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बालों को झड़ने से रोकने के लिए डाइट में ऐसे करें दालचीनी को शामिल

SANTOSI TANDI
22 Aug 2023 7:59 AM GMT
बालों को झड़ने से रोकने के लिए डाइट में ऐसे करें दालचीनी को शामिल
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करें दालचीनी को शामिल
साइंस की भाषा में समझें, तो ऑर्गेज्म सिर्फ जेनिटल मसल मूवमेंट से आने वाली एक फीलिंग ही है। हालांकि, इसे ह्यूमन इमोशन्स के आधार पर कुछ और ज्यादा कहा जा सकता है। सेक्शुअल स्टिम्युलेशन की बात करें, तो लोगों के अलग-अलग तरह के एक्सपीरियंस हो सकते हैं, लेकिन पुरुषों और महिलाओं के स्टिम्युलेशन क्या एक जैसे हो सकते हैं? ऑर्गेज्म के दौरान शरीर में मसल्स का मूवमेंट, ब्लड का सर्कुलेशन और एंडोर्फिन जैसे फील गुड हार्मोन्स दिमाग में रिलीज होते हैं।
इसका असर भले ही एक जैसा होता है, लेकिन इसका अंतर बहुत बड़ा होता है।
महिलाओं और पुरुषों के ऑर्गेज्म में अंतर को लेकर क्या कहती है स्टडी?
इस स्टडी के मुताबिक, साइकोलॉजिकल और फिजिकल अराउजल काफी हद तक एक जैसा ही था जिसमें जेनिटल टेम्परेचर बढ़ता या घटता है। हां, ऑर्गेज्म के बाद महिलाओं और पुरुषों के रिएक्शन में अंतर जरूर है। ऑर्गेज्म के बाद पुरुषों का जेनिटल तापमान महिलाओं के मुकाबले काफी कम हो जाता है।
महिलाओं के ऑर्गेज्म को लेकर क्या है एक्सपर्ट की राय?
M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद ने हरजिंदगी से बात करते हुए कहा कि महिलाओं को वेजाइनल ऑर्गेज्म मिलना इतना आसान नहीं है जितना लगता है। मसल कॉन्ट्रैक्शन के कारण ऐसा होता है और अधिकतर महिलाएं अपने पार्टनर्स से इस बारे में बात भी नहीं कर पाती हैं।
डॉक्टर अमीना के मुताबिक, क्लिटोरिस का साइज ओव्यूलेशन की तारीख के समय 20% तक बढ़ सकता है इसलिए उस वक्त ऑर्गेज्म की गुंजाइश ज्यादा होती है।
ऑब्सटेट्रिशियन-गायनेकोलॉजिस्ट (OBGYN), इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर ने इंस्टाग्राम पर इससे जुड़ा वीडियो भी शेयर किया है। उनके अनुसार ऐसा सोच लिया जाता है कि महिलाओं का ऑर्गेज्म भी वैसा ही होगा जैसा पुरुषों का होता है, लेकिन फिजिकल अंतर बहुत सारे होते हैं। कई महिलाओं को इससे जुड़ा कोई डिसचार्ज नहीं होता।
महिलाओं और पुरुषों के ऑर्गेज्म में कुछ मुख्य अंतर
स्टडीज और डॉक्टर्स की राय के आधार पर हम दोनों जेंडर्स के ऑर्गेज्म को लेकर ये अंतर देख सकते हैं।
महिलाओं के लिए होती है अंदरूनी फीलिंग
महिलाओं का ऑर्गेज्म एक से ज्यादा बार भी हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि कोई फिजिकल रिएक्शन दिखे। महिलाओं के लिए यह अंदरूनी फीलिंग होती है। इसलिए किसी और से कम्पेयर करना सही नहीं होगा। किसी तरह के डिस्चार्ज की उम्मीद की भी जा सकती है और नहीं भी। यह हेल्थ कंडीशन, सेक्शुअल अराउजल, ओव्यूलेशन बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है। ऐसा भी हो सकता है कि एक्ट के दौरान महिलाओं को ऑर्गेज्म हो ही ना और यही कारण है कि फेक ऑर्गेज्म (Fake Orgasm) को लेकर भी लोगों के मन में सवाल उठते हैं।
महिलाओं और पुरुषों के ऑर्गेज्म में होता है समय का अंतर
जब ऑर्गेज्म ड्यूरेशन की बात करें, तो क्लिटोरिस का मसल कॉन्ट्रैक्शन पुरुषों की तुलना में ज्यादा हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, पुरुषों का ऑर्गेज्म 3 से 10 सेकंड तक हो सकता है और महिलाओं का ड्यूरेशन इससे बहुत ज्यादा 25 से 30 सेकंड तक हो सकता है। (क्लिटोरिस से जुड़े फैक्ट्स)
फीमेल ऑर्गेज्म से बढ़ सकते हैं प्रेग्नेंसी के चांस
डॉक्टर अमीना खालिद ने इसके बारे में जानकारी देते हुए यह भी कहा कि अगर किसी महिला को वेजाइनल ऑर्गेज्म महसूस होता है, तो एक्ट के दौरान प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान मसल कॉन्ट्रैक्शन काफी ज्यादा होता है और उससे स्पर्म के यूट्रस तक पहुंचने की गुंजाइश ज्यादा बढ़ जाती है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं कि दोनों को एक ही साथ इसका अनुभव हो। दोनों पार्टनर्स को अलग-अलग समय पर यह अनुभव हो सकता है।
शरीर के तापमान में हो सकता है अंतर
महिलाओं और पुरुषों के सेक्शुअल अराउजल के दौरान शरीर के तापमान में बहुत अंतर हो सकता है। जैसा कि रिसर्च बताती है, ऑर्गेज्म के बाद भी तापमान बढ़ या घट सकता है। हालांकि, ऐसा निर्धारित नहीं है कि पुरुषों के शरीर का तापमान कम ही होगा और महिलाओं का बढ़ेगा ही।
महिलाओं और पुरुषों के ऑर्गेज्म के दौरान ब्रेन रिएक्शन
यहां दोनों ही जेंडर्स के साथ लगभग एक ही जैसी प्रतिक्रिया होती है। दोनों ही जेंडर्स को दिमाग के सेरिबैलम (cerebellum) एरिया में हलचल महसूस होती है और शरीर में खुशी वाले हार्मोन रिलीज होते हैं। इस तरह का रिएक्शन आपके स्ट्रेस लेवल को भी कम करता है।
कुल मिलाकर यह समझा जा सकता है कि ऑर्गेज्म और सेक्शुअल अराउजल हर इंसान का अलग हो सकता है। इसलिए खुद को किसी से कम्पेयर करना सही साबित नहीं होगा।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। बाल झड़ने की समस्या आजकल काफी बढ़ती जा रही है। कम उम्र के लोगों में भी यह परेशानी देखने को मिल रही है। बालों के झड़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिनमें डाइट सही न होना, स्ट्रेस वगरैह शामिल है। हार्मोन्स का इंबैलेंस होना भी इसकी एक वजह हो सकता है। अगर आपके बाल लगातार झड़ रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज करने के बजाय समय से इस पर ध्यान दें।
अगर आपके सिर के बाल झड़ रहे हैं, लेकिन साथ ही अपरलिप्स, ठोड़ी और पीठ पर बाल आ रहे हैं, तो इसके पीछे 5 एल्फा रिडक्टेस हो सकता है। यह एक तरह का एंजाइम है, जो बालों के झड़ने का कारण हो सकता है। इस एंजाइम का बालों के झड़ने से क्या संबंध हैं, और इसे रोकने में दालचीनी कैसे मदद कर सकती है, आइए एक्सपर्ट से जानते हैं।
बालों के झड़ने का कारण
बालों के झड़ने और पीठ, ठोड़ी व अपरलिप्स पर बालों की ग्रोथ के पीछे 5 एल्फा रिडक्टेस नामक एंजाइम जिम्मेदार हो सकता है। जिसकी वजह से टेस्टोस्टेरोन, डी हाइड्रो टेस्टोस्टेरोन में बदल जाता है। इसकी वजह से स्कैल्प के हेयर फॉलिकल्स कमजोर हो जाते हैं। हेयर फॉलिकल्स स्कैल्प के सबसे ऊपरी दो लेयर में होते हैं, ये बालों की ग्रोथ का काम करते हैं और जब ये कमजोर या डैमेज हो जाते हैं तो बाल झड़ने लगते हैं। वहीं, इसकी वजह से ठोड़ी, अपरलिप और बैक पर बालों की ग्रोथ बढ़ने लगती है। अगर आप इंसुलिन रेजिस्टेंस हैं, तो 5 एल्फा रिडक्टेस एंजाइम की एक्टिविटी बढ़ जाती है और बाल अधिक झड़ने लगते हैं। इसलिए आपको इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
बालों का झड़ना रोकने के लिए ड्रिंक
सामग्री
दालचीनी- 1 चुटकी
मेथी के बीज- 1/4 टीस्पून
ग्रीन टी बैग- 1
पानी- 200 मि.ली.
विधि
मेथी के बीजों को रातभर भिगो दें।
1 पैन लें।
पैन में पानी डालकर उबालें।
अब इसमें दालचीनी और मेथी के बीज मिलाएं।
आधा होने तक उबालें।
इसे छान लें।
ग्रीन टी बैग डालें और उसे 5 मिनट के लिए छोड़ दें।
आपकी ड्रिंक तैयार है।
दालचीनी वाली ड्रिंक के फायदे
इस ड्रिंक में इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजें इंसुलिन सेंसिटिविटी को सुधारती हैं।
मेथी के बीजों में अमीनो एसिड होता है, जो कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज के अवशोषण को बढ़ाता है।
दालचीनी में सिनामल्डिहाइड होते हैं। यह भी सेल्स में ग्लूकोज को पहुंचाने में मदद करती है।
ग्रीन टी, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को सुधारती है।
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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