्षणों में लगातार गंभीर और मूड खराब रहना शामिल है।
इसके अलावा, मन में गहरी उदासी या निराशा की भावना बने रहना भी इसका लक्षण होता है। क्लिनिकल डिप्रेशन के लक्षण, गुण या संकेत बहुत हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं :
मन में हमेशा उदासी की भावना बने रहना
सभी शौक और गतिविधियों में रुचि खत्म हो जाना
पसंद के कामों को करने का मन न करना
ऊर्जा के स्तर में कमी आना या थकान बनी रहना
अनिद्रा (सोने में परेशानी) या बहुत अधिक नींद आना
भूख कम लगना और बाद में वजन कम होना
बहुत अधिक भोजन करना, जिसके परिणामस्वरूप वजन बढ़ता है
सुस्त गति से चलना या धीरे-धीरे बोलना
शारीरिक गतिविधि में बढ़ोतरी हो जाना
हाथों को बार-बार अजीब तरीके से घुमाना
हवा में अजीब सी लकीरें बनाना
हमेशा ग्लानि या व्यर्थ हो जाने की भावना
ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
निर्णय लेने में कठिनाई
आत्महत्या के विचार आना
आत्महत्या करने का एक्टिव प्लान तैयार करना
आत्महत्या करने की धुन सवार हो जाना
आदि इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं।
इसके अलावा, क्लिनिकल डिप्रेशन की समस्या के लिए इन लक्षणों का कम से कम दो हफ्ते तक बने रहना जरूरी है। इन लक्षणों के शुरू होने से पहले के अनुभवों और कामकाज के स्तर और समस्या के बाद आए बदलाव की तुलना करना भी बहुत जरूरी है।
समस्या की पहचान के लिए, प्रभावित व्यक्ति की नौकरी, सामाजिक स्थितियों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए। इससे ये पता लगाया जा सकता है कि, क्लिनिकल डिप्रेशन के कारण उन्हें किस स्तर तक हानि हुई है। इसके अलावा, ये लक्षण किसी अन्य मेडिकल स्थिति या नशीले पदार्थ के सेवन के कारण नहीं होने चाहिए।
कई अन्य शारीरिक परिस्थितियां भी हैं जो क्लिनिकल डिप्रेशन के लक्षणों की नकल कर सकती हैं। इन समस्याओं में शामिल हैं,
थायराइड की समस्याएं
ब्रेन ट्यूमर
विटामिन की कमी होना
आदि।
क्लिनिकल डिप्रेशन का निदान (Diagnosis Of Clinical Depression)
क्लिनिकल डिप्रेशन की पहचान प्रारंभिक स्तर पर शारीरिक परीक्षण, लैब टेस्ट और अन्य उपायों से की जाती है। जैसे कि थायराइड की समस्या के लिए किसी शारीरिक स्थिति का पता लगाया जाता है।
इसके बाद, आपको मनोचिकित्सक या अन्य मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास भेजा जा सकता है। मनोचिकित्सक इस दौरान आपके दिमाग की सही स्थिति का पता लगाने के लिए कई तरह की जांचें कर सकता है। इनमें शामिल हैं,
मनोरोग का मूल्यांकन
इसमें वर्तमान लक्षणों का इतिहास और आपके विचारों, भावनाओं और व्यवहारों का आंकलन शामिल है। आपको लिखित रूप में कुछ सवालों के जवाब देने के लिए कहा जा सकता है।
पारिवारिक इतिहास
इसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि, क्या आपके परिवार में किसी मानसिक बीमारी का इतिहास रहा है?
डायग्नोस्टिक मूल्यांकन
यह आपके लक्षणों की जांच DSM-5 की तुलना में करता है। DSM-5 डायग्नोस्टिक का एक टूल है, जिसे मेंटल डिसऑर्डर की जांच का डायग्नोस्टिक और स्टेटिकल मैनुअल कहा जाता है।
क्लिनिकल डिप्रेशन के कारण (Causes Of Clinical Depression)
क्लिनिकल डिप्रेशन का सटीक कारण अज्ञात है, कोई भी शख्स मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर से पीड़ित हो सकता है। हालांकि, क्लिनिकल डिप्रेशन से जुड़े कुछ कारणों का पता लगाया जा चुका है, इनमें शामिल हैं :
बायोकेमिस्ट्री
दिमाग में खास रसायनों की मौजूदगी को डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
जेनेटिक्स
डिप्रेशन को परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलने के लिए जाना जाता है, स्टैनफोर्ड मेडिसिन के अनुसार, यदि आपके माता-पिता क्लिनिकल डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, तो आपको डिप्रेशन होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक हो जाती है।
माहौल
बचपन में हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा के संपर्क में आने वाले लोगों में डिप्रेशन की संभावनाएं बढ़ सकती है। गरीबी या अभाव युक्त जीवन जीने वाला शख्स में भी क्लिनिकल डिप्रेशन पनपने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
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