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अस्थमा वो बीमारी है, जिससे फेफड़े बहुत लंबे समय तक प्रभावित रहते हैं
अस्थमा वो बीमारी है, जिससे फेफड़े बहुत लंबे समय तक प्रभावित रहते हैं और फिलहाल इसको कोई इलाज मौजूद नहीं है, मगर इसके लक्षणों को काबू में रखने के इलाज उपलब्ध हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सांस से संबंधित समस्याओं को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए, इससे शरीर को कई तरह से नुकसान हो सकते हैं। विश्व स्तर पर अस्थमा से बचाव और रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है।
इससे किसी भी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं और समान्यतः ये बचपन में ही शुरू हो जाता है, हालांकि इसके लक्षण किशोरों में भी नज़र आ सकते हैं।
युवाओं में अस्थमा के लक्षण
अस्थमा के शुरूआती लक्षण सांस लेने में तकलीफ ही है। लेकिन इसके अलावा सीने में दर्द और खांसी जैसे लक्षण भी अस्थमा होने पर दिखाई देते हैं, फिर भी कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अस्थमा के शिकार तो हैं लेकिन इसे पहचान नहीं पाते जिसकी वजह से बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। तो चलिए जानते हैं अस्थमा होने पर पीड़ित व्यक्ति को कौन-कौन से लक्षण महसूस होते हैं-
1.बलगम व सूखी खांसी
2.सीने में जकड़न
3.व्यायाम के दौरान तबियत खराब होना
4.जोर-जोर से सांस लेना
इलाज
रिलीवर इनहेलर- ये इनहेलर ,जोकि आम तौर पे नीले होते हैं, ऐसे समय में लिया जाता है जब आप दमे के लक्षणों की दर्द को तुरंत ही कम करना चाहते हैं। साधारणतः इसमें एक दवाई होती है जिसे छोटी अवधि के लिए काम करनेवाले बीटा-2 एगोनिस्ट के नाम से जाना जाता है। ये आपके वायुमार्ग को चौड़ा करता है और साँस लेने की क्रिया को आसान बना देता है। ये ज़्यादा-से-ज़्यादा बस 15 मिनटों के लिए काम करता है।
प्रिवेंटर इनहेलर- प्रिवेंटर इनहेलर आमतौर पर भूरे या नारंगी होते हैं, इनका उपयोग अस्थमा के लक्षणों को रोकने के लिए दिन में दो या कभी-कभी दिन में एक बार किया जाता है। इनमें साँस की स्टेरॉयड युक्त दवा होती है, जो वायुमार्ग की सूजन और संवेदनशीलता को कम करके काम करती है। अगर आपमें हफ़्ते में दो बार से ज़्यादा अस्थमा के लक्षण दिखाई देते हैं, तो प्रिवेंटर इनहेलर की सलाह दी जाती है।
Apurva Srivastav
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