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सरसों के ज्यादा सेवन से कौन कौन सी प्रॉब्लम हो सकती है
Apurva Srivastav
2 Jun 2023 5:23 PM GMT

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सरसों हो या सरसों का तेल इसका उपयोग हर भारतीय घरों में व्यापक तौर पर किया जाता है. सरसों का तेल जहां खाना बनाने में उपयोग किया जाता है वही सरसों के दाने खास रेसिपी बनाने में या तड़का लगाने में उपयोग किया जाता है. इससे खाने का टेस्ट भी बेहतरीन होता है. कहते हैं कि फार्च्यून, रिफाइंड और डालडा उपयोग करने से बेहतर है कि सरसों का तेल उपयोग किया जाए. ये पोषक तत्व होते हैं भरपूर होते हैं. सरसों के दाने भी हेल्थी मिनरल्स के भरपूर होते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड की भी बड़ी मात्रा पाई जाती है. ये सब तो हो गए इसके फायदे… लेकिन क्या आप जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा सरसों के दाने या सरसों का तेल उपयोग करने से आपके शरीर को कुछ गंभीर नुकसान भी हो सकता है. आइए जानते हैं सरसों के ज्यादा सेवन से कौन कौन सी प्रॉब्लम हो सकती है.
लंग्स को नुकसान-सरसों के तेल में पाया जाने वाला एक एसिड जिसका नाम इरूसिक एसिड है वो फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है.दरअसल, सरसों अपर रिस्पेरेटरी सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होती है.नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सरसों के तेल का लंबे वक्त तक सेवन करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बना रहता है.
एलर्जी-फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, हर साल लगभग 30,000 अमेरिकियों को गंभीर फूड एलर्जी के इमरजेंसी में इलाज किया जाता है, जिनमें से कम से कम 200 लोग अपनी जान गंवा देते हैं.सरसों की एलर्जी अधिक ध्यान देने वाली बात है.डॉक्टरों का कहना है कि सरसों की एलर्जी सबसे गंभीर एलर्जी में से एक है, क्योंकि इसका सेवन करने से हिस्टामाइन में वृद्धि हो सकती है, और एनाफिलेक्टिक शॉक भी हो सकता है.इसमें पित्ती, सांस फूलना, चक्कर, आंखों में सूजन, चेहरे पर दाने जैे लक्षण नजर आ सकते हैं
हार्ट डिजीज- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों के तेल में उच्च स्तर का इरूसिक एसिड होता है जो आपके दिल के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है और इसे काफी नुकसान पहुंचा सकता है.सरसों के अधिक उपयोग से मायोकार्डियल लिपिडोसिस, या हृदय के फैटी डिेजेनेरेशन के रूप में जानी जाने वाली चिकित्सा स्थिति हो सकती है, जिसमें ट्राइग्लिसराइड्स के निर्माण के कारण हृदय की मांसपेशियों के मायोकार्डियल फाइबर में फाइब्रोटिक घाव विकसित होते हैं.
ड्रॉप्सी रोग- ड्राप्सी रोग सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट के कारण होता है. इससे गुर्दे ह्रदय सहित अन्य अंग कमजोर हो जाते हैं. इसमें सादा पानी भी बचना मुश्किल हो जाता है. शरीर में दूषित पानी जमा होने लगता है, जिससे पेट फूलने की शिकायत हो जाती है.बीएमजे जर्नल्स के अनुसार, 1998 में नई दिल्ली में सरकार द्वारा ड्रॉप्सी के तेजी से बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था
गर्भपात का खतरा-स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को सरसों के तेल या काली सरसों के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कुछ रासायनिक यौगिक होते हैं जो भ्रूण के लिए हानिकारक होते हैं.ऑक्सफोर्ड द्वारा किए गए और यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सरसों में मौजूद रसायन गर्भपात का कारण बन सकते हैं.
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