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कोविड वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में अगला चरण बच्चों को वैक्सीन लगाने का है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोविड वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में अगला चरण बच्चों को वैक्सीन लगाने का है. पूरी दुनिया में दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन बच्चों को वैक्सीन लगाना कोई आसान काम नहीं है. एकदम छोटे बच्चों को जिस उम्र में अनिवार्य वैक्सीन लगाई जाती हैं, उस वक्त वो इतने छोटे होते हैं कि पैरेंट्स और डॉक्टर दोनों का उन पर पूरा कंट्रोल होता है. लेकिन बड़े बच्चों को वैक्सीन लगाना कोई हंसी-खेल नहीं.
कुछ ऐसी ही चुनौती का सामना इंग्लैंड में डॉक्टरों को करना पड़ रहा था. बच्चों को वैक्सीन लगाने की कोशिश में बच्चे काफी रोते, चीखते-चिल्लाते, हाथ-पैर पटकते, छूटकर भागने की कोशिश करते.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये था कि इन बच्चों को वैक्सीन लगाने के काम को आसान और मजेदार कैसे बनाया जाए. कुछ भी हो, इतनी तेजी से चुभने और बाद में देर तक दर्द करने वाली वैक्सीन कोई मजेदार अनुभव तो नहीं है.
बच्चों को वैक्सीन लगाने का अनोखा तरीका
ऐसे में इग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने एक बहुत रोचक और मजेदार रास्ता निकाला. NHS ने बच्चों को टीका लगाने के लिए अस्पताल और डॉक्टरों के क्लिनिक की बजाय जगह चुनी जू यानि चिडि़याघर. वहां ढेर सारी भेड़ों और उनके छोटे-छोटे छौनों को इकट्ठा किया गया. वो जंगल में रहने वाली भेड़ें नहीं हैं. मनुष्यों के बीच रहने वाली भेड़ें हैं, जिन्हें बहुत अच्छा लगता है कि लोग उन्हें सहलाएं, उनकी पीठ थपथपाएं, बच्चे उनके साथ खेलें. रोएंदार, झबरीली भेड़ों का बच्चों पर काफी सकारात्मक असर भी पड़ता है. शायद यही कारण था कि NHS ने किसी और जानवर की जगह बच्चों के लिए भेड़ों को चुना.
अब जब मम्मी-पापा अपने बच्चों को वैक्सीन लगावाने के लिए ले जा रहे थे तो उन्हें ये नहीं कहा गया कि हम डॉक्टर के पास सूई लगावाने जा रहे हैं. बच्चों को कहा गया कि हम चिडि़याघर में भेड़ें देखने जा रहे हैं.
बच्चे वहां खुशी-खुशी भेड़ों को देखने, उन्हें सहलाने और उनके साथ खेलने में व्यस्त हो जाते थे और इसी बीच मौका देखकर उन्हें धीरे से वैक्सीन लगा दी गई. इससे पहले कि वो कुछ समझें काम हो भी गया. चूंकि उस वक्त बच्चे खुश और पॉजिटिव स्टेट में थे, हैपी हॉर्मोन उनके शरीर में डॉमिनेट कर रहे थे तो उन्हें वैक्सीन लगने का ज्यादा दर्द भी महसूस नहीं हुआ. और जो थोड़ा बहुत रोए-गाए भी, वो भी तुरंत ही भेड़ों के साथ खेलने में व्यस्त हो गए.
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