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सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के बारे में अक्सर हममें से कई लोग नहीं जानते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कैंसर ( Cancer) एक जानलेवा बीमारी है, ये अलग अलग रूपों में लोगों में पाया जाता है. हालांकि अगर वक्त रहते कैंसर के बारे में पता लग जाए तो कैंसर का इलाज काफी हद तक संभव भी है. कई स्टडीज में सामने आया है कि आजकल पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कैंसर अधिक हो रहा है. इतना ही नहीं महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) का रूप अधिक देखा जाता है. सर्वाइकल कैंसर का बचाव और इलाज दोनों संभव होते हैं. हालांकि अक्सर महिलाओं के इस कैंसर के बारे में पता ही नहीं होता है, जिसका कारण एक रूप उनको इस कैंसर के बारे में जानकारी का ना होना भी होता है. कुछ रिपोर्ट की मानें तो सर्वाइकल कैंसर (what is Cervical Cancer) से बचने के लिए इसके टीकाकरण को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने और नियमित स्क्रीनिंग की आवश्यकता है-
जानिए क्या होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में काफी पाया जा रहा है. ये कैंसर सर्विक्स की कोशिकाओं को इफेक्टिट करने का काम करता है. ये सर्विक्स यूट्रस के निचले हिस्सा है जो वेजाइना से जुड़ा होता है. बता दें कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के इस पार्ट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. वैसे कई रिपोर्ट्स में माना गया है कि इस कैंसर का रूप ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के अलग-अलग तरह के एचपीवी स्ट्रेन्स के कारण होने का चांस अधिक होता है.
शुरुआती स्तर पर पता लगाना है संभव
रिपोर्ट की मानें तो सर्वाइकल कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगाया जा सकता है. इस कैंसर का 10 से 15 साल तक प्री-कैंसरस स्टेज रहता है.इसको पैप स्मियर जैसी सामान्य जांच से आसानी से पता लगाया जा सकता है.रिपोर्ट की मानें तो 30 साल के बाद महिलाओं को एचआईवी टेस्ट भी करवाना चाहिए.
क्या है सर्वाइकल कैंसर का कारण
सर्वाइकल कैंसर में हाई रिस्क ह्यूमन पैपिलोमा वायरस का एक रूप होता है. अगर एचपीवी के संपर्क में महिला आती है तो इसके शरीर का इम्यून सिस्टम असर होता है. जबकि कुछ महिलाओं का इम्यून सिस्टम उस वायरस रोक नहीं पाता या फिर समाप्त नहीं कर पाया. अगर अधिक वक्त तक हाई रिस्क एचपीवी के संपर्क में रहा जाता है तो इस कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है. हालांकि इस कैंसर का शुरुआती कोई लक्षण महसूस नहीं होता है. इसके लक्षण उच्च स्तर पर पहुंचकर ही समझ आते हैं.इसलिए वक्त वक्त पर जांच करवाते रहना चाहिए. पीरियड्स में अनियमितता, पीरियड्स के अलावा भी ब्लीडिंग होना, फिजिकल होने के बाद ब्लीडिंग होना आदि सर्वाइकल कैंसर के लक्षण माने गए हैं.
सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए एचपीवी से बचाव का टीका लगवाना चाहिए.हालांकि टीके के बाद भी नियमित स्क्रीनिंग जरूरी है. इस कैंसर को लेकर महिलाओं का जगरूक होना बहुत ही आवश्यक है.
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