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Unknown Facts about Panipuri: जिन गोलगप्पों को चटोरे बड़े शौक से खाते हैं, महाभारत काल में द्रौपदी ने किया था उनका आविष्कार
Shiddhant Shriwas
23 May 2022 4:12 PM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गोलगप्पे का नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है. गोलगप्पे एक मशहूर स्ट्रीट फूड है. पानी और आलू से भरी पानीपुरी (Panipuri) बहुत ही स्वादिष्ट होती है. गोलगप्पों को अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. कहीं इसे पानीपुरी और गुपचुप तो कहीं इसे पुचका के नाम से जाना जाता है. गोलगप्पों को आलू, चना, तीखी और मीठी चटनी के साथ परोसा जाता है. महिलाओं को गोलगप्पों का बहुत शौक होता है. देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी भारत में गोलगप्पों का आनंद जरूर लेते हैं. लेकिन शायद बहुत से लोग ये नहीं जानते होंगे कि गोलगप्पे की शुरुआत कहां से और कब हुई. दरअसल गोलगप्पों को लेकर कई एतिहासिक और पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं. आइए जानें गोलगप्पों का रोचक इतिहास.
द्रौपदी ने बनाए थे पहली बार गोलगप्पे
गोलगप्पों का संबंध महाभारत के समय से बताया जाता है. कहा जाता है कि द्रौपदी ने पहली बार पांडवों के लिए गोलगप्पे बनाए थे. दरअसल शादी के बाद जब पांडवों के साथ द्रौपदी ससुराल पहुंचीं तो कुंती ने बहू द्रौपदी को परखने के लिए उनकी परीक्षा ली. क्योंकि उस समय पांडव वनवास पर थे. उनके पास ज्यादा कुछ खाने के लिए नहीं होता था. ऐसे में कुंती ये परखना चाहती थीं कि उनकी बहू द्रौपदी घर को संभालने में कितनी कुशल है. ऐसे में कुंती ने कुछ बचे हुए आलू, मसाले और थोड़ा सा आटा द्रौपदी को दिया. ये सामग्री देते हुए कहा कि इससे कुछ स्वादिष्ट व्यंजन बनाओं. ऐसा जिससे की पांचों पांडवों का पेट भर जाए. कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा जो पांचों पांडवों को पसंद आए. ऐसे में द्रौपदी ने आटे की पूरी बनाकर इसमें आलू और तीखा पानी भरकर परोसा. ये तरकीब काम कर गई. पांडवों को गोलगप्पे बहुत पंसद आए और उनका पेट भी भर गया था. इससे कुंती भी काफी प्रसन्न हुई थीं. ऐसे गोलगप्पे बनाने का आइडिया आया. ऐसा माना जाता है कि इस तरह हुआ था पानीपुरा का आविष्कार
मगध से आई पानीपुरी
ऐसा भी माना जाता कि गोलगप्पों की शुरुआत मगध से हुई. मगध बिहार का एक क्षेत्र है. आज इसे दक्षिणी बिहार के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता कि पहली बार पानीपुरी मगध में बनाई गई थी. उस समय इसे किस नाम से जाना जाता है इस बात का कोई अंदाजा नहीं है. लेकिन कई जगहों पर इसके प्राचीन नाम फुल्की का उल्लेख किया गया है
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