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शनि का शुभफल प्राप्ति के उपाय

Sanjna Verma
24 Feb 2024 10:23 AM GMT
शनि का शुभफल प्राप्ति के उपाय
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न वग्रहों में शनि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। शनि की साढ़ेसाती, ढैया, कटक, महादशा एवं अन्तर्दशा में शनि के प्रकोप से बचने के लिए निम्नलिखित में से अपनी क्षमतानुसार कोई भी उपाय किया जा सकता है।
काली गाय की सेवा से शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को काली गाय के मस्तक पर रोली का तिलक लगाएं, सींगों पर मौली बांध पूजन करने के बाद गाय की परिक्रमा कर उसे बूंदी के चार लड्डू खिलाएं।
किसी शुक्ल पक्ष के शनिवार से आरंभ कर वर्ष पर्यन्त प्रत्येक शनिवार को बन्दरों और काले कुत्तों को लड्डू खिलाएं।नीलम रत्न अथवा उसका उपरत्न कटहला, काकानीली, बिल्लौर या नीला स्पाइनल धारण करें। प्रतिदिन सूर्यास्त के पश्चात्ï पश्चिमाभिमुख होकर शनि देव को हाथ जोड़कर निम्नलिखित श्लोक सात या 21 बार बोलें। र्योपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु मे शनि:॥ सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से शनि संबंधी अशुभ फलों में कमी आती है।
शुक्रवार को काले चने भिगो दें। शनिवार को ये चने, काला कोयला और लोहे के पतरे का छोटा सा टुकड़ा एक काले कपड़े में बांधकर तालाब में मछलियों के समीप डाल दें। एक वर्ष तक प्रत्येक शनिवार को यह प्रयोग करें। इस प्रयोग को मोती दान कहते हैं। मांस-मछली खाने वाले यह प्रयोग करें तो प्रयोगावधि (एक वर्ष) में इनका सेवन पूर्ण रूप से छोड़ दें।
प्रत्येक शनिवार बंदरों को मीठी खील, केला, काले चने एवं गुड़ खिलाएं। प्रत्येक शनिवार को काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी मिष्ठान सहित खिलाएं। प्रत्येक शनिवार को सौंफ, खिरेंटी, खस, सुरमा, लोध्र, नागरमोथा, काले तिल, गोंद इत्यादि जल में डालकर स्नान करें। शनिवार को व्रत रखें। नमक रहित भोजन से व्रत खोलें। सूर्यास्त के पश्चात् हनुमान जी का पूजन यथासंभव काले तिल के तेल से दीपक प्रज्जवलित करके करें।
शनिवार को पीपल के वृक्ष के चारों ओर सात बार घूमते हुए कच्चा सूत लपेटें। इस दौरान ‘ऊं शं शनैश्चराय नम: मन्त्र का उच्चारण लगातार करते रहें। शिवोपासना से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को कच्चे दूध में काले तिल डालकर शिवाभिषेक करने से शनि के प्रकोप काल में राहत मिलती है।
प्रतिदिन प्रात: शनि देव के निम्नलिखित दस नामों का उच्चारण करना उत्तम रहता है। कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण:, रौद्रान्तक:, यम:, शौरि:, शनैश्चर:, मन्द:, पिप्पलादेव संस्तुत: तैंतालिस दिन तक कौओं को तेल से चुपड़ी हुई रोटी डालें।शनिवार के दिन अपने हाथ की नाप का 19 हाथ लंबा काला धागा लें। उसे बटकर गले में पहनें।
शनिवार को भैरव का पूजन कर उन्हें देशी शराब चढ़ाकर शनि के प्रकोप से मुक्ति की कामना करें। कभी झूठ न बोलें, चरित्र सही रखें और मांस-मदिरा के सेवन से बचें। बांसुरी में शक्कर (बूरा) भरकर पीपल के नीचे जमीन में दबाएं। शनि का दान पुष्य, अनुराधा या उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में ही करने से फलीभूत होता है।
शनि देव हनुमान भक्तों को पीड़ित नहीं करते, अत: मंगलवार-शनिवार का व्रत कर इस दिन सुन्दर कांड, हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण का पाठ करने के बाद निम्नांकित मंत्र का 151 बार जप करने से शनि जनित कष्टों से बचा जा सकता है- ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
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