लाइफ स्टाइल

यह बीमारिया खुद के इम्युनिटी सिस्टम को पहुंचाने लगता है नुकसान, जानते है वजह

suraj
24 May 2023 1:48 PM GMT
यह बीमारिया खुद के इम्युनिटी सिस्टम को पहुंचाने लगता है नुकसान, जानते है वजह
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लाइफस्टाइल: हम सभी जानते हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जिसे इम्यून सिस्टम कहा जाता है वह हमें बीमारियों से बचाने में मदद करती है। कोविड-19 के दौरान यही वजह थी कि स्वास्थ्य विशेष शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने वाले उपाय करते रहने की सलाह दे रहे थे। जिन लोगों की इम्युनिटी मजबूत थी उनमें संक्रमण की स्थिति में रोगों के गंभीर रूप लेने का खतरा कम था। यानी कि इम्यून सिस्टम को शरीर का ढाल कहा जा सकता है। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ स्थितियों में यही इम्यून सिस्टम ही शरीर में कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है?

अगर आपका इम्यून सिस्टम ही शरीर के लिए समस्याएं बढ़ाने लग जाए तो इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। ऑटोइम्यून रोग, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या है जिसमें यह शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को ही क्षति पहुंचाने लग जाती है। यह स्पष्ट नहीं है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ऐसा क्यों करती है पर इसके लिए कई कारकों को जिम्मेदार पाया गया है।

आइए ऐसी ही चार बीमारियों के बारे में जानते हैं जिन्हें ऑटोइम्यून रोग कहा जाता है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस

रूमेटाइड आर्थराइटिस, ऑटोइम्यून डिजीज के कारण होती है जब आपका अपना ही इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं करता और जोड़ों के अस्तर (साइनोवियम) पर अटैक करने लगता है तो यह दिक्कत हो सकती है। यह एक ऑटोइम्यून और एंटीइंफ्लामेटरी डिजीज भी है। लंबे समय तक बनी रहनी वाली इस समस्या के जोखिम के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। फिजियोथेरेपी और दवाओं के माध्यम से रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद मिल सकती है।

मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस)

मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करने वाली बीमारी है, यह भी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर अटैक करने के कारण होता है। एमएस के कारण तंत्रिका में क्षति होने लगती है जिससे मस्तिष्क और शरीर के बीच संचार बाधित हो सकती है। यह स्थिति देखने, सुनने और समन्यवय स्थापित करने जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।

डायबिटीज का यह प्रकार भी ऑटोइम्यून डिजीज के कारण होती है जिसमें शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन-उत्पादक (आइलेट) कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने लगती है। इस स्थिति में, अग्न्याशय बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बनाता है। टाइप-1 डायबिटीज के शिकार लोगों को जीवनभर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत हो सकती है। यह डायबिटीज बच्चों में भी हो सकतr है, ज्यादातर मामलों में कम उम्र में ही इसका निदान हो जाता है।

सीलिएक डिजीज

सीलिएक डिजीज को सीलिएक स्प्रू या ग्लूटेन-सेंसिटिव एंटरोपैथी भी कहा जाता है। इसके रोगियों को अक्सर दस्त-थकान, वजन घटने, सूजन और गैस, पेट में दर्द की समस्या बनी रहती है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भोजन में मौजूद ग्लूटेन से प्रतिक्रिया करती है, तो इसके कारण छोटी आंत को लाइन करने वाले कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है। इस स्थिति में छोटी आंत पर्याप्त पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाती है जिसके कारण कुपोषण और एनीमिया जैसी दिक्कतों का खतरा हो सकता है।

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