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लाइफ स्टाइल
माइग्रेन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डाइट में शामिल करें ये चीज
Rani Sahu
20 Nov 2021 5:32 PM GMT
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हाल ही में डॉक्टर्स ने इस बात का खुलासा किया है
Plant based diet: हाल ही में डॉक्टर्स ने इस बात का खुलासा किया है कि जो लोग पुराने माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं उनके लक्षणों को प्लांट बेस्ड डाइट कंट्रोल कर सकती है. डॉक्टर्स ने बताया कि हरे पत्तेदार सब्जियों से भरपूर डाइट माइग्रेन का इलाज करने के साथ-साथ कई और समस्याओं से बचा सकती है. आइए जानें, माइग्रेन पर इस तरह की आई पहली रिसर्च क्या कहती है.
क्या कहती है रिसर्च
यह रिसर्च 'बीएमजे केस रिपोर्ट्स जर्नल' में ऑनलाइन पब्लिश हुई थी. रिसर्च में एक ऐसे व्यक्ति का इलाज किया, जिसने 12 साल से अधिक समय तक माइग्रेन का सिरदर्द सहा था.
इस दौरान इस व्यक्ति को माइग्रेन के लिए निर्धारित दवाएं (ज़ोल्मिट्रिप्टन और टोपिरामेट) देकर इलाज करने कोशिश की. इसके अलावा मरीज को माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले फूड चॉकलेट, पनीर, नट्स, कैफीन और ड्राई फ्रूट्स से दूर रखा गया.
यहां तक कि योग और मेडिटेशन भी करवाया गया. लेकिन बार-बार माइग्रेन आने और गंभीर माइग्रेन ठीक नहीं हुआ. इसके बाद जब व्यक्ति को हरी सब्जियां और प्लांट बेस्ड डाइट दी गई तो उसे माइग्रेन में फर्क पड़ने लगा.
क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं के मुताबिक, निर्धारित दवाएं माइग्रेन की स्थिति को रोकने और इलाज में मदद कर सकती हैं, लेकिन कुछ खास प्रकार की डाइट बिना किसी साइड इफेक्ट के एक प्रभावी विकल्प हो सकती है.
कैसे किया गया इलाज
रिसर्च में पाया गया कि डार्क ग्रीन पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक, केल और वॉटरक्रेस के जरिए माइग्रेन के कारण सिस्मैटिक इंफ्लेमेशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम किया जा सकता है.
डॉक्टर्स ने इस व्यक्ति को रोजाना लो इंफ्लेमेट्री युक्त फूड्स (LIFE DIET)का सेवन करने के लिए कहा. डॉक्टर्स ने कहा कि डाइट में तकरीबन 150 ग्राम कच्ची या पकी हुई हरी सब्जियों का रोजाना सेवन करना है. इसके अलावा डेली तकरीबन 800-900 ग्राम लो इंफ्लेमेट्री वाले फूड्स का स्मूदी के रूप में सेवन करना है. इसके अतिरिक्त होल ग्रेंस, स्टार्च वेजिटेबल्स, ऑयल, एनीमल प्रोटीन खासतौर पर डेयरी प्रोडक्ट्स और रेड मीट का सेवन नहीं करना.
रिसर्च के नतीजे
लो इंफ्लेमेट्री युक्त फूड (LIFE DIET) डाइट का सेवन करने के दो महीने बाद इस व्यक्ति ने बताया कि जहां माइग्रेन बार-बार होता था अब महीने में सिर्फ एक बार होता है. जहां देर तक माइग्रेन होता था अब वो कुछ देर में ठीक हो जाता है साथ ही पहले की तरह सीरियस कंडीशन नहीं होती. मरीज ने माइग्रेन की सारी दवाएं लेना बंद कर दिया था. तीन महीने के बाद मरीज का माइग्रेन पूरी तरह से ठीक हो गया और वे 7.5 साल तक दोबारा वापिस नहीं आया है.
Tagsmigraine problem
Rani Sahu
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