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लाइफ स्टाइल
क्या होती है ब्लॉक फीडिंग, कैसे करती है ये टेक्निक ब्रेस्टमिल्क ओवर सप्लाई को कंट्रोल
Neha Dani
4 Aug 2022 9:17 AM GMT
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शिशु को उसी ब्रेस्ट से फीडिंग करवाई जाती है तब भले ही ब्रेस्ट हाफ फुल हो तब भी शिशु की भूख को सेटिस्फाई कर सकता है।
क्या आप की बॉडी आपके शिशु की रिक्वायरमेंट से ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क बना रही है? अगर ऐसा है तो ब्रेस्ट मिल्क की ओवर सप्लाई की वजह से ब्रेस्टफीडिंग आपके लिए काफी पेनफुल हो सकती है। इस पेनफुल ब्रेस्टफीडिंग से बचने के लिए एक्सपर्ट्स ब्रेस्टफीडिंग के लिए बेबी-लेड नर्सिंग सजेस्ट करते हैं जिसके अनुसार जब शिशु एक ब्रेस्ट से फीडिंग फिनिश कर ले तभी दूसरे ब्रेस्ट से फीडिंग कराई जाए। लेकिन अगर ब्रेस्ट्स में जरूरत से ज्यादा मिल्क प्रड्यूस होने लगे तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स ब्लॉक फीडिंग की सलाह देते हैं ताकि ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई को एडजस्ट किया जा सके। इस आर्टिकल के जरिए हम बात करेंगे ब्लॉक फीडिंग टेक्निक की जो निसंदेह आपके लिए बहुत हेल्पफुल साबित होगी।
क्या है ब्लॉक फीडिंग
जैसा कि आप जानते हैं ब्रेस्ट शिशु की डिमांड के अकॉर्डिंग मिल्क प्रड्यूस करते हैं ऐसे में जब शिशु दोनों ही ब्रेस्ट से बार-बार फिड करता है तब ब्रेस्ट हाफ-फुल होने के बावजूद भी मिल्क लगातार बनता रहता है जिस वजह से ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई जरूरत से ज्यादा हो जाती है। जिससे मां को ब्रेस्ट पेन, ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट, मैस्टाइटिस ( स्तन में सूजन) और मिल्क डक्ट्स ब्लॉक( दूध की गांठ ) जैसी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। इन प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए डॉक्टर्स ब्लॉक फीडिंग टेक्निक सजेस्ट करते हैं, जिसमें शिशु को तकरीबन 3 घंटों के फीडिंग सेशन में हर बार एक ही ब्रेस्ट से फीडिंग कराई जाती है उसके बाद ही दूसरे ब्रेस्ट से फीडिंग कराई जाती है। इस तकनीक की मदद से ब्रेस्ट मिल्क ओवर सप्लाई को कंट्रोल किया जाता है।
किन स्थितियों में अपनाएं ब्लॉक फीडिंग, कब करें अवॉइड - ब्रेस्ट मिल्क की ओर सप्लाई को कंट्रोल करने के लिए ब्लॉक फीडिंग टेक्निक का यूज़ करने से पहले यह समझना जरूरी है कि यह सबके लिए नहीं है। डिलीवरी के शुरुआती दिनों में बॉडी को ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के लिए खुद से एडजस्ट होने दे। डिलीवरी के 4 से 6 हफ्तों में ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा बढ़नी शुरू होती है जो शिशु के विकास के लिए जरूरी है। इस दौरान ब्लॉक फीडिंग अवॉइड करें। जिन मदर्स में ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई शिशु की जरूरत के हिसाब से कम हो उन्हें ब्लॉक फीडिंग से बचना चाहिए।
इन परिस्थितियों में ब्लॉक फीडिंग को कंसीडर करें:
1. अगर शिशु में ब्रेस्टफीडिंग के समय कफिंग, गैगिंग ( मुंह से दूध बाहर निकालना) और गल्पिंग ( जल्दी-जल्दी दूध निकलना) जैसे लक्षण दिखाई दे।
2. अगर लगातार ब्रेस्ट से ब्रेस्ट-मिल्क लीक हो।
3. प्रॉपर ब्रेस्टफीडिंग सेशन्स के बावजूद ब्रेस्ट में दूध की अधिकता महसूस हो।
कैसे काम करती है ब्लॉक फीडिंग टेक्निक-
ब्लॉक फीडिंग के दो मुख्य काम होते हैं, पहला ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट( स्तन के बढ़ते आकार) को कम करना। जब एक बार ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट का लोवर लेवल आ जाता है तो यह ब्रेन को मिल्क सप्लाई स्लो करने का सिग्नल दे देता है। दूसरा यह टेक्निक शिशु को गैगिंग या दूध मुंह से बाहर निकालने की समस्या से बचाती है इसके अलावा यह फोरमिल्क और हाइड मिल्क के बैलेंस को कवरअप करती है। एक फीडिंग सेशन के दौरान जब दोबारा शिशु को उसी ब्रेस्ट से फीडिंग करवाई जाती है तब भले ही ब्रेस्ट हाफ फुल हो तब भी शिशु की भूख को सेटिस्फाई कर सकता है।
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