- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- हानिकारक है ज्यादा...
x
आजकल स्मार्टफोन की दुनिया में हर काम टेक्नोलॉजी के जरिए ही हो रहे हैं। टीवी या मूवी देखना हो, बात करना हो, गाने सुनना हो, फिर ओटीटी ने सबकुछ मोबाइल में ही ला दिया है। इसके लिए कुछ लोगों के कान में हर समय ईयरफोन ही लगा रहता है। डिजिटल मीडिया के दौर में ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत अधिक बढ़ गया है। घर से ऑफिस की मीटिंग अटैंड करना, स्कूल की क्लासेस, कोचिंग की ऑनलाइन पढ़ाई का दौर शुरू हो गया है। मेट्रो हो, कैब या फिर सेल्फ ड्राइविंग अधिकतर लोगों के कान में ईयरफोन ऑन ही रहता है। इसका प्रयोग कुछ देर के लिए तो सही है, लेकिन लगातार प्रयोग करने से कानों पर बुरा असर पड़ता है। ईयरफोन से आने वाली आवाज आपके ईयरड्रम को भारी नुकसान दे सकती है।
हाल ही में यूएस के पबमेड सेंट्रल पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुुसार आरमजलान, एलसैम, ए थॉमस, आर सईद और बी लियाब के साझा शोध में मलेशिया की सेलकॉम एसडीएन के ग्राहकों की जांच की गई। इसमें पुराने कान के संक्रमण के 14 मामले और वैक्स से प्रभावित 4 मामले सामने आए। 25 प्रतिशत से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता में कमी पाई गई। यह लोग ईयरफोन लगाकर लगातार सात घंटे कॉल रिसीव करते थे और इसके बाद भी काफी समय ईयरफोन लगाकर गाने सुनने या मोबाइल देखने में बिताते थे।
ईएनटी स्पेश्लिस्ट डॉ देवेंद्र लाल चंदानी बताते हैं कि दरअसल, कान के अंदर एक पर्दा होता है, जिसे ईयरड्रम के नाम से भी जानते हैं। इसमें कई नसें और पार्ट्स होते हैं, जिससे दिमाग जुड़ा होता है। तेज आवाज सुनने पर कान के पर्दे में कंपन होती है और ईयरड्रम पर प्रेशर बढ़ता है। यह सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। आजकल बहुत सारे ऐसे मामले आते हैं, जिसमें लगातार ईयरफोन इस्तेमाल करने से ईयरड्रम को नुकसान पहुंच रहा है। इससे सुनने की क्षमता बहुत तेजी से कम हो रही है।
हो सकती है बहरेपन की समस्या
आप ऑफिस मीटिंग करते समय, पढ़ाई करते वक्त या बात करने के लिए ईयरफोन का यूज़ करते हैं, तो सावधान हो जाइए! देर तक हेडफोन ईयरफोन का प्रयोग करने पर कान में मैल जमा होता है, जिससे कान में संक्रमण, सुनने की समस्या, या टिटनेस की समस्या हो सकती है। ईएनटी डॉ मल्होत्रा कहते हैं, देर तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग करने से आप अपने कानों को बहरा बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ईयरफोन के माध्यम से गाना या मीटिंग करने की आदत आपको बहरा बना सकती है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि इस कारण 2050 तक 70 करोड़ से अधिक लोगों के कान खराब हो जाएंगे। वाइब्रेशन अधिक होने के कारण सुनने वाले सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं। जिससे बहरापन हो जाता है।
तेज आवाज में सुनना कर दें बंद
ईएनटी स्पेश्लिस्ट डॉ अंकुश अरोड़ा के अनुसार, बहरेपन और कान में किसी प्रकार की समस्या से बचाव करना चाहते हैं, तो सबसे पहले तेज आवाज में म्यूजिक सुनना बंद कर दें। सुनना है तो आवाज कम कर लें। आप जो भी हेडफोन या ईयरफोन खरीद रहे हैं वह अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए। इसके साथ यदि आपको महसूस हो रहा है कि आपको कम सुनाई दे रहा है तो ऐसे में तुरंत किसी अच्छे कान के डॉक्टर को दिखाएं।
ईयरफोन के लगातार प्रयोग से नुकसान
▪ दिमाग को नुकसान- लंबे वक्त तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने से दिमाग पर प्रभाव पड़ता है। ईयरफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हमारी दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इसके अलावा तेज म्यूजिक की वजह से दिमाग की कोशिकाओं की ऊपरी लेयर नष्ट हो जाती है जिससे कान और दिमाग का कनेक्शन कमजोर हो जाता है।
▪ बहरापन- लंबे वक्त तक ईयरफोन के इस्तेमाल से आप बहरेपन के शिकार हो सकते हैं। दरअसल देर तक ईयरफोन लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ने लगता है, जिससे नसों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है। वाइब्रेशन की वजह से हियरिंग सेल्स अपने संवेदनशील तक होने लगता है, जिससे आप बहरे भी हो सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 2 घंटे से ज्यादा समय के लिए 90 डेसीबल से अधिक आवाज में गाना सुनते हैं तो वह बहरेपन का शिकार होने के अलावा कई और बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल कानों की सुनने की क्षमता सिर्फ 90 डेसीबल होती है जो लगातार गाने सुनने से समय के साथ 40 से 50 डेसीबल तक कम हो जाती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को दूर की आवाज सुनाई नहीं देती।
टिनिटस- टिनिटस की समस्या भी हो सकती है। ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लगातार कानों के अंदर सीटी बजने या हवा चलने जैसी अवाजें आती है। ये आवाज कानों के सबसे अंदरूनी हिस्से में मौजूद कॉक्लिया सेल्स के नष्ट होने की वजह से आती है।
▪ इंफेक्शन- जब हम कानों में लगातार ईयरफोन लगाते हैं तो उनके ब्लॉब में कानों का वैक्स और दूसरी गंदगी फंसी रहती है। लगातार बिना साफ किए ईयरफोन का इस्तेमाल करने से यह कानों के अंदर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन पैदा कर सकती है। इसके अलावा कई बार ईयरफोन की अदला-बदली भी होती है जिस वजह से भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है।
▪ सिर दर्द- ईयरफोन से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों की वजह से व्यक्ति के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, जिस वजह से उसे सिर में दर्द या नींद ना आने की समस्या होने लगती है।
हेडफोन से अपने कानों को कैसे बचाएं
▪ बहुत लंबे समय तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल न करें।
▪ दोनों के इस्तेमाल के दौरान साउंड नॉर्मल रखें।
▪ खासतौर से हेडफोन किसी के साथ शेयर न करें।
▪ ईयरफोन को बहुत ज्यादा कानों के अंदर एडजस्ट करने की कोशिश न करें।
▪ समय-समय पर इनसे ब्रेक लेते रहें।
▪ ऑनलाइन क्लासेस या सेशन्स की इंटेंसिटी थोड़ी कम रखें। ज्यादा इंटेंसिटी सुनने की क्षमता पर असर डाल सकती है।
▪ ईयरफोन्स हो या हेडफोन हमेशा ब्रांडेड कंपनी के ही यूज करें। लोकल डिवाइस को अवॉइड करना बेहतर है।
हेडफोन हैं ईयरफोन से कम हानिकारक
ईयरफोन या हेडफोन का प्रयोग करते हैं तो आज जान लीजिए कौन कान के अधिक सही है। ईयरफोन को कान के अंदर लगाया जाता है, कभी-कभी इसे ऊपर से पुश भी किया जाता है अंदर करने के लिए। ईयरफोन लगाने से कान के पर्दे की बीच की दूरी कम हो जाती है। वहीं हेडफोन कान के ऊपर लगाया जाता है। ऐसे में हेडफोन थोड़ा कम नुकसानदायक है, लेकिन यहां ये ध्यान देना जरूरी है की दोनों में से किसी को भी अधिक प्रयोग करना आपको बहरेपन की दहलीज तक पहुंचा सकता है।
Next Story