लाइफ स्टाइल

प्रेगनेंसी की परेशानियों को दूर करने के तरीके

Tara Tandi
2 Oct 2021 9:25 AM GMT
प्रेगनेंसी की परेशानियों को दूर करने के तरीके
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आजकल शादी के बाद बच्चे को लेकर ज्यादातर कपल्स पूरी प्लानिंग के साथ चलते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल शादी के बाद बच्चे को लेकर ज्यादातर कपल्स पूरी प्लानिंग के साथ चलते हैं. कब फैमिली प्लानिंग करनी है और कैसे बच्चे का भविष्य संवारना है, सारी तैयारियां पहले से हो जाती हैं. कंसीव करने के बाद पहले ही दिन से महिला विशेषज्ञ के संपर्क में रहती है, ताकि किसी तरह के कॉम्प्लिीकेशंस न आएं.

लेकिन एक बड़ी समस्या ये है कि आप फैमिली प्लानिंग के लिए तो बेशक रेडी हों, लेकिन महिला कंसीव कर पाएगी या नहीं, इसकी आज के समय में कोई गारंटी नहीं होती. बढ़ती उम्र से लेकर तमाम गलत आदतें प्रेगनेंसी में समस्या पैदा करती हैं. इसलिए अगर आप फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं तो कपल्स को कुछ आदतों को हमेशा के लिए गुडबाय बोल देना चाहिए, ताकि आपकी प्लानिंग के बीच कोई समस्या न आए.

जानिए वो आदतें जो प्रेगनेंसी में समस्या पैदा करती हैं..

स्मोकिंग

महिला हो या पुरुष दोनों के लिए ही स्मोकिंग सही नहीं है. स्मोकिंग से पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी पर फर्क आता है. वहीं महिला के लिए प्रेगनेंसी के तमाम चैलेंजेज बढ़ते हैं. अगर प्रेगनेंसी हो भी जाए तो सिगरेट में मौजूद निकोटीन, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत को प्रभावित करते हैं. इसका बच्चे की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है, साथ ही प्री-मैच्योर डिलीवरी का रिस्क बढ़ जाता है.

शराब

एक समय था जब महिलाएं शराब को हाथ भी नहीं लगाती थीं, लेकिन आज के समय में ये फैशन हो गया है. जो महिलाएं अक्सर ड्रिंक करती हैं, उन्हें कंसीव करने में अन्य महिलाओं की तुलना में काफी परेशानी होती है. प्रेगनेंसी के बाद अगर वो ड्रिंक करती हैं, तो मिसकैरेज का रिस्क बढ़ जाता है. साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे में दिल व दिमाग से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं.

कैफीन

ज्यादा कैफीन लेना भी प्रेगनेंसी के लिए ठीक नहीं होता. तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि कैफीन का असर फर्टिलिटी पर भी पड़ता है. वहीं प्रेगनेंसी के दौरान भी सीमित मात्रा में कैफीन लेने की सलाह दी जाती है. दो कप से ज्यादा कॉफी पीने की आदत प्री-मैच्योर डिलीवरी की वजह बन सकती है.

नींद

आज के समय में महिलाएं घर और नौकरी दोनों संभालती हैं. ऐसे में वे खुद की नींद के साथ समझौता कर लेती हैं. सारी चीजों को व्यवस्थित करने के लिए वे खुद चैन से सो नहीं पातीं. इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ के साथ फर्टिलिटी पर भी पड़ता है. इसलिए नींद के साथ कॉम्प्रोमाइज न करें.

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