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लाइफ स्टाइल
चाहते हैं बच्चा खुद करें अपना काम, इन तरीकों से करें उन्हें प्रेरित
SANTOSI TANDI
7 Sep 2023 9:27 AM GMT
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इन तरीकों से करें उन्हें प्रेरित
हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे आत्मविश्वास से ओतप्रोत रहे और अपना काम करने की जिम्मेदारी लें। कुछ बच्चे सेल्फ मोटिवेटेड होते हैं। उन्हें अपना काम बताने की जरूरत नहीं होती है। वे दिनभर एक्टिव रहते हैं। लेकिन वहीँ कुछ बच्चे होते हैं जो अपने हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। बच्चा हो या कोई बड़ा व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से दूसरों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता एक स्वस्थ व्यक्ति को भी विकलांग बना सकती है। ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों को खुद का काम करने के लिए मोटिवेट किया जाए। ऐसे में आपको इसके लिए माहौल तैयार करने की जरूरत होती हैं क्योंकि बच्चे कम उम्र से ही आत्मविश्वास का विकास करने लगते हैं, जब वे सुरक्षित और प्यार महसूस करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे अपने बच्चों को खुद का काम करने के लिए प्रेरित किया जाए। आइये जानते हैं इनके बारे में...
लक्ष्य निर्धारित करें
रोजाना अपने बच्चे के लिए उनके काम से जुड़ा कोई न कोई लक्ष्य जरूर निर्धारित करें। इससे बच्चे के मन में काम को लेकर उत्साह बन रहता है। बहुत ज्यादा काम बताने की जगह बच्चों को छोटे-मोटे काम दें। जैसे पौधों में पानी देना, अपने जूते जगह पर रखना और अपने स्कूल के कपड़े उचित जगह पर रखना आदि। इन लक्ष्यों को पूरा करने के बाद बच्चों को इनाम के रूप में कुछ स्पेशल चीजें खाने को दे सकते हैं। इससे उनका मन लगा रहता है और अगली बार वह पूरी खुशी के साथ काम करते हैं। अपना स्वयं का काम करने के लिए आप बच्चों की मदद कर सकते हैं ताकि वह अपना सारा काम स्कूल से आने के बाद कर सकें।
अपना काम स्वयं करने दें
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सबसे पहली चीज है कि उन्हें अपना काम खुद करने की आदत डालें। ऐसा करते समय आप उनके हर काम पर अपनी नजर जरूर बनाएं रखें। आप इन कामों में स्कूल का होम वर्क, घर में अपने जूते-चप्पल को सही स्थान पर रखना, स्वयं भोजन करना आदि करना शामिल कर सकते हैं। इन सभी कामों से उनके अंदर आत्म-निर्भरता बढ़ने के साथ अनुशासन भी आएगा। कई बार पेरेंट्स खुद से ही बच्चे के स्कूल के एक्टिविटी बना देते है। ऐसे में आपके बच्चा का काम तो कम हो जाता है लेकिन उससे आपका बच्चा सीख नहीं पाता है। आप अपने बच्चे को समझाएं या फिर उसकी सहायता करे लेकिन उनका काम ना करें। ऐसा करने से आपका बच्चा आलसी हो जाएंगा।
बच्चों के साथ योजना बनाएं
आप अपने बच्चे के साथ घर की सफाई करने का योजना बनाएं। बच्चे से उनके ही अलमारी की सफाई करवाएं, ऐसा करने से बच्चों की अलमारी साफ भी हो जाएंगी। साथ ही बच्चों को बताएं कि उन्हें उनके कोन से कपड़े कहां रखने हैं। ऐसे में जब भी आपके बच्चे अपने कपड़े निकालने जाएंगे उन्हें पता होगा कि उनका कौन सा कपड़ा कहां रखा हुआ है।
जिम्मेदारी दें
आप अपने बच्चे को छोटी-छोटी जिम्मेदारी दें। जैसे उसके खिलौनों को साफ करने के लिए या उसकी किताबों को शेल्फ में सजाने के लिए। जब उसे कोई जिम्मेदारी का काम दिया जाता है, तो वह बहुत खुश होता है, और उसमें नई ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस तरह, वह विभिन्न कार्यों को सीखेगा और अपना आत्म-सम्मान विकसित कर सकता है। वह आपके दिए सारे काम करेगा, क्योंकि वह आपको एक रोल मॉडल के रूप में देखता है।
कामों को प्रतिस्पर्धी बनाएं
बच्चे को अपने काम को लेकर प्रतिस्पर्धी बनाएं। जैसे अगर आपके दो बच्चे है, तो उनमें प्रतिस्पर्ध करें कि अपना काम पहले कौन करता है या अपना होमवर्क पहले कौन खत्म करता है। इस तरह के हेल्दी कॉम्पिटिशन से बच्चों में अपना काम करने के प्रति लगन और सकारात्मकता आती है। काम के अलावा आप बच्चों को दौड़ने या स्पेलिंग टेस्ट के लिए भी प्रोत्साहित कर सकते हैं। हालांकि स्लो काम करने वाले बच्चे को भी अच्छा करने के लिए हमेशा प्ररित करें। इससे बच्चे में अच्छा करने की चाहत बनी रहती है।
अपने फैसले खुद लेने दें
बच्चों को छोटी उम्र से ही अपने लिए फैसला लेना सिखाएं। इन फैसलों में उन्हें क्या खाना है, क्या पढ़ना है, कौन से खिलौने से खेलना है आदि जैसे सवालों के जवाब शामिल हो सकते हैं। उनके अच्छे फैसलों के लिए उनकी प्रशंसा करना न भूलें। ऐसा करने से आपके बच्चे के भीतर आत्मनिर्भरता का भाव पैदा होगा।
बच्चे के काम में रूचि लें
कई बार बच्चे का किसी काम में इसलिए भी मन नहीं लगता है क्योंकि पेरेंट्स उनके काम में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। वे बच्चे को काम करवाना बोझ समझते हैं या उन्हें होमवर्क करवाना एक जरूरत। इन कारणों से बच्चे का भी काम में मन नहीं लगता है। वह भी काम को बस करने के लिए या बोझ समझकर छोड़ देता है इसलिए हमेशा बच्चे के काम में रूचि लें और उन्हें ये प्ररेणा दें कि हर काम को ईमानदारी और पूरी मेहनत से करना चाहिए। इसके लिए आप बच्चे को प्ररेक कहानी सुना सकते हैं या खुद भी उदाहरण बन सकते हैं।
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