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पीसीओडी की समस्या से हैं परेशान? इन आयुर्वेदिक टिप्स की लें मदद
SANTOSI TANDI
12 Jun 2023 7:46 AM GMT
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पीसीओडी की समस्या
पीसीओडी की समस्या पिछले कुछ सालों में काफी ज्यादा देखने को मिल रही है। आज के वक्त में लगभग हर दूसरी महिला इस समस्या से परेशान है। पीसीओडी यानी की पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज, जिसकी वजह से महिलाओं के पीरियड्स और फर्टिलिटी दोनों प्रभावित होती है। पीसीओडी में महिलाओं की ओवरी में छोटी-छोटी सिस्ट यानी की गांठे हो जाती हैं। इस गांठों की वजह से शरीर में हार्मोल अंसतुलन भी बढ़ने लगता है। पीरियड साइकिल का अनियमित होना, पीरियड्स में दर्द अधिक होना, कमजोरी महसूस होना, वजन बढ़ना, शरीर में अनचाहे बालों का उगना, ये सभी पीसीओडी के लक्षण हो सकते हैं।
स्ट्रेस, लाइफस्टाइल में बदलाव और खान-पान की गलत आदतों को पीसीओडी की वजह माना जाता है। महिलाओं को पीसीओडी के लक्षणों और इसे ठीक करने के लिए क्या कुछ करना चाहिए, इस बारे में सही जानकारी नहीं हो सकती है, जिसके चलते कई बार ये परेशानी जिंदगी भर बनी रह सकती है। कुछ महिलाएं पीसीओडी के लिए सेल्फ मेडिकेशन ट्राई करती हैं, जो बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ये आपके लक्षणों को और बिगाड़ सकता है। पीसीओडी को ठीक करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक टिप्स को फॉलो करना चाहिए। इस बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर नीतिका कोहली जानकारी दे रही हैं।
पीसीओडी के लक्षणों को कम करने के लिए आयुर्वेदिक टिप्स
एक्सपर्ट की मानें तो आजकल लोग अपने लाइफस्टाइल में बदलाव को लेकर काफी जागरुक हुए हैं लेकिन सिर्फ डाइट में बदलाव आपको पीसीओडी में आराम नहीं दिला सकते हैं।
पीसीओडी के लक्षणों को कम करने के लिए स्लीप साइकिल पर ध्यान देना जरूरी है। नींद हमारी हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है। नींद पूरी न होने का भी हार्मोन्स पर असर पड़ता है pcodआयुर्वेद के अनुसार, हेल्थ के तीन पिलर्स में नींद को एक माना गया है।
आपको कितनी नींद की जरूरत है, ये भी आपके शरीर की प्रकृति पर निर्भर करता है। (बेहतर नींद के लिए उपाय)
आपका शरीर वात, पित्त या कफ प्रकृति का है, इसी आधार पर आयुर्वेद आपकी लाइफस्टाइल तय करता है।
आयुर्वेद के हिसाब से, पीसीओडी के ट्रीटमेंट के लिए आपको किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से अपने शरीर की प्रकृति के बारे में जानकारी अवश्य ले लेनी चाहिए।
साथ ही सेल्फ मेडिकेशन न करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाई लें। पीसीओडी डिसऑर्डर को दूर करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलावों के साथ मेडिकेशन भी जरूरी है।
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इसके अलावा आयुर्वेद के अनुसार, ट्रीटमेंट के लिए आपके 6 महीने में 1 बार रक्तदान जरूर करना चाहिए। इससे आपके शरीर में जो टॉक्सिन्स बन रहे हैं, उन्हें आप निकाल पाएंगे।
आपकी बॉडी की हीट यानी हार्मोन्स को कंट्रोल करने वाला पित्त(पित्त दोष का पीरियड्स पर असर) इससे काफी हद तक बैलेंस रहता है।
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अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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SANTOSI TANDI
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