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कोरोना से सूंघने की शक्ति खत्म होने पर इस तरह इलाज से लौट सकता है गंध का अहसास

Apurva Srivastav
16 May 2021 2:27 PM GMT
कोरोना से सूंघने की शक्ति खत्म होने पर इस तरह इलाज से लौट सकता है गंध का अहसास
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दुनिया की अलग-अलग स्टडी में ये दोनों लक्षण कोरोना से ठीक हुए लोगों में देखने में आ रहा है

ऐसा देखने में आ रहा है कि कोरोना वायरस लोगों की सूंघने की शक्ति हमेशा के लिए खत्म कर रहा है. कोरोना की पहचान में सूंघने और स्वाद लेने को सबसे अहम फैक्टर बताया जाता है. अगर किसी व्यक्ति की सूंघने की शक्ति चली गई है, ज्यादा संभावना है कि वह कोरोना पॉजिटिव हो. हालांकि अन्य भी कई लक्षण हैं, लेकिन सूंघने की शक्ति को सबसे प्रमुख माना जाता है.

कोरोना से ठीक हुए कई मरीजों के बारे में पता चलता है कि उनके सूंघने की शक्ति वापस नहीं लौट रही है. ठीक होने के महीनों बाद वे सूंघ कर पता लगाने में सक्षम नहीं है कि यह किस चीज की खुशबू है. इसमें दो तरह की बीमारी सामने आ रही है. एक, पेरोस्मिया जिसमें गंध तो आती है लेकिन यह पता नहीं चलता कि किस चीज की गंध है. दूसरा, एनोस्मिया जिसमें सूंघने वाले व्यक्ति को गंध का आभास नहीं होता. एक तरह से उनके सूंघने की शक्ति चली जाती है. एनोस्मिया को मेडिकल की भाषा में स्मेल ब्लाइंडनेस भी कहते हैं.
पेरोस्मिया के बारे में जानें
दुनिया की अलग-अलग स्टडी में ये दोनों लक्षण कोरोना से ठीक हुए लोगों में देखने में आ रहा है. बात सबसे पहले पेरोस्मिया की. इसमें व्यक्ति की सूंघने की सेंस बदल जाती है. इसमें गंध तो आती है लेकिन उसकी तीव्रता ऐसी नहीं होती कि व्यक्ति समझ सके कि किस चीज की गंध है. अपने आसपास की खुशबू या दुर्गंध के बारे में ठीक-ठीक पता नहीं चल पाता. एक स्वस्थ व्यक्ति ठीक-ठीक बता सकता है कि फलां घह से एलपीजी की गंध आ रही है, बगल में कोई पकवान बन रही है. स्वस्थ व्यक्ति यह भी बता सकता है कि खाने की कौन सी चीज बन रही है. लेकिन जो लोग कोरोना के चलते पेरोस्मिया के शिकार होते हैं, उन्हें गंध तो आती है लेकिन वे उसमें फर्क नहीं समझ पाते. उसके बारे में सही-सही नहीं बता पाते. गंध को लेकर एक तरह से कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो जाती है.
क्या है उपचार
इसमें चूंकि गंध का अहसास हमेशा के लिए खत्म नहीं होता, इसलिए इसके उपचार की संभावना है. उपचार की विधि से इसे सही किया जा सकता है. डॉक्टर्स जिंक, विटामीन ए और एंटीबायोटिक खाने की सलाह देते हैं. अभ्यास के द्वारा भी इस बीमारी को ठीक कर सकते हैं. हर सुबह मरीज को चार अलग-अलग सेंट सूंघने के लिए दिए जाते हैं. फिर अभ्यास के द्वारा दिमाग को यह बात समझाना होता है कि वह किस चीज की शुशबू ले रहा है. यह पूरी तरह से दिमाग की ट्रेनिंग होती है.
एनोस्मिया क्या है
एनोस्मिया में या तो आंशिक तौर पर या पूरी तरह से गंध का अहसास खत्म हो जाता है. गंध का खत्म होना अस्थायी या हमेशा के लिए भी हो सकता है. कोरोना के गंभीर मरीजों में ऐसा देखने में आ रहा है कि उनके सूंघने की क्षमता हमेशा के लिए जा रही है. कई बार ऐसा भी होता है कि किसी के दिमाग में नसों में शिकायत हो, जैसे कि ब्रेन ट्यूमर या हेड ट्रॉमा हो तो उसे एनोस्मिया हो सकता है. अभी कोरोना मरीजों में एनोस्मिया की शिकायत देखने में आ रही है. कोरोना से ठीक हुए लोग सूंघने की शक्ति खो रहे हैं. एनोस्मिया के शिकार लोग स्वाद लेने में भी नाकाम हो सकते हैं. उन्हें भोजन का टेस्ट पता नहीं चलेगा. एनोस्मिया से ग्रसित लोग डिप्रेशन में भी जा सकते हैं क्योंकि वे सूंघने और टेस्ट लेने का आनंद नहीं ले पाते.
कैसे करें इलाज
इसके लिए नाक का अभ्यास और ध्यान ही सर्वोत्तम विधि है. नाक का अभ्यास मतलब कुछ न कुछ सूंघ कर दिमाग तक बात पहुंचानी होगी कि वे क्या सूंघ रहे हैं. ध्यान का मतलब कि ध्यान में यह बात लानी होगी कि गुलाब की खूशबू कैसी होती है, अलग-अलग चीजों की खूशबू को दिमाग तक पहुंचाने की कोशिश करनी होगी, वह भी सोचकर, इसका अहसास करना होगा कि किसी चीज की सुशबू कैसे होती है. यह विधि कारगर बताई जा रही है. इसके लिए डिकंजेस्टेंट्स, एंटी हिस्टामिन, स्टेरॉयड और नेजल स्प्रे लेने की सलाह दी जाती है. बैक्टीरिया का इनफेक्शन हो तो डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स ले सकते हैं. जिन चीजों से एलर्जी होती है, उससे दूर रहें. धूम्रपान न करने की भी सलाह दी जाती है.


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