लाइफ स्टाइल

कौन सी बातें माता पिता को बच्चे के सामने कभी नहीं करनी चाहिए।

Teja
25 Jun 2022 11:34 AM GMT
कौन सी बातें माता पिता को बच्चे के सामने कभी नहीं करनी चाहिए।
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जनता से रिश्ता वेब डेस्क न्यूज़ :-एक बच्चे पर सबसे ज्यादा असर उसके माता पिता का होता है। बच्चे किसी चीज को देखकर जितना जल्दी सीखते हैं, उतना वह सिखाने पर भी नहीं सीखते। एक बच्चा अपना अधिकतर समय माता पिता के साथ बिताता है, इसलिए उसके बर्ताव व रहन सहन पर माता पिता का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। बच्चे का पहला स्कूल उसका घर ही होता है और माता पिता उसके पहले टीचर। ये वह स्कूल है जहां से वह बड़ा होने तक बाहर नहीं निकला। हर दिन माता पिता का व्यवहार उसके मन मस्तिष्क पर अपना असर छोड़ता रहता है। इसलिए माता पिता के लिए भी जरूरी है कि वह अपने बच्चे के सामने सोच समझकर पेश आएं। माता पिता को बच्चों के सामने अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा भी यही सीखे। वहीं हर माता पिता को अपने बच्चों के सामने कुछ बातें भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। अभिभावकों की कुछ गलतियां बच्चों के व्यवहार को बिगाड़ सकती हैं और उन्हें पछताने पर मजबूर कर सकती हैं।

भाषा की मर्यादा

बच्चा जब बोलना शुरू करता है तो वह वही बोलता है जो आप अक्सर उसके सामने बोलते हैं। माता पिता की भाषा ही एक बच्चा सीखता है। उसे ये पता नहीं होता कि जो वह सुन रहा है उसका क्या मतलब है, वह गलत है या सही। इसलिए माता पिता को अपने बच्चों के सामने मर्यादित भाषा का उपयोग करना चाहिए। ऐसे शब्द न बोलें जो बच्चा सुनकर दोहराए। भाषा की शैली के साथ ही उसे बोलने के तरीके पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अगर कोई बात माता पिता रूडली कहते हैं तो बच्चा भी अक्सर रूड होकर बात करता है।

व्यवहार न हो गलत

माता पिता का व्यवहार और रहन सहन बच्चे के पालन पोषण पर गहरा असर पड़ता है। अगर माता पिता एक दूसरे, परिवार के दूसरे सदस्यों या दोस्त पड़ोसियों से अच्छे से व्यवहार करते हैं तो बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार करना सीखता है। अगर माता पिता अक्सर लड़ते रहते हैं, किसी का अपमान करते हैं, या अक्सर किसी की बुराई करते रहते हैं तो बच्चा भी लोगों से लड़कर बात करता है, दूसरों का सम्मान नहीं करता और दूसरों में बुराई ढूंढता है।

दिखावा न करें

कई बार बच्चों के सामने पद प्रतिष्ठा का दिखावा करना माता पिता को महंगा पड़ जाता है। वह रुतबे और पद प्रतिष्ठा की बात अक्सर करते हैं, इससे बच्चे के मन में गलत धारणाएं बनने लगती है। बच्चा घमणी, अपनी मन मर्जी का करने वाला और साथी दोस्तों को अपने से कमतर समझने लगता है। वह गलत काम को भी निडर होकर करने लगता है।



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