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बीमार बना सकती है ये ख़ुशबू

Apurva Srivastav
8 March 2023 6:46 PM GMT
बीमार बना सकती है ये ख़ुशबू
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आपने ग़ौर किया होगा कि आजकल टीवी पर एक जाने-माने ब्रैंड का मॉस्किटो रिपेलेंट का एक ऐड आ रहा है, जिसमें उसके ‘लेमन वाली ख़ुशबू’ की तारीफ़ की जा रही है. यानी अब मच्छर भी भागेंगे और आपका घर लेमन की तरोताज़ा कर देनेवाली ख़ुशबू से गमक उठेगा. ऐड देखकर आप कहेंगे,‘वाह यह हुई ना बात!’ पर क्या सच में यह नया मॉस्किटो रिपेलेंट सिर्फ़ मच्छरों को ही नुक़सान पहुंचाएगा? और आपको अपनी ख़ुशबू और ताज़गी से भर देगा? इन दोनों सवालों के जवाब आपको वैज्ञानिक कारणों के साथ मिल जाएंगे, जिसे हम आसान भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या होते हैं मॉस्किटो रिपेलेंट?
मॉस्किटो रिपेलेंट वह केमिकल है, जिसकी ख़ुशबू हवा में फैलते ही मच्छर उस जगह से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं. इसे दूसरे शब्दों में कहें तो ये सभी मॉस्किटो रिपेलेंट या कॉकरोच को भगाने वाले केमिकल्स इन्सेक्ट किलर्स होते हैं, जो कीटों के नर्वस सिस्टम और रेस्पिरेटरी सिस्टम पर प्रहार करके उन्हें मार डालते हैं या फिर मौत के डर से वे भाग जाते हैं. आप ज़रा-सा कॉमनसेंस अप्लाई कीजिए, जो केमिकल एक जीव के लिए हानिकारक होता है, वह दूसरों के लिए फ़ायदेमंद कैसे हो सकता है? ऐसा कैसे हो सकता है कि वह केमिकल एक जीव को मारे और दूसरे को छोड़ दे? यानी हमारे कहने का मतलब यह है कि अगर एक केमिकल मच्छरों और कॉक्रोचों को नुक़सान पहुंचाता है, तो ऐसा कैसे हो सकता है कि उसका हम पर कोई साइडइफ़ेक्ट न हो?
इस बात को दिमाग़ से निकाल दें कि मॉस्किटो रिपेलेंट की मनभावन ख़ुशबू हमारे लिए फ्रेंडली है
अगर आप लेमन की या अपनी किसी दूसरी पसंदीदा ख़ुशबू वाले रिपेलेंट को अपने लिए सुरक्षित समझते हैं तो उससे हम यही समझ सकते हैं कि आपने सामान्य विज्ञान का अध्ययन ठीक से नहीं किया है. दरअसल देखा जाए तो कीट प्रजाति (इन्सेक्ट क्लास, ऑर्थोपोडा समूह) की सबसे विकसित प्रजाति हैं. यह माना जाता है कि अगर भविष्य में कभी न्यूक्लियर वॉर हुआ तो यदि कोई प्रजाति बचेगी इस दुनिया में तो वह यही इन्सेक्ट प्रजाति होगी. आप जानकर चौंक जाएंगे कि कॉक्रोच के 13 दिल होते हैं, उसके शरीर पर एक मज़बूत खोल होती है तथा उसकी एक आंख में ही हज़ारों आंखें (कंपाउंड आई) होती हैं. वे हमसे बहुत विकसित हैं. अब जब इतनी विकसित प्रजाति को ये स्प्रे इतना नुक़सान पहुंचाते हैं तो फिर हमें और हमारे बच्चों को कितना डैमेज करते होंगे आप थोड़ा-सा विचार कीजिए. ये वाक़ई बहुत घातक है. अगर रिसर्च की जाए तो डेंगू के मच्छरों को मारने का दावा करनेवाले स्प्रे डेंगू के मच्छरों की तुलना में कई गुना ज़्यादा इंसानों को मार रहे हैं, जबकि इन्हें डेंगू का डर दिखा कर ही बेचा जा रहा है. अस्थमा, साइनोसाइटिस, सिरदर्द, मेमोरी लॉस और लकवा इनके आम साइड इफ़ेक्ट्स हैं.
अब जब भी इन स्प्रे की ख़ुशबू आए तो इससे उसी तरह दूर भागें, जैसे इन्सेक्ट की ये चतुर और विकसित प्रजाति भागती हैं. इसकी ख़ुशबू में मदहोश होकर बैठे रहना बता रहा है कि वाक़ई इन्सेक्ट हमसे ज़्यादा समझदार हैं और शायद इसीलिए वे इतने खतरों के बावजूद आज भी जीवित हैं सबसे ज़्यादा संख्या में. फिर से याद रखें जो चीज़ एक जीव को मारती है, वह दूसरे जीवों को भी नहीं छोड़ेगी. यह ख़ुशबू बेकाबू नहीं बीमार करने वाली है.
तो आप पूछेंगे कि मच्छरों से बचने के लिए क्या करें? सबसे पहले जान लें कि मच्छरों को अपने शरीर से दूर रखने से अच्छा कोई विकल्प नहीं है इसके लिए पूरे कपड़े पहनिए, मच्छरदानी का उपयोग कीजिए, खिड़कियों पर जालियां लगाइए. मच्छरों को पनपने से रोकिए, पानी को इकट्ठा ना होने दें, गंदगी ना रखें. ख़ुशबूदार रिपेलेंट एक आसान और ख़ुशनुमा विकल्प लग सकता है, पर याद रखें दुनिया की सबसे विकसित और समझदार प्रजाति भी इनसे बचती हैं. तो आप भी इनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखें.
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