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शीर्ष 7 मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाली आदतें
नीचे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाली 7 आदतें सूचीबद्ध हैं। हालाँकि ये ऐसी आदतें हैं जिनके हम बुरे प्रभावों को जाने बिना ही अपनाते हैं जो जीवन के बाद के चरण में पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में प्रकट होती हैं।
1. निष्क्रिय होना
हम अक्सर निष्क्रियता को लंबे समय से वजन बढ़ने या जोड़ों के खराब स्वास्थ्य से जोड़ते हैं। लेकिन यह मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाली आदतों में सबसे महत्वपूर्ण होती है जिसको हम अपनी आदतों से अपनाते हैं क्योंकि हमारी दिनचर्या इसकी मांग करती है। पी एल ओ एस में 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि लंबे समय तक बैठने से मस्तिष्क के टेम्पोरल लोब में परिवर्तन होता है जो स्मृति के लिए जिम्मेदार होता है।
मस्तिष्क क्षेत्र की एम आर आई स्कैन करने पर पता चला कि जो लोग जितने लंबे समय तक बैठते थे उनका वह क्षेत्र उतना ही पतला हो गया।जिससे डिमेंशिया जैसी अपक्षयी बीमारी हो जाती है।
आपको क्या करना चाहिए : एक बार बैठने के बाद 30 मिनट तक टहलें और घूमें। आप अपने फोन पर रिमाइंडर भी लगा सकते हैं।
2. सामाजिक रूप से निष्क्रिय होना
कोविड-19 महामारी के दौरान हमने अनुभवों से देखा है कि सामाजिक संपर्क कितना महत्वपूर्ण होता है। बहुत अधिक समय अकेले बिताना या अकेला रहना अवसाद का एक प्रमुख कारण बन सकता है। यह आपको कॉग्निटिव अवनति और जल्दी उम्र बढ़ने के खतरे में भी डाल सकता है। जर्नल ऑफ जेरोन्टोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह सुझाव दिया है कि जो लोग सामाजिक रूप से कम सक्रिय होते हैं उनमे ग्रे मैटर तेजी से कम हो जाता हैं। यह मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो सूचनाओं को प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार होता है।
आपको क्या करना चाहिए: कम से कम ऐसे दो लोगों के बारे में सोचना चाहिए जिनसे आप अपने विचारों को खुलकर साझा कर सकें। यहां तक कि अगर आप किसी से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल सकते हैं, तो कोशिश करें कि कम से कम दो सप्ताह में एक बार उनसे बात अवश्य करें। जिन लोगों पर आप भरोसा करते हैं उनसे बात करने पर मस्तिष्क उत्तेजक की तरह काम करता है जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाली कई आदतों के प्रभावों को बदल सकता है।
3. नींद की कमी
डिस्ट्रक्शंस और इंटरनेट पर नई सामग्री उपलब्ध होने के कारण पर्याप्त नींद लेना तेजी से एक चुनौती बनता जा रहा है। नौकरियों की मांग, वित्तीय दबाव और कई अन्य मुद्दों के कारण तनाव होना आम बात है हमारे पास नींद के बारे में चौंकाने वाले आंकड़े आते हैं। एक तिहाई वयस्क नींद से वंचित होता हैं। इससे तर्क, स्मृति और समस्या समाधान जैसी कॉग्निटिव प्रक्रियाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इसलिए नींद में कमी 7 सबसे बड़ी मस्तिष्क नुकसान आदतों में से एक होती है।
आपको क्या करना चाहिए: पर्याप्त नींद न लेने का तनाव आपकी मदद नहीं करता है। इसके बजाय आप जिस समय सोते थे उससे एक घंटा पहले सोना शुरू करें। फोन और टीवी को देखने से बचना चाहिए क्योंकि स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आरामदायक नींद को रोकती है। रात में जंक फूड भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल नींद खराब होती है बल्कि यह मस्तिष्क के लिए भी अच्छा भोजन नहीं होता है।
4. तेज आवाज में संगीत सुनना
संगीत ऐसा होना चाहिए जिससे आपको आराम मिले। जब आप हर दिन 30 मिनट तक तेज आवाज में संगीत सुनते हैं तो इससे सुनने की क्षमता को भी नुकसान होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग सुनने की क्षमता खो देते हैं उनमें कॉग्निटिव समस्या जैसे अल्जाइमर रोग के होने का भी खतरा रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मस्तिष्क पर तेज आवाज सुनने के कारण हानिकारक प्रभाव पड़ता है जिससे कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। यह ध्वनियों की यादों को मिटाने के लिए भी जाना जाता है।
आपको क्या करना चाहिए: संगीत कम आवाज पर ही सुनें। यदि आप हेडफ़ोन का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें पूरे दिन न लगाए इसमें प्रत्येक दिन कुछ घंटों के उपयोग को कम करने का प्रयास करें।
5. अस्वस्थ खाना
जंक फूड मस्तिष्क के लिए हानिकारक भोजन होता है। इसमें प्रोसेस्ड फूड भी शामिल होते हैं जो हमारी व्यस्त जीवन शैली का एक अभिन्न अंग होते हैं। ये खाद्य पदार्थ आमतौर पर शर्करा और फैट से भरपूर होते हैं। कुछ लोग कहते है की फैट मस्तिष्क के लिए अच्छा होता है। लेकिन मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए सही प्रकार के फैट की आवश्यकता होती है। जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड में ट्रांस फैट व सैचुरेटेड फैट होता है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं की प्लास्टिसिटी को कम करता है।
अधिक मात्रा में शर्करा का सेवन करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। जिससे मस्तिष्क में ग्लूकोज की आपूर्ति कम हो जाती है, जो इसके कार्यो के लिए महत्वपूर्ण होती है। अंततः मस्तिष्क क्षति भी हो सकती है।
ओवरईटिंग भी मस्तिष्क को नुकसान पहुँचाने वाली आदतों में से एक होती है जिस पर शोध किया जा रहा है। मानसिक गिरावट और ओवरईटिंग के बीच क्या संबंध होता है यह अभी तक ज्ञात नहीं है लेकिन सबूत यह बताते हैं कि यह जीवन के बाद के चरण में कॉग्निटिव संज्ञानात्मक गिरावट और स्मृति हानि का कारण बन सकता है।
आपको क्या करना चाहिए: ऐसे खाद्य पदार्थ को खाना चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हों। बेहतर मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए, ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है। इसमें बादाम और अखरोट जैसे मेवे भी शामिल होते हैं जो भूख लगने पर वसायुक्त या मीठे स्नैक्स के रूप में बढ़िया विकल्प होते हैं। अगर आप तनावग्रस्त या भावुक है तो अपने आप पर ध्यान देकर ऐसे खाने से बचें।
6. सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करना
सोशल मीडिया भी 7 सबसे बड़ी मस्तिष्क नुकसान आदतों में शामिल है। हममें से अधिकांश लोग फोन से दिन की शुरुआत करते हैं और फोन को देखते हुए बिस्तर पर चले जाते हैं और बिना सोचे समझे नये ताजा विषय के लिए स्क्रॉल करते रहते हैं। एक व्यक्ति औसतन तीन घंटे फोन पर बिताता है। यह उस समय हानिकारक नहीं लगता है लेकिन सोशल मीडिया पर जितना समय बिताते है यह मस्तिष्क पर गंभीर हानिकारक प्रभाव डालता है।
सोशल मीडिया आपके ध्यान को बहुत सारी सामग्री से बिखेरता है। इससे एकाग्रता बुरी तरह से प्रभावित होती है। यही कारण है कि कई बार सोशल मीडिया उपयोगकर्ता खराब मल्टीटास्किंग स्किल्स को प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समय के साथ डिस्ट्रक्शन पर काबू पाने की क्षमता कम हो जाती है।और समय के साथ मस्तिष्क के एक हिस्से में एकाग्रता में कमी आती है।
सोशल मीडिया पर अनुभवों को साझा करने की संस्कृति होती है, हम यादों को संग्रहीत करने के तरीके को बदल सकते हैं। यह प्रतिफल के रास्ते भी बदल देता है। जब भी आप कोई सूचना प्राप्त करते हैं तो आपका शरीर डोपामाइन रिलीज करता है जो आपको फोन का आदी बना देता है। यह आपकेमस्तिष्क के लिए अच्छा नहीं होता है।
आपको क्या करना चाहिए: सोशल मीडिया के उपयोग को सुबह और जब आप आराम करना चाहते हैं तब कुछ मिनटों के लिए ही सीमित करें। यदि आप इसे स्वयं नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो आपके पास ऐसे एप्लिकेशन भी हैं जो सोशल मीडिया के उपयोग को कम करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
7. नकारात्मक सोच
नकारात्मक सोच मस्तिष्क को नुकसान पहुँचाने वाली आदतों में सबसे हानिकारक होती है। यह लंबे समय तक चिंता और तनाव की स्थिति में रखती है। जिससे मस्तिष्क में टाओ और अमाइलॉइड का जमाव बढ़ाता है। ये वही जमाव होता हैं जो कॉग्निटिव विकारों से पीड़ित व्यक्तियों में पाया जाता हैं।
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Apurva Srivastav
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