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आज हैं विश्व शरणार्थी दिवस, जानें क्या हैं महत्व

Triveni
20 Jun 2021 5:30 AM GMT
आज हैं विश्व शरणार्थी दिवस, जानें क्या हैं महत्व
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दुनिया में युद्ध या प्रकृति की विभिषिका (Atrocities of War) से लाखों लोगों को शरणार्थी बनने पर मजबूर होना पड़ता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया में युद्ध या प्रकृति की विभिषिका (Atrocities of War) से लाखों लोगों को शरणार्थी बनने पर मजबूर होना पड़ता है. उनके लिए संयुक्त राष्ट्र हर साल 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाता है. इसे मौके पर दुनिया भर में उन शरणार्थियों के साहस को सम्मान दिया जाता है जिन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था. शरणार्थियों की होना अपने आप में शर्मिंदगी की स्थिति है. शरणार्थियों का बनना प्राकृतिक कम और मानवीय समस्या ज्यादा होती है. इस साल कोविड-19 महामारी के दौर में शरणार्थी उपेक्षित से रह गए, लेकिन इस दौर ने हमें एक साथ रहने का महत्व समझाया है.

यह भी है कोशिश
प्राकृतिक आपदाओं के कारण या फिर युद्ध में हिंसा का शिकार होने से बचने के लिए इन लोगों को अपने घर से दूर यात्रा करनी होती है. ये शरणार्थी सुरक्षित स्थान की तलाश में लंबी दूरी की यात्रा पर अपना सब कुछ छोड़ कर निकल पड़ते हैं और नए सिरे से जीवन जीने की कोशिश करते हैं. इस दिन को मानने का उद्देश्य शरणार्थियों की पीड़ाओं और स्थितियों को समझने के साथ उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करना भी है जो ज्यादातर अपना जीवन एक नए देश में शुरु करते हैं जो उनके लिए पूरी तरह से अनजान होता है.
क्या है 2021 की थीम
साल 2021 के लिए संयुक्त राष्ट्र ने टुगैदर वी हील, लर्न एंड शाइन यानि साथ रह कर हम जख्म भरकर सीखेंगे और चमकेंगे. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने इस बात का अहसास दिलाया है कि हम केवल साथ रह कर ही सफल हो सकते हैं. तमाम चुनौतियों के बाद भी शरणार्थियों ने भी दुनिया भर में स्वास्थ देखरेक की तंत्र में भागीदारी कर अपना योगदान दिया है.
कौन होते हैं शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र के 1951 के रेफ्यूजी कन्वेंशन के मुताबिक वे लोग जो अपना घर और देश उनकी नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी सामाजिक समूह या राजनैतिक विचारधारा से जुड़े किसी भय के कारण छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं, शरणार्थी कहलाते हैं. यह एक बहुत बड़ी दुखद स्थिति होती है. जब लोगों को अपना घर, देश छोड़ कर एक अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ता है. ऐसा केवल युद्ध की वजह से ही नही होता बल्कि प्राकृतिक आपदा, जैसे कि तूफान, बाढ़, भूकंप जैसी घटनाएं भी लोगों को घर छोड़ने को मजबूर कर देती हैं.
हल मिनट 20 लोग
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया में 20 लोगों को हर मिनट में किसी उत्पीड़न, दहशत या युद्ध केकारण अपने घरों को छोड़ना पड़ता है. शरणार्थियों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1951 और 1967 को नियम बनाए थे. हर शरणार्थी को यह हक है कि उसकी जबर्दस्ती वापस भेजने से रक्षा की जाए.
United Nations, World Refugee Day, World Refugee Day 2021, Refugee, Atrocities of War, Covid-19 Pandemicविश्व शरणार्थी दिवस (Word Refugee Day) शरणार्थियों की स्थिति और भावनाओं को समझने के लिए मनाया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शरणार्थियों के अधिकार
इतना ही नहीं शरणार्थियों को काम, शिक्षा, और रहने के साथ कई अन्य अधिकार भी दिए गए हैं.लेकिन इन अधिकारों का पालन करवाना आसान काम नहीं होता है. कई बार यह नए तरह की समस्या और संघर्ष तक को जन्म देने का कारण दे देता है. शरणार्थियों की वजह से नए क्षेत्र में भी कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती है.
क्या है शरणार्थी दिवस का इतिहास
विश्व शरणार्थी दिवस सबसे पहले साल 20 जून 2001 को सयुंक्त राष्ट्र के साल 1951 के रेफ्यूजी कन्वेंशन की 50 वीं सालगिरह पर मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार 20 जून इससे पहले अफ्रीका शरणार्थी दिवस के तौर पर मनाया जाता था. लेकिन दिसंबर 2000 से इसे विश्व शरणार्थी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.


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