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अद्भुत है भारत का ये मंदिर, कुछ इस तरह हुआ था निर्माण
SANTOSI TANDI
9 Jun 2023 8:29 AM GMT
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कुछ इस तरह हुआ था निर्माण
ओडिशा में स्थित जगन्नाथ एक ऐसा मंदिर है जिसके दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर को प्राचीन समय से ही स्वर्ग माना जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। यही वजह है कि इस मंदिर को चार-धाम तीर्थ स्थलों में शामिल किया गया है।
इसलिए भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए लाखों लोग हर साल ओडिशा जाते हैं और जगन्नाथ पुरी मंदिर के दर्शन का लाभ उठाते हैं। पर क्या आप इस मंदिर का इतिहास जानते हैं? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं कि इसका निर्माण कैसे किया गया था।
जगन्नाथ मंदिर की कहानी क्या है?
मंदिर का निर्माण गंग वंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। हालांकि, दुनिया भर में कई हिंदू मंदिरों के विपरीत, गैर-हिंदुओं को भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा को एक बार सपने में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए थे। सपने में राजा से गुफा को ढूंढकर मूर्ति को स्थापित करने को कहा था।
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क्या है खासियत?
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर को बनने में लगभग 14 वर्ष लगे। वैसे मंदिर में स्थापित बलभद्र जगन्नाथ तथा सुभद्रा की काष्ठ मूर्तियों का पुनर्निर्माण 1863, 1939, 1950, 1966 तथा 1977 में भी किया गया था।
कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। भगवान जगन्नाथ इस मंदिर में अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजन हैं। आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह है कि मंदिर के शीर्ष पर लगा ध्वज हमेशा हवा के विपरीत लहराता है।
कैसी है संरचना?
इस मंदिर की संरचना लगभग 400,000 वर्ग फुट में फैली हुई है। इसके शिखर पर चक्र और ध्वज भी स्थापित किया गया है। इन दोनों का खास महत्व है। सुदर्शन चक्र का और लाल ध्वज भगवान जगन्नाथ के मंदिर के अंदर विराजमान होने का प्रतीक है। अष्टधातु से निर्मित इस चक्र को नीलचक्र भी कहा जाता है। (भारत में स्थित हैं ये 4 बेहद ही अद्भुत मंदिर)
मंदिर में चार कक्ष हैं जिनके नाम भोग मंदिर, नाथ मंदिर, जगमोहन और मंदिर हैं। मंदिर परिसर एक दीवार से घिरा हुआ है, जिसके प्रत्येक तरफ द्वार है। कुल मिलाकर मंदिर बहुत खूबसूरत है, जिसे देखकर ही मजा आ जाएगा।
मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
माना जाता है कि हम मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को कहीं से भी देख सकते हैं।
कहा जाता है कि ऊपर से कोई भी पक्षी या विमान नहीं उड़ पाता है।
बताया जाता है कि इस मंदिर में भक्तों के लिए बनने वाला प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता है।
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। जगन्नाथ मंदिर की चोटी पर लगा झंडा सिद्धांत का एक अनूठा अपवाद है।
जगन्नाथ मंदिर का समय
जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। जगन्नाथ पूरी मंदिर सुबह 5:00 से रात के 12:00 बजे तक खुला रहता है। आप किसी भी वक्त दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।
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कैसे जाएं?
आप मंदिर का दर्शन करने के लिए ट्रेन, सड़क मार्ग, फ्लाइट ले सकते हैं। मगर बेहतर होगा कि ट्रेन का सफर करें क्योंकि पुरी रेल स्टेशन भारत के सभी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा है। यहां से मंदिर के लिए सीधा टैक्सी ली जा सकती है।
आपको भी इस जगह की यात्रा कम से कम एक बार जरूर करनी चाहिए। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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