लाइफ स्टाइल

long hours तक ऑफिस से जुड़े रहने की टिप्स

MD Kaif
7 July 2024 2:25 PM GMT
Life Style: लाइफ स्टाइल, अगर ऑफिस में काम करने का माहौल अच्छा हो तो कर्मचारी मन लगाकर काम करते हैं और लंबे समय तक ऑफिस में रहना चाहते हैं। इसके विपरीत अगर कार्यस्थल पर एक कर्मचारी को बहुत अधिक महत्व दिया जाए और दूसरी ओर काम करने वाले दूसरे कर्मचारी को अनावश्यक रूप से परेशान किया जाए तो इससे उनकी उत्पादकता और mental health मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर पड़ता है। आज के वर्क कल्चर में एक बहुत ही अजीब चीज देखने को मिल रही है, वह है पक्षपात। इसका मतलब है कि ऊंचे पदों पर बैठे लोग अपने पसंदीदा कर्मचारियों का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि वह व्यक्ति टारगेट पूरा कर रहा है या नहीं, वह समय पर ऑफिस आता है या नहीं, उसका व्यवहार दूसरे साथियों के साथ कैसा है और
दूसरी बातें। ऐसे लोग बिना किसी टैलेंट
के भी आगे बढ़ते रहते हैं। दूसरी ओर, इस पक्षपात के कारण वे कर्मचारी जो अपने काम से मतलब रखते हैं, समय पर ऑफिस आते-जाते हैं, अपने दैनिक टारगेट पूरे करते हैं, अपने कौशल को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं और वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखते हैं, वे परेशान रहते हैं। ऐसे कर्मचारियों की सबसे बड़ी गलती यह होती है कि ऑफिस के अंदर उनका पूरा ध्यान अपने काम पर और ऑफिस के बाद अपनी निजी जिंदगी पर होता है।
यह रवैया आपके लिए तो अच्छा है, लेकिन यह कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। जिसके कारण वे ऑफिस में कई तरह से भेदभाव का शिकार होते रहते हैं। काम के दौरान अगर आपका मैनेजर या बॉस बेवजह आपको बातों पर रोकता है, किसी न किसी बहाने से परेशान करने की कोशिश करता है, तो उससे लड़ने की बजाय इन बातों का रिकॉर्ड रखना शुरू कर दें। जरूरत पड़ने पर इन तथ्यों के आधार पर अपनी बात सामने रखें। अगर आप ऑफिस में हो रहे इस भेदभाव के बारे में अपने बॉस या मैनेजर से खुलकर बात करने की स्थिति में नहीं हैं, तो सीधे
Management
मैनेजमेंट से बात करें। उन्हें बताएं कि टीम में किस तरह का माहौल बन रहा है। कई बार मैनेजमेंट को इन सब बातों की जानकारी नहीं होती, लेकिन जब आप अपनी परेशानी उनके सामने रखेंगे, तो संभव है कि आपकी बातें सुनी जाएं। कई बार इसके कारण पक्षपात और भेदभाव से भरे माहौल में टिक पाना मुश्किल हो जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति में तुरंत नौकरी छोड़ने का फैसला अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित होता है। बेहतर होगा कि आप प्लान बी तैयार करें, फिर तय करें कि नौकरी करनी है या नहीं।

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