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पीसीओएस के पीछे के कारण को समझने के लिए
पीसीओएस के पीछे के कारण को समझने के लिए, हमें यह समझने की जरूरत है कि यह स्त्री रोग संबंधी समस्या नहीं बल्कि एक मेटाबोलिक समस्या है। पीसीओएस में कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं। जिनमें अनियमित पीरियड्स, बांझपन, शरीर या चेहरे पर अतिरिक्त बाल और पेट के आसपास वजन बढ़ना, जिसे 'PCOS पेट' भी कहा जाता है। इन लक्षणों की वजह शरीर में हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव और इंसुलिन-प्रतिरोध है। हालांकि, कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या के बावजूद वजन नहीं बढ़ता।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल (आर) में प्रसूति एवं स्त्री रोग की डायरेक्टर डॉ. अंजलि कुमार ने बताया कि PCOS एक लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्या है, जिसमें बदलाव कर आप वजन को बढ़ने से रोक सकते हैं:
1. डाइट में सुधार करें: खाने में अच्छी और हेल्दी चीजों को शामिल करें और प्रोसेस्ड, पैकेज्ड और जंक फूड से दूरी बनाएं।
2. डेयरी उत्पादों से परहेज: अध्ययनों के अनुसार दूध, पनीर, दही जैसे डेयरी उत्पादों से अगर परहेज किया जाए, तो इससे पीसीओएस के प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
3. पौधे आधारित आहार लें: वजन कम करने के लिए लोगों को पौधे आधारित आहार का पालन करना चाहिए और मांस के सेवन से बचना चाहिए।
4. व्यायाम है जरूरी: पीसीओएस वाली महिलाओं के शरीर में वसा और मांसपेशियों का अनुचित अनुपात होता है। जहां वसा अधिक होती है और मांसपेशियां कम होती हैं। इसलिए, हमें व्यायाम के माध्यम से मांसपेशियों के विकास पर ध्यान देना चाहिए। एक्सरसाइज में केवल कार्डियो ही नहीं बल्कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज भी शामिल होनी चाहिए ताकि शरीर में मांसपेशियां बढ़ें।
5. तनाव प्रबंधन का महत्व: तनाव का स्तर अधिक होने पर कोर्टिसोल नामक हार्मोन शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाता है। इसलिए, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को ध्यान, योग या ऐसी एक्टिविटीज का हिस्सा बनना चाहिए, जो उन्हें दिल से खुश रखें।
6. नींद अच्छी लें: पीसीओएस को मैनेज करने के लिए जरूरी है कि नींद अच्छी और पूरी हो। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं की नींद नींद अनियमित या बाधित होती है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा होता है। इसलिए, एक उचित स्लीपिंग पैटर्न आवश्यक है।
पीसीओएस एक जीवन शैली से संबंधित समस्या है और किसी व्यक्ति की आदतों में सुधार कर इसे मैनेज किया जा सकता है। पीसीओएस के उपचार में हार्मोनल दवाएं एक सीमित भूमिका निभाती हैं। अगर किसी के पीरियड्स कई बार नहीं आते या भारी रक्तस्राव होता है, तो इस समस्या को हॉर्मोनल दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। हालांकि, ये हॉर्मोनल दवाएं पीसीओएस का इलाज नहीं होतीं। पीसीओएस का इलाज लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही संभव है। कोई भी दवा स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में ही लेनी चाहिए।
सॉर्स : दैनिक जागरण
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Apurva Srivastav
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