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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| बेटिया कुदरत का दिया हुआ खूबसूरत तोहफ़ा होती है, जो हमारे घर-आंगन को खुशियों से भर देती है। इनकी मासूम किलकारियों से घर रोशन होता है। पैदा लेती हैं तो मां-बाप का घर रोशन करती हैं और दूसरे घर जाती हैं तो पति की जिंदगी में खुशियों के फूल बिखेर देती हैं। बेटी की अहमियत उसके मां-बाप से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। उनके मासूम बचपन को देखकर पैरेंट्स सारे गम और परेशानियां भूल जाते हैं। बेटी का मासून और चंचल मन जिसपर हर कोई फिदा रहता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक बेटी अपने मां-बाप की आंखों का तारा रहती है, बेटी के प्यार, समर्पण और त्याग को देखते हुए दुनिया में हर साल डॉटर्स डे मनाया जाता है, यह दिन पूरी तरह बेटियों को समर्पित है। अंतर्राष्ट्रीय डॉटर्स डे हर साल सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस तरह आज बेटी दिवस है। हालांकि, कुछ देश इसे अलग-अलग दिनों में भी मनाते हैं।
डॉटर्स डे मनाना क्यों है जरूरी?
पुत्रप्रधान समाज में आज भी बेटियों की जगह बेटे को ही खास मुकाम हासिल है। हालांकि बड़े शहरों में यह मामले कम है, लेकिन अभी भी कई देशों में इस तरह के मामलों में कमी नहीं आई है। कुछ लोग अपना परिवार बढ़ाने के लिए सिर्फ बेटे की ही चाहत रखते हैं जो शिशु हत्या का सबसे बड़ा कारण है। लोगों की मानसिकता इस हद तक गिर जाती है कि घर में बेटी होने पर वो मां को प्रताड़ित करने से बाज़ नहीं आते।
डॉटर्स डे का इतिहास:
समाज में लड़के और लड़कियों के बीच की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की। लड़कियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया। संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनिया भर के देशों ने किया। इसके बाद से ही हर देश में बेटियों के लिए एक दिन समर्पित किया गया है। डॉटर्स डे हर देश में अलग-अलग दिन मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय डॉटर्स डे का महत्व:
परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने में एक बेटी का अहम किरदार है। जिस समाज में महिलाओं को पुरूष से कमतर माना जाता है उस समाज में बदलाव लाने के लिए इस दिन की खास अहमियत है।
डॉटर्स डे क्यों मनाया जाता है
बेटियों को समर्पित यह दिन उनकी तारीफ करने और उनको यह बताने के लिए मनाया जाता है कि वे कितनी खास हैं। यह दिन बेटियों के लिए जागरूकता बढ़ाने और समानता को प्रोत्साहित करने के लिए भी खास है। इस दिन को मनाने का मतलब लोगों को जागरूक करना है कि लड़कियों को भी लड़कों की तरह समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए।