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वास्तव में गठिया एक वात जनित बीमारी है जिसके पीछे मुख्य कारण बॉडी में वात का अनबेलेंस होना माना गया है।
गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय – गठिया जिसे आम बोलचाल में वात के नाम से जाना जाता है, आजकल हर घर में गठिया के पेशेंट मिल ही जाते हैं। गठिया के रोगियों के लिए ठंड के दिन तो जैसे जिंदगी का सबसे कठिन समय हो जाता है क्योंकि सर्दी में ठंड की वजह से शरीर में रक्त संचार सही से नहीं हो पाता है और यह रोग अपना विकराल रूप दिखाने लगता है। उम्र के साथ-साथ गठिया रोग नसों में वैरिकोज भी बना देता है।
गठिया रोग के लक्षण और उपाय – इस रोग में शरीर में टेढ़ापन आता है, हाथ-पैरों की अंगुलियां टेढ़ी हो जाती हैं, जॉइंट्स में सूजन आ जाती है और कमर के नीचे दर्द बहुत बढ़ जाता है। साथ ही हाथों में दर्द बढ़ जाता है और जोड़ों में दर्द होता है। समय के साथ ये दर्द बढ़ता जाता है। यदि समय पर उचित कदम उठाये जाएँ तो गठिया को इस स्थिति तक पहुंचने से रोका जा सकता है। आज हम बात करेंगे की कैसे गठिया के दर्द को खत्म कैसे किया जाए और कैसे इस बीमारी को बढ़ने से रोका जाये, गठिया का अचूक इलाज या गठिया का घरेलू इलाज।
वास्तव में गठिया एक वात जनित बीमारी है जिसके पीछे मुख्य कारण बॉडी में वात का अनबेलेंस होना माना गया है। इसलिए इसका इलाज करवाना है तो बॉडी में वात को बैलेंस करना पड़ेगा। वात को बैलेंस करने के लिए रोगी को खान-पान के ऊपर भी ध्यान देने की जरूरत होती है कई ऐसी चीजें होती हैं जिनको वह खा सकता है लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिसको खाने से परहेज करना चाहिए।
जैसे वात के रोगी को चाय, कॉफी, शराब व मांस, भिंडी, अरबी, उड़द की दाल आदि का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। चावल व दालों का भी कम से कम सेवन करना चाहिए। खटाई युक्त पदार्थ जैसे इमली, दही, अमचूर आदि और ड्राई फ्रूट्स नहीं खाने चाहिए।
तब सवाल उठता है की खाना क्या चाहिए तो आपको ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां, लौकी, तुरई, अंगूर, तरबूज, पपीता और अनार आदि का सेवन करना चाहिए। भोजन तो एकदम हल्का और सुपाच्य होना चाहिए और भोजन में आटे की रोटी, छिलके वाली मूंग की दाल का सेवन करना चाहिए, दलिया आदि का सेवन भी लाभदायक माना जाता है।
गठिया को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार :-
शुरुआती स्तर पर यदि समस्या हो तो हल्दी, मेथी और सोंठ की समान मात्रा लेकर उसका पाउडर बना लें और इसका रोज सुबह शाम खाली पेट शहद के साथ सेवन करें।
फ्रिज का ठंडा पानी न पियें और पानी हमेशा बैठ कर और घूंट-घूंट करके ही पियें।
खाना खाने के 48 मिनट पहले से लेकर खाना खाने के बाद के 90 मिनट तक पानी पीने से बचना चाहिए।
Vagbhatt Vat Rakshak Oil की थोड़ी सी मात्रा लेकर उससे दर्द वाले जगह पर हल्के हाथों से लगाएं, मालिश न करें क्योंकि इससे दर्द बढ़ सकता है।
Vagbhatt Vat Rakshak Ark की 20-25 ml मात्रा को रोज सुबह गरम पानी में डालकर खाली पेट पियें उसके बाद 90 मिनट तक कुछ भी नहीं खाना पीना है।
रोज सुबह और शाम खाना खाने के आधे घंटे पहले Vagbhatt Joint Care Juice की 20 -25 ml मात्रा आधा कप गर्म पानी में मिलाकर लेनी है, इससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा।
हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा भी उपयोग में लिया जा सकता है साथ ही गौमूत्र हरसिंगार अर्क भी लाभदायक है।
शरीर की स्थिति के अनुसार त्रिफला जूस, शहद और त्रिफला चूर्ण, आमला जूस, एलोवेरा जूस आदि उत्पाद वात नियंत्रण के लिए लेने की सलाह दी जाती है।
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Apurva Srivastav
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