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आज है विश्व स्वास्थ्य दिवस,जानें जलवायु संकट कैसे बन गया है सेहत की प्रमुख समस्या

Kajal Dubey
7 April 2022 4:08 AM GMT
आज है विश्व स्वास्थ्य दिवस,जानें जलवायु संकट कैसे बन गया है सेहत की प्रमुख समस्या
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दुनिया अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर आशा के साथ साथ उत्सुकता से देख रही है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो साल से कोविड-19 की महामारी (Covid-19 Pandemic) से जूझ रही दुनिया अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health organisation) की ओर आशा के साथ साथ उत्सुकता से देख रही है. 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के (World Health Day 2022) मौके पर यह देखना होगा कि संसार की सबसे बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य संस्था होने के नाते वह दुनिया को स्वास्थ्य के लिए किस तरह का मार्गनिर्देशन करने वाली है. विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर इस साल संगठन ने हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य का नारा दिया है. आज इंसानों की सेहत के साथ हमारे ग्रह को भी बचाने की जरूरत बढ़ती जा रही है और जलवायु का संकट की वजह से दुनिया सेहत की आपदा से जूझ रही है.

मानव और हमारा ग्रह
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि महामारी, प्रदूषित ग्रह और दिल की बीमारियां, कैंसर, अस्थमा, जैसे बढ़ते रोगों के बीच इस साल वह अपना ध्या इंसानों और हमारे ग्रह को सेहतमंद रखने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए पूरी दुनिया का ध्यान खींचेगा. इसके साथ ही वह उन समाजों के बनाने के लिए आंदोलनों को पोषित करेगा सेहत पर ध्यान केंद्रित रखेंगी.
1.3 करोड़ लोगों की हर साल मौत
इस साल केवल कोविड महामारी ही नहीं बल्कि पूर्ण सेहत पर ध्यान देने पर जोर दिया जा रहा है. संगठन का अनुमान है कि टाले जा सकने वाले पर्यावरणीय कारणों की वजह हर साल दुनिया में 1.3 करोड़ लोगों की मौत हो रही है. इसमें जलवायु संकट भी शामिल है जो मानवता के ले सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है. इस तरह जलवायु संकट सेहत का संकट बन गया है.
जलवायु की भूमिका
ध्यान देने की बात यह है कि यह आंकड़ा केवल जलवायु संबंधित मौतों का है जबकि जो लोग बीमारियों से मर रहे हैं उनके पीछे भी कहीं भी कहीं ना कहीं जलवायु संकट का भी छोटा बड़ा योगदान जरूर है. दो साल से कोविड-19 महामारी से जूझते रहने के बाद भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी जगह सामान्य सेहत पर जोर देने को प्राथमिकता दी है.
कुछ बड़े सवाल
अपनी वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सवाल पूछे हैं कि क्या हम सभी के लिए साफ हवा, पानी और भोजन उपलब्ध होने वालेविश्व की फिर से कल्पना करने में सक्षम हैं? क्या सभी अर्थ व्यवस्थाएं सेहत और बेहतर होने पर ध्यान दे रह हैं. क्या शहर रहने लायक हैं और लोगों का उनकी सेहत के साथ हमारे ग्रह की सेहत पर नियंत्रण है? ये सवाल हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम अपनी नीतियों में कितने सही हैं.
क्या हो रहा है बदलाव
हमारे राजनैतिक, सामाजित और व्यवसायिक निर्णय जलवायु और सेहत के संकटों को संचालित कर रहे हैं. दुनिया में 90 प्रतिशत लोग खराब हवा में सांस ले रहे हैं जो जीवाश्व ईंधन से बन रही है. दुनिया में बढ़ती गर्मी के कारण ही मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां तेजी से और दूर दूर तक फैलने लगी हैं चरम मौसम की घटनाएं, भूमि के निम्नीकरण, और पानी की कमी जैसी घटनाएं लोगों को विस्थापित कर रही हैं.
इतना ही नहीं प्रदूषण और प्लास्टिक महासागरों की गहराइयों से लेकर पर्वतों की ऊंचाइयों तक पहुंच गए हैं और अब हमारी खाद्य शृंखलाओं का हिस्सा बन चुके हैं. प्रसंस्कृत भोजन, पेय पदार्थ और अन्य गैर सेहतमंद भोजन के तंत्र जिनकी की वजह से मोटापा, कैंसर, दिल की बीमारियां, डाबिटीज जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, एक तिहाई वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं.
ऐसा नहीं है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 महामारी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है. संगठन का साफ तौर पर मानना है कि महामारी हमें समाज के सभी क्षेत्रों की कमजोरी को उजागर कर दिया है. इसने ऐसे संधारणीय सेहतमंद समाजों के निर्माण की आपात जरूरत को रेखांकित किया है जो आज की और भावी पीढ़ियों के लिए समान सेहत लाने के लिए प्रतिबद्ध हों.


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