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मुंबई: एक्टर विजय वर्मा ने पितृसत्ता से ग्रस्त समाज में "असली मर्द" या "असली आदमी" होने की रूढ़िवादी धारणा को चुनौती दी है। उन्होंने मर्दानगी की रुल बुक से मुक्त होने और मर्दानगी की अधिक समावेशी और सहानुभूतिपूर्ण परिभाषा को अपनाने की आवश्यकता पर जोर डाला।
अपनी अगली 'कालकूट' के टीजर में विजय 'असली मर्द' नामक किताब पकड़े नजर आ रहे हैं। उन्होंने जो पहला नियम साझा किया वह यह है कि एक 'असली मर्द' क्रीम फेस वॉश, बॉडी मॉइस्चराइजर नहीं लगाता है और अगर कोई 'असली मर्द' ऐसा करता है तो उसकी मर्दानगी पर सवाल उठता है।
वह दूसरे नियम का खुलासा करते हैं, जहां वह कहते है कि एक असली आदमी रोता नहीं है। तीसरा, वह बताते हैं कि अगर महिलाएं चाहें तो खुद को ढक सकती हैं, जैसा कि उन्होंने टीज़र में कहा है, "हमारा तो खून ही गरम है। किसी के काबू में नहीं, हम जज़्बातों में बहते हैं जो अपनी मर्जी चलायें सब पर, मर्द उसी को तो कहते हैं।"
एक्टर विजय वर्मा कहते हैं कि पूरी जिंदगी हम असली मर्द बनने के लिए इन नियमों पर चलते हैं लेकिन दूसरों से दूर हो जाते हैं। हैरानी है कि हमें क्या मिलता है। असली मर्द बनने के चक्कर में हम अपनी इंसानियत खो देते हैं। यह बदलने का समय है और आइए रुल्स बुक बदलें।
क्राइम ड्रामा 'कालकूट' में रवि त्रिपाठी का किरदार निभाते हुए विजय एक समान विचारधारा को स्क्रीन पर प्रदर्शित कर रहे हैं।
'कालकूट' की दिलचस्प कहानी के माध्यम से, यह शो इस बात पर भी विचार करना चाहता है कि कैसे सामाजिक मानदंड और प्रणालीगत उत्पीड़न जघन्य अपराधों में योगदान करते हैं। यह विषाक्त मर्दानगी को खत्म करने और गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मान्यताओं को चुनौती देने में निहित है।
27 जुलाई को स्ट्रीम हुई 'कालकूट' जियोसिमेमा पर स्ट्रीम है।