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प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने का क्या मतलब?

Triveni
26 Dec 2020 7:20 AM GMT
प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने का क्या  मतलब?
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गर्भावस्‍था में डॉक्‍टर की सलाह पर सेक्‍स कर सकते हैं लेकिन अगर सेक्‍स के बाद योनि से ब्‍लीडिंग होने लगे तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गर्भावस्‍था में डॉक्‍टर की सलाह पर सेक्‍स कर सकते हैं लेकिन अगर सेक्‍स के बाद योनि से ब्‍लीडिंग होने लगे तो यह चिंता का विषय हो सकता है। कई बार सेक्‍स के बाद प्रेगनेंट महिलाओं को वजाइनल ब्‍लीडिंग होती है। इसे देखकर वो अक्‍सर परेशान हो जाती है और इसके कारण को समझ नहीं पाती हैं। इसलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगें कि सेक्‍स के बाद वजाइनल ब्‍लीडिंग क्‍यों होती है और क्‍या ऐसा होना नॉर्मल होता है।

प्रेग्‍नेंसी में वजाइनल ब्‍लीडिंग नॉर्मल है
गर्भावस्‍था के 20वें सप्‍ताह के बाद हल्‍की या ज्‍यादा किसी भी तरह की ब्‍लीडिंग होना नॉर्मल बात नहीं होती है। ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्‍टर से बात करनी चाहिए। ज्‍यादा घबराएं नहीं क्‍योंकि हर बार ब्‍लीडिंग का मतलब किसी खतरे से नहीं होता है। अगर आपको एक बार प्रेग्‍नेंसी में सेक्‍स के बाद ब्‍लीडिंग हो गई है तो गर्भावस्‍था तक सेक्‍स करने से बचें।
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प्रेग्‍नेंसी में वजाइनल ब्‍लीडिंग के कारण
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉ‍जिस्‍ट के अनुसार प्रेग्‍नेंसी के पहले 12 हफ्तों में 15 से 25 फीसदी महलिाओं को ब्‍लीडिंग होती है। गर्भवती महिलाओं को निम्‍न कारणों से ब्‍लीडिंग हो सकती है।
गर्भाशय की लाइनिंग में फर्टिलाइज एग के इंप्‍लांट होने के बाद आपको हल्‍की ब्‍लीडिंग हो सकती है। इसमें आपको 2 से 7 दिनों तक हल्‍दी ब्‍लीडिंग हो सकती है।
महिला के गर्भाशय ग्रीवा के मुलायम होने पर तेजी से सेक्‍स करने पर इसमें चोट लग सकती है जिससे ब्‍लीडिंग हो जाती है।
प्रेग्‍नेंसी में मां और बच्‍चे की बढ़ी हुई ऑक्‍सीजन की पूर्ति के लिए कुछ छोटी रक्‍त वाहिकाएं बनती हैं। इनमें से कुछ नसें योनि और गर्भायाय ग्रीवा में बनती हैं। से बहुत नाजुक होती है और सेक्‍स के दौरान आसानी से रप्‍चर हो सकती हैं।
प्रेग्‍नेंसी में योनि में दर्द महसूस होता है तो जान लें इसके कारण और उपाय
प्रेग्‍नेंसी में कई कारणों से योनि में मामूली या गंभीर दर्द महसूस हो सकता है। इसके कुछ कारण हैं :
गर्भाशय के बढ़ने की वजह से योनि में दर्द होना आम बात है। गर्भ में शिशु को जगह देने के लिए गर्भाशय फैलता है जिससे योनि और आसपास की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है।प्रेग्‍नेंसी में हार्मोनल बदलाव आते हैं जिससे योनि में सूखापन हो सकता है। इस ड्राइनेस की वजह से योनि में खासतौर पर सेक्‍स के दौरान दर्द हो सकता है।गर्भ में शिशु का आकार बढ़ने पर पेल्विक हिस्‍से की लिगामेंट्स में खिंचाव आता है। इससे योनि के आसपास के लिगामेंट्स और मांसपेशियां बहुत ज्‍यादा खिंच जाती हैं। शिशु के वजन का भार पेल्विक हिस्‍से पर पड़ता है जिससे योनि में हल्‍का दर्द महसूस होता है।

इसके अलावा प्रेग्‍नेंसी में योनि और यौन अंग के बाहरी हिस्‍सों में दर्द महसूस हो तो इसका कारण संक्रमण हो सकता है। वहीं गर्भाशय ग्रीवा के खुलने पर भी आपको योनि में बहुत तेज दर्द हो सकता है। लेबर पेन शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले गर्भाशय ग्रीवा खुलना शुरू होता है।
पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्‍स की वजह से भी प्रेगनेंट महिलाओं को योनि में दर्द महसूस होता है। इसमें पेल्विक के अंदर और आसपास के अंग कभी-कभी योनि या गुदा की ओर चले जाते हैं। जब योनि पर बहुत तेज दबाव महसूस हो तो इस स्थिति को पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्‍स कहते हैं
प्रेगनेंट महिला को कभी न कभी योनि में दर्द महसूस होता ही है। आप डॉक्‍टरी सलाह के अलावा निम्‍न उपायों से भी दर्द से राहत पा सकती हैं :बैठ जाएं और पैरों को थोड़ा ऊपर उठाकर रखें। इससे योनि पर दबाव कम पड़ेगा।गुनगुने पानी से नहाने पर भी योनि में दर्द सहित कई तरह के दर्द से राहत मिल सकती है।स्विमिंग और योग से शरीर में ब्‍लड सर्कुलेशन ठीक होता है और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। आप इसकी मदद भी ले सकती हैं।

डॉक्‍टर से सलाह लेने के बाद आप किसी प्रोफेशनल व्‍यक्‍ति से पेल्विक हिस्‍से की मालिश करवा सकती हैं। इससे पेल्विक और योनि की मांसपेशियों मजबूत होती हैं जिससे डिलीवरी में आसानी होती है। कीगेल एक्‍सरसाइज रोज करने से योनि में दबाव और दर्द कम होता है। प्रेग्‍नेंसी में रोज कम से कम 30 मिनट एक्‍सरसाइज जरूर करें। इस समय एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। आप चाहें तो प्रेग्‍नेंसी सपोर्ट बेल्‍ट पहन सकती हैं। इससे भी योनि और पेल्विक हिस्‍से में हो रहे दर्द से राहत मिलती है।

वजाइनल ब्‍लीडिंग के अन्‍य कारण
सर्विकल पोलिप्‍स की वजह से भी प्रेगनेंट महिलाओं को सेक्‍स के बाद ब्‍लीडिंग हो सकती है। गर्भाशय में बनने वाले पोलिप्‍स नुकसान नहीं देते हैं और शरीर में एस्‍ट्रोजन हार्मोन के ज्‍यादा बनने पर यह बनते हैं। इनमें छोटी रक्‍त वाहिकाएं होती हैं। पोलिप्‍स बहुत नाजुक होते हैं और सेक्‍स के दौरान इसके आसपास दबाव पड़ने पर ब्‍लीडिंग हो सकती है।
कंसीव करने के बाद योनि और गर्भाशय ग्रीवा में खून की सप्‍लाई बढ़ सकती है। सेक्‍स के दौरान गर्भाशय ग्रीवा के ऊपर इस वजह से ज्‍यादा दबाव बन जाता है जिससे हल्‍की ब्‍लीडिंग या स्‍पॉटिंग हो सकती है।
प्रेग्‍नेंसी के दौरान क्‍यों होता है छाती में दर्द, कहीं कोई गंभीर वजह तो नहीं
जैसे-जैसे प्रेग्‍नेंसी बढ़ती है आपके लक्षण भी ज्‍यादा महसूस होने लगते हैं। बढ़ते हुए शिशु के वजन से पेट और फेफड़ों पर भी दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। इस वजह से छाती में दर्द होना नॉर्मल बात है।
छाती में दर्द होने पर आपको सांस फूलना, सोते समय या लेने पर सांस लेने में दिक्‍कत, घबराहट, दिल की धड़कन तेज चलना, लो ब्‍लड प्रेशर और थकान महसूस होती है।

कई बार शरीर में आ रहे बदलावों, डिलीवरी के डर और बच्‍चे की सेहत को लेकर महिलाएं चिंता में आ जाती हैं। अगर मिसकैरेज के बाद आप प्रेगनेंट हुई हों तो यह चिंता और भी बढ़ सकती है।
आपको स्‍ट्रेस या एंग्‍जायटी महसूस हो सकती है। एंग्‍जायटी के कारण आपको छाती में दर्द महसूस हो सकता है। इसके साथ ही आपको छाती में टाइट महसूस होना, चक्‍कर आना, तेज सांसें चलने और ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत हो सकती है
प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती महीनों में उल्‍टी और मतली होना आम लक्षण हैं। शरीर में हार्मोंस में आ रहे उतार-चढ़ाव की वजह से ऐसा होता है।

यदि मॉर्निंग सिकनेस गंभीर रूप ले ले तो इस स्थिति में गर्भवती महिला को छाती में दर्द हो सकता है। जब एसिड की वजह से उल्‍टी होने पर गले में परेशानी हो तो आपको छाती में दर्द महसूस हो सकती है।
भीर लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। अस्‍थमा के कारण छाती में भारीपन, सांस फूलने और छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है।
प्रेग्‍नेंसी में फेफड़ों में संक्रमण, छाती में कफ जमने, गंभीर एलर्जी या निमोनिया के कारण भी छाती में दर्द हो सकता है। नॉर्मल फ्लू या जुकाम में भी ठंड के मौसम में छाती में दर्द हो सकता है।

गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही या तीसरी तिमाही में गैस के कारण छाती में दर्द होना आम बात है। बच्‍चे के पेट पर दबाव पड़ने की वजह से ऐसा होता है। एसिड के पेट से भोजन नली में वापस आने पर सीने में जलन हो जाती है जिससे छाती में दर्द होने लगता है।
अगर छाती में दर्द कम नहीं हो रहा है और ज्‍यादा बढ़ गया है या लेटने या आराम करने पर अन्‍य लक्षण भी महसूस हो रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्‍टर से बात करनी चाहिए। कुछ महिलाओं को हाई ब्‍लड प्रेशर और अन्‍य स्थितियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं जिसका असर दिल पर पड़ सकता है।

सेक्‍स के बाद ब्‍लीडिंग होने पर क्‍या करें
सेक्‍स के बाद वजाइनल ब्‍लीडिंग होना चिंता की बात है। ब्‍लीडिंग होने पर तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं। अगर आपको ज्‍यादा ब्‍लीडिंग के साथ पेट या कमर में दर्द हो रहा है तो आपको एमरजेंसी रूम जाना चाहिए। डॉक्‍टर तुरंत चेकअप कर के आपको ब्‍लीडिंग का कारण बताएंगे।
बचाव का तरीका
प्रेग्‍नेंसी में कई कारणों से सेक्‍स के बाद ब्‍लीडिंग हो सकती है लेकिन बेहतर होगा कि आप पहले से ही इससे बचाव पर ध्‍यान दें। अगर डॉक्‍टर ने आपको प्रेग्‍नेंसी में सेक्‍स करने से मना किया है तो आप डॉक्‍टर से सेक्‍स के लिए कोई सुरक्षित पोजीशन पूछ सकते हैं। सेक्‍स ज्‍यादा तेजी से ना करें।


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