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क्या है क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम के लक्षण

Apurva Srivastav
20 May 2023 3:56 PM GMT
क्या है क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम के लक्षण
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कई लोगों को हर वक्त थकान महसूस होती रहती है. इस थकान को लोग नॉर्मल समझते हैं और लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं, लेकिन ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. जी हां, हर वक्त थका हुआ महसूस करना क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं. समय के साथ इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता जाता है और कई लोग इसके चलते अपने रोज के काम भी नहीं कर पाते. इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 मई को इंटरनेशनल क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम अवेयरनेस डे मनाया जाता है. आज आपको बताएंगे कि यह सिंड्रोम क्या होता है और लोगों को कैसे प्रभावित करता है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम एक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जो हमारे शरीर के सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करती है. इस बीमारी से जूझ रहे लोग अक्सर अपनी सामान्य गतिविधियां नहीं कर पाते. कई बार वे सिर्फ बिस्तर तक ही सीमित हो जाते हैं. ऐसे लोगों को अत्यधिक थकान और नींद की समस्या होती है. यह बीमारी तब और ज्यादा बढ़ जाती है, जब लोग ज्यादा काम करने की कोशिश करते हैं. कई बार इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोग सोचने और ध्यान केंद्रित करने में समस्या महसूस करते हैं. यह समस्या फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों की बुरी तरह प्रभावित करती है. यह परेशानी महिला और पुरुष दोनों को हो सकती है.
इस बीमारी का खतरा महिलाओं को ज्यादा
हॉपकिन्स मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को यह बीमारी होने का खतरा 4 गुना ज्यादा होता है. इसके अलावा यह बीमारी मिडिल एज वाले लोगों को अपना शिकार बनाती है. हालांकि इसकी चपेट में किसी भी उम्र की महिला और पुरुष आ सकते हैं. यह बीमारी अचानक हो सकती है और इसे ठीक होने में लंबा वक्त लग सकता है. चिंता वाली बात यह है कि अभी तक इस बीमारी के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है.
क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम के लक्षण
– सिरदर्द
– थकान
– कमजोरी
– मसल्स पेन
– जॉइंट्स पेन
– अनिद्रा
– मूड स्विंग
– कंफ्यूजन
– डिप्रेशन
– हल्का बुखार
क्या है इलाज?
क्रॉनिक फैटिग सिंड्रोम का इलाज मरीज की ओवरऑल हेल्थ कंडीशन, मेडिकल हिस्ट्री, बीमारी के लक्षण, दवाओं और थेरेपी की सहनशीलता के आधार पर किया जाता है. इस बीमारी के लक्षण हर मरीज में थोड़े बहुत अलग हो सकते हैं और उसी के अनुसार इलाज किया जाता है. इलाज में दवाएं और थेरेपी का सहारा लिया जाता है, ताकि इस परेशानी से राहत मिल सके.
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