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अजीबोगरीब व्यंजन: यहां चिकन लेग नहीं खाया जाता है, मेंढक का पैर खाया जाता है, तो कहीं चींटी की चटनी

Bhumika Sahu
30 July 2022 12:05 PM GMT
अजीबोगरीब व्यंजन: यहां चिकन लेग नहीं खाया जाता है, मेंढक का पैर खाया जाता है, तो कहीं चींटी की चटनी
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अजीबोगरीब व्यंजन

जनता से से रिश्ता वेबडेस्क। फूड : हमारे देश में खाने की अलग-अलग वैरायटी मिलती है। साउथ में जहां इटली, सांभर, डोसा पसंद किया जाता है, तो नॉर्थ इंडिया में छोले, भटूरे और कुलचे खाए जाते हैं। इसी तरह से राजस्थान में दाल-बाटी, चूरमा तो गुजरात में ढोकला, फाफड़ा खाया जाता है। लेकिन भारत के दूरदराज इलाकों में कुछ जनजातियां ऐसी हैं जो अजीबोगरीब खाने की डिश खाती है। इनको खाना तो दूर इसके बारे में सुनकर ही हमारा जी मचलाने लगता है। तो चलिए दिल को थाम लीजिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत में मिलने वाली कुछ ऐसी ही अजीबोगरीब डिशेज के बारे में...

चींटी की चटनी
छत्तीसगढ़ में लाल चींटी और उसके अंडों के साथ मसाले डालकर तीखी चटनी बनाई जाती है और इसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। इसका इस्तेमाल किसी डिश गार्निश करने के लिए भी किया जाता है।
शार्क की करी
गोवा में सीफूड की काफी वैरायटी मिलती है। यहां फिश से लेकर प्रॉन्स और क्रैर्ब्स भी खाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोवा में शार्क की करी भी बनाई जाती है। इसके लिए शार्क मछली के बच्चों का उपयोग किया जाता है और यह बहुत महंगी जिश होती है और इसे लोग बड़े चाव से खाते हैं।
फ्रॉग लेग पीस
चिकन लेग पीस के बारे में तो आपने खूब सुना होगा। लोग इसके खूब चटकारे लेकर खाते हैं, लेकिन सिक्किम में लेपचास समुदाय के लोग मेंढक के पैरों को फ्राई करके इसे खाते हैं। कहते हैं कि यह बेहद फायदेमंद होता है इससे पेचिश और पेट संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
डॉग मीट
नागालैंड में कई जगह कुत्ते का मांस बड़े चाव से खाया जाता है। इतना ही नहीं यहां मकड़ी, सूअर, बीफ केकड़े और हाथी का मांस भी खाया जाता है। आदिवासी जनजाति के लोग इसे अपने घर पर भी बनाते हैं।
पोर्क सलाद
पोर्क यानी कि सूअर ज्यादातर विदेशों में खाया जाता है। लेकिन भारत में मेघालय में दोह खलिह नाम की इस डिश को बड़े चाव से खाया जाता और उसमें सूअर का मांस और प्याज के साथ सलाद बनाया जाता है। साथ ही इसका स्वाद बढ़ाने के लिए लोग इसमें नींबू, टमाटर और गाजर का भी इस्तेमाल करते हैं।
खूनी चावल
जी हां, आपने पानी में उबले हुए चावल तो हमेशा ही खाए होंगे। लेकिन मेघालय के उत्तर-पूर्व के जैंतिया जनजाति में चावल को जानवर के खून के साथ पकाया जाता है। साथ ही इसमें सूअर और चिकन का मीट भी डाला जाता है।


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