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आज हैं National Milk Day, जानिए कब से हुई इस दिन को मनाने की शुरूआत
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| डॉ. वर्गीज कुरियन जिन्हें भारत में श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है उनका जन्म 26 नवंबर को हुआ था और इसी दिन को हर साल देश भर में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) के रूप में मनाया जाता है। दूध हमारे शरीर के लिए बेहद जरूर है। दूध में कई पोषक तत्व होने के साथ ही विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन बी12, आयरन, कैल्शियम, मैगनिशियम, जिंक, फॉसफोरस, ऑयोडीन, पोटेशियम, फोलेट्स, प्रोटीन आदि तत्व पाए जाते हैं। साथ ही दूध हमारे शरीर के तमाम रोगों को भी नष्ट करता है। ये हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में भी मदद करता है।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का इतिहास
यह दिन भारतीय डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने साल 2014 में पहली बार मनाने की पहल की थी। विश्व दुग्ध दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 1 जून को मनाया जाता है। पहला राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 26 नवम्बर 2014 को मनाया गया था।इस दिन 22 राज्यों के विभिन्न दुग्ध उत्पादकों ने इसमें हिस्सा लिया था। आज देशभर में बड़े स्तर पर दूध का व्यापार किया जाता है। भारत ने इसमें अपना एक अलग ही मुकाम हासिल किया है।
कौन थे डॉ. वर्गीज कुरियन
इनका जन्म 21 नवंबर, 1921 को केरल के कोझिकोड में एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें डेयरी में पढ़ाई के लिए भारत सरकार ने स्कॉलरशिप दी। यहीं से उन्होंने डेयरी की दुनिया में कदम रखा। साल 1949 की बात है, जब सरकार ने उन्हें आनंद में एक डेयरी में काम करने के लिए भेजा, लेकिन मन न लगने की वजह से वो अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने वाले थे, तभी त्रिभुवनदास पटेल ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद त्रिभुवनदास पटेल और कुरियन ने साथ मिलकर कैरा डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन के तहत मिल्क कॉपरेटिव मूवमेंट की शुरुआत की। जिसे आज अमूल के नाम से जाना जाता है। आज दुनिया वर्गीज कुरियन को 'मिल्कमैन' के नाम से याद करती है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें फ्रांस के कृषि मंत्रालय ने ऑर्डर ऑफ एग्रीकल्चर मेरिट से भी नवाजा। उन्हें रेमन मैग्सेसे अवार्ड भी मिला।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस दूध और दूध उद्योग से संबंधित गतिविधियों के प्रचार एवं लोगों में आजीवन दूध एवं दूध उत्पादों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु मनाया जाता है।