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बढ़ते प्रदूषण से फेफड़ों को बचाना तो डाइट में करें ये 4 बदलाव

Teja
2 Dec 2021 9:06 AM GMT
बढ़ते प्रदूषण से फेफड़ों को बचाना तो डाइट में करें ये 4 बदलाव
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बढ़ते प्रदूषण से फेफड़ों को बचाना तो डाइट में करें ये 4 बदलाव

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल उन लोगों की याद में मनाया जाता है जिन्हें साल 1984 में भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हादसे में जिन लोगों की जान गई उन्हें सम्मान देने और याद करने के लिए भारत में हर साल 2 दिसंबर को ये दिवस मनाया जाता है।


जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल उन लोगों की याद में मनाया जाता है जिन्हें साल 1984 में भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हादसे में जिन लोगों की जान गई उन्हें सम्मान देने और याद करने के लिए भारत में हर साल 2 दिसंबर को ये दिवस मनाया जाता है। भोपाल गैस त्रासदी 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात में शहर में स्थित यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से जहरीला रसायन के रिसाव के कारण हुई थी।
आज साल 2021 में भी दिल्ली सहित देश के कई शहरों की हवा ज़हरीली हो गई है। उसमें ओज़ोन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, बारीक कण, डीज़ल से निकले कण मौजूद हैं। यह ज़हरीले कण हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। हवा में प्रदूषण का स्तर ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है, ऐसे में अब यह बेहद ज़रूरी हो गया है कि हम अपनी डाइट में ऐसी चीज़ें लें, जिससे हमारे फेफड़े साफ हों।
हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
हरी पत्तेदार सब्ज़ियां न सिर्फ हमारे शरीर को मज़बूत बनाती हैं, बल्कि यह बढ़ रहे प्रदूषण से ही हमारी रक्षा करती हैं। हरा धनिया, मेथी, पालक, ब्रोकली, चौलाई का साग, गोभी और शलगम जैसी सब्ज़ियों में विटामिन की भरपूर मात्रा होती है, जो वायु प्रदूषण से हमें बचाता है।
आंवला
आंवले में भी विटामिन-सी की अच्छी मात्रा होती है, इसलिए प्रदूषण से बचाव के लिए इसका सेवन ज़रूरी है। विटामिन सी का मतलब है कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण मौजूद हैं। यानी पॉल्यूशन, सूर्य की रोशनी आदि के कारण स्किन पर फ्री रेडिकल्स का जो हमला होता है, उनसे लड़ने के लिए सबसे पहले विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आगे आते हैं।
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गुड़
सर्दियों में गुड़ खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। दरअसल, गुड़ में मौजूद आयरन रक्त में ऑक्सीजन सप्लाई को बनाए रखने में मदद करता है, जो प्रदूषण से बचाने में मदद करते हैं। जब आप चाय बनाएं तो उसमें चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हल्दी
सदियों से हल्दी का इस्तेमाल एक औषधीय जड़ी बूटी की तरह किया जाता रहा है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो फेफड़ों को प्रदूषकों के टॉक्सिक प्रभाव से बचाते हैं। हल्दी में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं, जो प्रदूषण के संपर्क में आने से होता है।


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