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सर्दियों में बढ़ेगा वेस्ट नील वायरस का कहर, रूसी स्वास्थ्य एजेंसी ने दी चेतावनी

Bhumika Sahu
31 Aug 2021 4:04 AM GMT
सर्दियों में बढ़ेगा वेस्ट नील वायरस का कहर, रूसी स्वास्थ्य एजेंसी ने दी चेतावनी
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कोरोना के कहर से जूझ रही दुनिया में वेस्ट नील वायरस (डब्ल्यूएनवी) चिंता का नया सबब बनकर उभरा है। रूस की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी ‘रोसपोत्रेब्नाजोर’ ने सोमवार को सर्दियों में डब्ल्यूएनवी के तेजी से फैलने की आशंका जताई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना के कहर से जूझ रही दुनिया में वेस्ट नील वायरस (डब्ल्यूएनवी) चिंता का नया सबब बनकर उभरा है। रूस की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी 'रोसपोत्रेब्नाजोर' ने सोमवार को सर्दियों में डब्ल्यूएनवी के तेजी से फैलने की आशंका जताई है।

'रोसपोत्रेब्नाजोर' के मुताबिक सर्द और नम वातावरण डब्ल्यूएनवी के प्रसार के लिए जिम्मेदार 'क्यूलेक्स' मच्छरों के प्रजनन के लिए मुफीद माना जाता है। चूंकि, इस बार सर्दियों के लंबे खिंचने और आर्द्रता ज्यादा रहने का अनुमान है, इसलिए मच्छरों की आबादी बढ़ने से डब्ल्यूएनवी के मामलों में उछाल आने का अंदेशा जताया जा रहा है।
क्या है डब्ल्यूएनवी
वेस्ट नील वायरस यानी डब्ल्यूएनवी पक्षियों में पनपने वाला एक जानलेवा संक्रमण है। यह 'क्यूलेक्स' नस्ल के संक्रमित मच्छरों के काटने से इंसानों में फैलता है। डब्ल्यूएनवी के चलते मरीज को तंत्रिका तंत्र संबंधी घातक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
हल्के में लेना घातक
डब्ल्यूएनवी से संक्रमित ज्यादातर मरीज एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) होते हैं। हालांकि, कुछ संक्रमितों को बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ने और लसिका ग्रंथि में सूजन की शिकायत सता सकती है। ज्यादातर मामलों में ये लक्षण खुद चले जाते हैं।
1937 में हुई थी पहचान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक डब्ल्यूएनवी का पहला मामला 1937 में युगांडा के पश्चिम नील जिले में सामने आया था। 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में कबूतरों और कौओं में इसकी मौजूदगी दर्ज की गई थी। बीते पांच दशकों में इससे कई पक्षियों की मौत हुई है।
मस्तिष्क में प्रवेश जानलेवा
विशेषज्ञों की मानें तो डब्ल्यूएनवी का मस्तिष्क में घुसना जानलेवा साबित हो सकता है। दरअसल, यह दिमाग में सूजन यानी 'इंसेफेलाइटिस' का सबब बन सकता है। या फिर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के पास मौजूद ऊतकों को अतिसक्रिय कर 'मेनिंजाइटिस' को जन्म दे सकता है।
बच्चे-बुजुर्ग ज्यादा संवेदनशील
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चे और बुजुर्ग डब्ल्यूएनवी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। यही नहीं, जिन लोगों का प्रतिरोधक तंत्र अंग प्रतिरोपण या कैंसर सहित अन्य जानलेवा बीमारियों के कारण कमजोर पड़ चुका है, उन्हें भी वेस्ट नील वायरस को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
कारगर इलाज उपलब्ध नहीं
विशेषज्ञों ने बताया कि चिकित्सा जगत के पास फिलहाल डब्ल्यूएनवी से बचाव में कारगर कोई टीका या इलाज पद्धति उपलब्ध नहीं है। लोगों के लिए इस वायरस को दूर रखने का सबसे कारगर जरिया मच्छरों से बचाव ही है। तरल पदार्थ का ज्यादा मात्रा में सेवन भी सुरक्षा के लिए अहम है।


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