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कजरी या कजली तीज व्रत भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. इस वर्ष ये व्रत और शुभ दिन 25 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. ये व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं.
इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और तरह-तरह के डिशेज बनाती हैं. इसके अलावा, वो उनका आशीर्वाद लेने के लिए भगवान महादेव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. विवाहित महिलाओं को इस दिन माता पार्वती को साड़ी, बिंदी, चूड़ियां आदि समेत सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए. ऐसा करने से वो विशेष आशीर्वाद देती हैं और दांपत्य जीवन में सामंजस्य बिठाती हैं.
तो जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहा है, हम आपके डी-डे पर आपको खूबसूरत दिखने में मदद करने के लिए यहां हैं. आइए देखते हैं :
साड़ी – सुबह जल्दी उठकर उबटन, चंदन आदि से नहा लें और साड़ी या लहंगा चुनरी पहनें.
बिंदी- विवाहित महिलाओं के लिए माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाना शुभ माना जाता है.
सिंदूर – सिंदूर सभी विवाहित महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है.
काजल – पारंपरिक रूप से काजल से आंखों का मेकअप किया जाता है. इसे लगाने से आंखों की खूबसूरती तो बढ़ती ही है साथ ही इससे आंखों के विकार भी दूर होते हैं.
मेहंदी- इस महीने मेंहदी लगाना शुभ माना जाता है.
चूड़ियां – इन्हें हाथों की सजावट के लिए पहना जाता है. लाल रंग की चूड़ियां पहनना अधिक शुभ माना जाता है.
मंगल सूत्र – सिंदूर की तरह ही मंगल सूत्र भी सभी विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है. इसके काले मोतियों को बुरी नजर से बचाने के लिए पहना जाता है और इससे जुड़ी सोने की पेंडेंट शुभता के लिए पहनी जाती है.
नाथ – ये नाक को सुशोभित करने के लिए प्रयोग किया जाता है, और दूसरी ओर ये बुध दोष को दूर करने के लिए भी माना जाता है.
गजरा – ये फूलों से बना होता है, जिसे बालों की सुंदरता बढ़ाने के लिए पहना जाता है. ये सुगंध भी फैलाता है.
मांग टीका – इसे बालों के बीच में पहना जाता है. इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है.
झुमके – ये कानों की सुंदरता को बढ़ाते हैं. दोनों कानों में पहने जाने वाले सोने के झुमके राहु-केतु दोष को दूर करते हैं.
अंगूठी – ये हाथों की सुंदरता को बढ़ाती है. हालांकि अनामिका में अंगूठी पहनना अनिवार्य है.
बिछिया – पैर की उंगलियों पर बिछिया पहनी जाती है. ये चांदी का बना होता है क्योंकि कमर के नीचे सोना पहनना हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है और क्योंकि ये माता लक्ष्मी का भी प्रतिनिधित्व करता है.
पायल – पायल भी पैरों में पहनी जाती है. इसे भी चांदी में ही पहना जाता है.
नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.