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क्या हैं सिजोफ्रेनिया जानिए इसके लक्षण और निदान की उम्मीद
Tara Tandi
11 April 2022 6:48 AM GMT
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क्या हैं सिजोफ्रेनिया जानिए इसके लक्षण और निदान की उम्मीद
क्या आपको कई बार यह महसूस होता है कि आप किसी भ्रम में जी रहे हैं या फिर अपनी ही बनाई किसी काल्पनिक दुनिया में रहते हैं, अ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आपको कई बार यह महसूस होता है कि आप किसी भ्रम में जी रहे हैं या फिर अपनी ही बनाई किसी काल्पनिक दुनिया में रहते हैं, अगर जवाब हां में है तो बात चिंता की हो सकती है। जी हां, आप सिजोफ्रेनिया नाम के मनोरोग से पीडित हो सकते हैं।
क्या है सिजोफ्रेनिया -
सिजोफ्रेनिया एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है 'स्प्लिट माइंड'। सिजोफ्रेनिया एक मनोरोग है जो किसी व्यक्ति में मानसिक विकार के बारे में बताता है। सिजोफ्रेनिया के कुछ मरीज एक तरह की काल्पनिक दुनिया या भ्रम की स्थिति में रहते हैं। वास्तविक दुनिया से इनके विचार अलग होते हैं। कई लोग इस बीमारी को स्प्लिट पर्सनैलिटी समझते हैं जबकि ये एक दूसरे तरह का डिसऑर्डर है।ये लोग अपने भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते हैं। जिंदगी से इनकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है और यह किसी भी बात को लेकर बहुत ज्यादा भावुक हो जाते हैं।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण-
इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था और 20 साल की उम्र में दिखाई देते हैं। दोस्तों और परिवार से खुद को अलग कर लेना, दोस्त या सोशल ग्रुप बदलते रहना,किसी चीज पर फोकस ना कर पाना, नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई-लिखाई में समस्या होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
ऩए जीन की खोज से सिजोफ्रेनिया के निदान की उम्मीद-
जर्मनी और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने ऐसे जीन म्यूटेशन की खोज की है ,जो किसी व्यक्ति में सिजोफ्रेनिया होने के खतरे और उसके कारणों के बारे में जानकारी देता है।
शोधकर्ताओं की दो अंतरराष्ट्रीय टीमों ने ऐसे जीन म्यूटेशन की खोज की है, जिनके बारे में उनका कहना है कि वे किसी व्यक्ति में इस बीमारी के विकास की संभावना को प्रभावित करते हैं। करीब 120 और भी ऐसे जीन म्यूटेशन हो सकते हैं, जिनकी इस बीमारी में भूमिका हो सकती है। इस मौलिक रिसर्च का मौजूदा मरीजों को तुरंत फायदा नहीं होगा, लेकिन रिसर्चरों का मानना है कि इससे इलाज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
बर्लिन के चैरिटी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ता और विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित दो पेपर में से एक के सह-लेखक स्टीफन रिप्के कहते हैं, सिजोफ्रेनिया के बारे में हम बिल्कुल ही कम जानते हैं, शून्य के करीब। उन्होंने कहा कि जीन म्यूटेशन की खोज से किसी व्यक्ति में सिजोफ्रेनिया के जोखिम का अनुमान लगाने और दवा के साथ बीमारी का बेहतर तरीके से इलाज करने में मदद मिल सकती है।
फिलहाल, सिजोफ्रेनिया के इलाज से जुड़ी कई दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन वे बीमारी की मूल समस्याओं को खत्म नहीं करती हैं। जिन दवाओं का इस समय इस्तेमाल हो रहा है वे सिर्फ सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करती हैं, वे बीमारी का इलाज नहीं करती।
वैज्ञानिकों ने 2,44,000 सामान्य लोगों और सिजोफ्रेनिया से पीड़ित 77,000 लोगों के डीएनए का विश्लेषण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि जीनोम के 300 हिस्से सिजोफ्रेनिया के खतरे वाले आनुवंशिक के साथ जुड़े हुए हैं। उन हिस्सों के भीतर, उन्होंने 120 जीन की खोज की जो मानसिक विकार पैदा करने में भूमिका निभा सकते हैं।
10 दुर्लभ म्यूटेशनों का पता चला
दूसरा अध्ययन एमआईटी के ब्रॉड इंस्टीट्यूट और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों से बनी स्किमा टीम ने किया। उन्होंने जीन के 10 ऐसे दुर्लभ म्यूटेशनों का पता लगाया जो लोगों में सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ाते हैं। साथ ही, 22 और ऐसे जीन की खोज की जो सिजोफ्रेनिया विकसित करने में भूमिका निभा सकते हैं। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि पूरी दुनिया में हर 300 में से 1 व्यक्ति सिजोफ्रेनिया से प्रभावित होता है।
Tara Tandi
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