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हेल्थ टिप्स Health Tips: रोजमर्रा के जीवन में महिलाओं के पास अपनी सेहत से जुड़े ढेरों सवाल होते हैं, बस जो नहीं होता वो है उन सवालों का सही जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। लेकिन अपने इस कॉलम के जरिये हम एक्सपर्ट की मदद लेकर आपके ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। जी हां, महिलाओं की सेहत से जुड़े ऐसे ही कुछ सवालों दिए गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ.अर्चना धवन बजाज ने।
मॉर्निंग सिकनेस और प्रेग्नेंसी के कारण होने वाली उल्टी प्रेग्नेंसी से जुड़ी आम समस्या है। कुछ मामलों जैसे गर्भ में अगर जुड़वां बच्चे पल रहे हों, मां डायबिटिक हो या फिर मां का थायरॉइड अगर बढ़ा हो तो ये सब भी बहुत ज्यादा मॉर्निंग सिकनेस की वजह हो सकती है। ऐसे लोगों को दिन भर में दो-तीन बार से ज्यादा उल्टी हो सकती है। अगर आप मॉर्निंग सिकनेस से बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो डॉक्टरी सलाह के अनुसार उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवाएं ले सकती हैं। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी मॉर्निंग सिकनेस को नियंत्रित किया जा सकता है।
एक बार में ढेर सारा खाना खाने की जगह कम-कम मात्रा में बार-बार खाना खाएं। उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, जिससे आपको उल्टी ज्यादा होती है। नीबू या ऑरेंज फ्लेवर वाली चीजें खाएं या पिएं। लिम्का में नीबू और जरा-सा काला नमक डालकर पीने से भी कई लोगों को आराम मिलता है। कोई पाचक वाली गोली या टॉफी को मुंह में रखने से भी आप बार-बार होने वाली उल्टी से बच सकती हैं। अगर इन सबसे आराम ना मिले और दिन भर में तीन बार से ज्यादा उल्टी हो तो अपने गाइनेकोलॅजिस्ट से परामर्श लें। बहुत ज्यादा उल्टी से शरीर में Ketones बनने लगते हैं, जो उल्टी के चक्र को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। बहुत ज्यादा उल्टी से शरीर में पोषक तत्व और पानी की कमी होने लगती है।
कीटोन्स को दवाओं के माध्यम से नियंत्रित करके भी मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी को काबू किया जा सकता है। इसके अलावा घरेलू नुस्खे भी इस परेशानी को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। सुबह खाली पेट ब्रेड टोस्ट पर जरा-सा जैम लगाकर खाएं, रस्क या बिस्कुट खाने, मुंह में मोनक्का या अंजीर रखने आदि से भी कई लोगों को लाभ मिलता है। पर, उल्टी बहुत ज्यादा हो रही है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि कीटोन्स बनने का मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों पर नकारात्मक असर होता है। दिन भर में एक से दो बार उल्टी होने पर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं।
40 साल की उम्र में अगर पीरियड का चक्र बिगड़ रहा है, तो हार्मोन्स की जांच, थायरॉइड की जांच, हीमोग्लोबिन की जांच आदि जरूरी है। इसके साथ ही एक अल्ट्रासांउड भी यह जांच करवाने के लिए जरूरी है कि कोई फाइब्रॉइड या कोई और असमान्यता तो नहीं है, जिसके कारण पीरियड का चक्र बिगड़ रहा है। कुछ लोगों को जल्दी प्रीमेनोपॉजल बदलाव आते हैं, तो पीरियड में बदलाव उसकी वजह से भी हो सकता है। 40 की उम्र में अमूमन किसी-न-किसी परेशानी के कारण पीरियड अनियमित होते हैं। तो सबसे पहले सभी जरूरी जांच करवाकर किसी तरह की पेरशानी की आशंका को खत्म करें और फिर डॉक्टरी सलाह के अनुरूप दवा लें ताकि पीरियड सही समय पर आए और पीरियड का चक्र लंबा ना हो। अगर सेहत से जुड़ी किसी परेशानी के कारण Period अनियमित नहीं हो रहा है और परिवार में प्रीमेनोपॉज का इतिहास रहा है, तो यह शारीरिक बदलाव है और धीरे-धीरे सब व्यवस्थित हो जाएगा। पर, अगर बहुत ज्यादा ब्लीडिंग के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो रहा है तो डॉक्टरी परामर्श की आपको जरूरत है।
पैप स्मियर टेस्ट में किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है और शारीरिक रूप से सक्रिय लोगों को हर पांच साल पर यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। कोई असामन्यता होने पर कम अंतराल पर टेस्ट करवाने की सलाह भी दी जा सकती है। अमूमन 35 साल की उम्र के बाद यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। अगर आपके डॉक्टर ने 25 साल की उम्र में किसी असामान्यता के कारण यह टेस्ट करवाने की सलाह दी है, तो इसे करवाने में आपको हिचकने की जरूरत नहीं।
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Sanjna Verma
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